India-Russia Ties: भारत ने रूस से 2018 में 35000 करोड़ रुपए में बड़ा रक्षा सौदा किया, जिसके तहत S-400 के पांच स्क्वॉड्रन रूस से भारत को मिलने थी. एक स्क्वॉड्रन में 16 गाड़ियां होती हैं. एक सिस्टम 400 किमी के इलाके में दुश्मन के ड्रोन से लेकर बैलेस्टिक मिसाइल तक के हमले को रोक सकता है.
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India-China-Pakistan Relations: भारत को रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की तीसरी स्क्वॉड्रन मिल गई है. जिस वक्त रूस यूक्रेन वॉर जोन में नाटो और अमेरिकी हथियारों का सामना कर रहा है उस वक्त एस 400 की डिलीवरी करके रूस ने अपने सबसे भरोसेमंद दोस्त भारत से किया गया वादा निभाया है. इस स्क्वॉड्रन को पाकिस्तान के मोर्चे पर ऐसी जगह तैनात किया जा रहा है, जहां से पंजाब और उत्तरी राजस्थान पर होने वाले किसी भी हवाई हमले को रोका जा सके.
यानी भारत जिसे चीन और पाकिस्तान के तौर पर दो दुश्मनों से दो मोर्चों पर निपटना है, उसके लिए एस 400 की तीसरी स्क्वॉड्रन की डिलीवरी पाकिस्तान की तरफ से होने वाले किसी भी हमले के खिलाफ निश्चिंत कर सकती है.
जरूरत के हिसाब से या चीन से तनाव बढ़ने की स्थिति में भारत इसकी तैनाती को पश्चिमी मोर्चे से पूर्वी मोर्चे पर भी शिफ्ट कर सकता है. रूस से S-400 की पहली स्क्वॉड्रन दिसंबर 2021 में और दूसरी स्क्वॉड्रन अप्रैल 2022 में भारत आई थी. युद्ध में फंसे होने के बावजूद रूस ने 2023 फरवरी में तीसरी स्क्वॉड्रन की डिलीवरी कर दी
एस 400 क्यों है ब्रह्मास्त्र
भारतीय वायुसेना ने अपनी पहली S-400 स्क्वॉड्रन को पठानकोट के पास तैनात किया है, जहां से लद्दाख, हिमाचल और उत्तराखंड में चीन की तरफ से किसी भी हवाई हमले को रोका जा सके. यही स्क्वॉड्रन जम्मू-कश्मीर और पंजाब पर पाकिस्तान से होने वाले हवाई हमले का भी मुकाबला करेगी.
दूसरी S-400 स्क्वॉड्रन को उत्तर-पूर्व में सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है. भारतीय वायुसेना के कर्मचारियों की रूस में S-400 की ट्रेनिंग पूरी हो गई है और वो अब इस सिस्टम को तैनात करने के लिए तैयार हैं.
पहले भारत ने चीन की तरफ से आने वाले खतरों के खिलाफ एस 400 को तैनात किया, इसके बाद पाकिस्तान के मोर्चे पर एस 400 की सुरक्षा दी. ये खबर पाकिस्तान को और ज्यादा टेंशन में डालने वाली है क्योंकि दिवालिया होने की कगार पर खड़े पाकिस्तान के अंदर इस बात का डर भी जाहिर किया जा रहा है. कहीं पाकिस्तान की कंगाली और पीओके से उठ रही बगावत की आग का भारत फायदा न उठा ले. चीन की आक्रामकता के खिलाफ भी ये खबर भारत की सीमाई सुरक्षा को मजबूती देने वाली है.
चीन के पास अलग-अलग दूरी की कई मिसाइलें हैं, जिनका इस्तेमाल वो भारत के खिलाफ कर सकता है. पाकिस्तान ने भी चीन के सहयोग से मिसाइलों को अपने प्रमुख हथियार के तौर पर विकसित किया है. पाकिस्तान की अस्थिर राजनैतिक स्थिति और सेना पर कट्ट्ररपंथियों के बढ़ते असर के कारण इन मिसाइलों के भारत के खिलाफ इस्तेमाल की आशंकाएं बढ़ गई हैं.
एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि चीन के पास भी एयर डिफेंस के लिए S-400 सिस्टम है. इसलिए भारत को अपनी सुरक्षा के लिए इस सिस्टम की ज़रूरत थी. वहीं भारत को पाकिस्तान और चीन दोनों ही तरप से हवाई हमले का खतरा है इसलिए उसे एक ऐसा एयर डिफेंस चाहिए जो अचूक हो साथ ही लंबी दूरी का भी हो. क्योंकि चीन ने अपनी रॉकेट फोर्स को ताकतवर बनाकर मिसाइलों के जखीरे को बहुत बड़ा कर लिया है.
भारत-रूस के समझौते को समझिए
भारत ने रूस से 2018 में 35000 करोड़ रुपए में बड़ा रक्षा सौदा किया, जिसके तहत S-400 के पांच स्क्वॉड्रन रूस से भारत को मिलने थी. एक स्क्वॉड्रन में 16 गाड़ियां होती हैं. एक सिस्टम 400 किमी के इलाके में दुश्मन के ड्रोन से लेकर बैलेस्टिक मिसाइल तक के हमले को रोक सकता है.
S-400 का रडार 500 किमी की दूरी से ही दुश्मन के हवाई हमले को ट्रैक करने लगता है और रेंज में आने पर दुश्मन की मिसाइल को तबाह कर देता है. भारतीय वायुसेना हवाई हमले को रोकने के लिए स्वदेशी आकाश एयर डिफेंस सिस्टम, इज़राइल के सहयोग से विकसित मध्यम दूरी का मिसाइल डिफेंस सिस्टम MRSAM के अलावा इज़राइली स्पाइडर एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल करती है. लेकिन S-400 के आने से हवाई सुरक्षा लगभग अभेद्य हो जाती है.
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