Shashi Tharoor: अमेरिका से भारत भेजे गए अवैध भारतीय अप्रवासियों को लेकर देश में सियासत शुरू हो गई. कांग्रेस नेता ने उन्हें मिलिट्री एयरक्राफ्ट से भेजने पर आपत्ति जताई है. साथ ही कहा कि भारतीयों को हथकड़ी लगाकर अपमानित किया गया.
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Shashi Tharoor: 100 से ज्यादा अवैध भारतीय अप्रवासियों को लेकर आज अमेरिका का एक विमान अमृतसर आया. अमेरिका से निकाले गए इन भारतीयों को लेकर सियासत शुरू हो गई है. विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर अमेरिका के इस व्यवहार से भड़क गए हैं. उन्होंने कहा कि निकाले गए भारतीयों को हथकड़ी लगाई गई और अपमानित किया गया. जानिए उन्होंने और क्या कुछ कहा.
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि मैने सुना है उन्हें मिलिट्री एयरक्राफ्ट से भेजा गया है. इससे वो काफी ज्यादा नाखुश हैं. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि अमेरिका उन लोगों को निर्वासित करने का पूरा हकदार है जिन्हें वे अपने देश में अवैध रूप से मौजूद मानते हैं अगर भारतीय बिना अथॅारिटी के दूसरे देश में हैं तो भारत का उन्हें वापस लेने का कानूनी दायित्व है. आगे बोलते हुए कहा कि लेकिन मेरा मानना है कि अमेरिका के लिए इन लोगों को सैन्य विमान से भेजने के बजाय रेगुलर कमर्शियल फ्लाइट या सिटीजन फ्लाइट से भेजता तो ये ज्यादा बेहतर रहता. लेकिन यह ट्रम्प के प्रशासन द्वारा एक नया योगदान है.
भारतीय नागरिकों को भारत वापस लाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से वे यहीं के हैं. उन्हें घर वापस आना चाहिए और अगर वे विदेश यात्रा करना चाहते हैं, तो उन्हें केवल कानूनी तरीकों से ही जाना चाहिए. मुझे नहीं लगता कि कोई भी इस प्रस्ताव से असहमत हो सकता है.
आगे कहा कि हमें किसी देश को अवैध अप्रवासियों को लेने के लिए क्यों बाध्य करना चाहिए जब हम खुद इसे एक अच्छा विचार नहीं मानते. अंतर्राष्ट्रीय कानून और राष्ट्रीय राजनीतिक व्यवहार दोनों के बहुत स्पष्ट स्थापित प्रावधान हैं. अंतर्राष्ट्रीय कानून उन लोगों को अधिकार देता है जो अपने देश में उत्पीड़न के डर से कहीं और शरण मांग सकते हैं और मुझे नहीं लगता कि इस स्तर पर भारत में कोई भी व्यक्ति अंतर्राष्ट्रीय कानून द्वारा मान्यता प्राप्त आधारों पर उत्पीड़न के डर का वैध रूप से दावा कर सकता है. इसलिए वे अनिवार्य रूप से आर्थिक लाभ के लिए जा रहे हैं.
बांग्लादेशियों के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर कोई बांग्लादेशी साबित हो जाता है तो बांग्लादेश का उन्हें स्वीकार करने का वही दायित्व है, जो अमेरिका में अवैध भारतीयों को स्वीकार करने का है. भारत में राजनीतिक संदर्भ में कई मामलों में समस्या का एक हिस्सा यह है कि कई लोग जो भारतीय होने का दावा करते हैं, उन्हें कुछ लोग बांग्लादेशी बताते हैं, लेकिन वे निर्णायक रूप से यह साबित नहीं कर पाते हैं कि इन लोगों के पास कोई पता या कोई ऐसा दस्तावेज़ है जो उन्हें बांग्लादेशी होने का प्रमाण देता है.
जब नरेंद्र मोदी सरकार ने NRC के बारे में बात की तो बहुत बड़ा विवाद हुआ. यहां तक कि कांग्रेस ने भी NRC पर अपना रुख अपनाया था. यह सब भारत में लोगों की नागरिकता का पता लगाने और अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करने के बारे में है. उन्होंने कहा कि एनआरसी पर हमारी आपत्ति यह थी कि यह उन लोगों को अचानक भारतीय नागरिकता से बाहर कर सकता है जो भारतीय हैं लेकिन उनके पास इसका कोई दस्तावेज़ी सबूत नहीं है. उदाहरण के लिए, यह तर्क कि अगर आप भारत में पैदा हुए हैं, तो आपको इसे साबित करने में सक्षम होना चाहिए, हाल ही में साबित करना आसान हो गया है, क्योंकि शुरुआती दिनों में, 1990 के दशक तक, भारत के बहुत से हिस्से ऐसे थे जहाँ नियमित रूप से जन्म प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जाते थे.
अंतिम में अमेरिका पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आपको उन्हें सैन्य विमान में रखने की जरूरत नहीं है. आपको उन्हें हथकड़ी लगाने की जरूरत नहीं है. वे आपकी धरती से चले जाने के बाद अपराधी नहीं हैं. उनका एकमात्र अपराध यह है कि वे अवैध रूप से आपकी धरती पर हैं. आप उन्हें अब हमारी धरती पर ला रहे हैं उन्हें हथकड़ी न लगाएं. कृपया उन्हें सैन्य विमान में न भेजें. मुझे लगता है कि भारतीय सरकार के अधिकारी के लिए यह एक उचित रुख है और मुझे उम्मीद है कि भारतीय सरकार ऐसा रुख अपनाएगी.