Karnataka Hijab Row: सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों की राय अलग, CJI के पास भेजा गया मामला
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Karnataka Hijab Row: सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों की राय अलग, CJI के पास भेजा गया मामला

Karnataka Hijab Ban: कर्नाटक के हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया और इस मामले पर दोनों जजों की राय अलग-अलग हैं.

Karnataka Hijab Row: सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों की राय अलग, CJI के पास भेजा गया मामला

Supreme Court decision on Hijab Ban: कर्नाटक के हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया और इस मामले पर दोनों जजों की राय अलग-अलग हैं. इसके बाद इस मामले को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यूयू ललित (CJI UU Lalit) के पास भेज दिया गया है और उनसे बड़ी बेंच में सुनवाई का आग्रह किया गया है. सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों का फैसला अलग होने के बाद कर्नाटक हिजाब बैन पर कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रहेगा और अगले आदेश तक हिजाब पर बैन भी जारी रहेगा.

सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों का ने दिया ये फैसला

कोर्ट में जस्टिस हेमंत गुप्ता ने पहले अपना फैसला पढ़ा और कहा कि वो कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के फैसले के खिलाफ याचिका को खारिज कर रहे हैं. वहीं, जस्टिस सुधांशु धूलिया की राय अलग है और उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने सरकारी आदेश को भी खारिज कर दिया, जिसमें शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने पर रोक लगाई गई थी. जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा कि उन्होंने अपने निर्णय में अनिवार्य धार्मिक प्रथा की अवधारणा पर मुख्य रूप से जोर दिया, जो विवाद का मूल नहीं है. उन्होंने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने गलत रास्ता अपनाया और हिजाब पहनना अंतत: पसंद का मामला है, इससे कम या ज्यादा कुछ और नहीं.

10 दिन की सुनवाई के बाद पीठ ने सुरक्षित रखा था फैसला

24 मार्च को याचिकाकर्ता कर्नाटक हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचे थे. कोर्ट में जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच में 10 दिनों तक हिजाब विवाद पर जोरदार बहस चली. जिरह के दौरान मुस्लिम पक्ष ने जहां एक ओर हिजाब की तुलना पगड़ी और क्रॉस से की, तो वहीं जस्टिस हेमंत गुप्ता ने इस पर तीखी टिप्पणी की. दस दिन चली सुनवाई के बाद 22 सितंबर को पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

कर्नाटक हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका

कर्नाटक हाई कोर्ट ने 15 मार्च को राज्य के उडुपी में गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग द्वारा कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था. हाई कोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है.

क्या है पूरा मामला और कैसे हुआ शुरू?

कर्नाटक में हिजाब विवाद (Hijab) इस साल जनवरी के शुरुआत में उडुपी के एक सरकारी कॉलेज से शुरू हुआ था, जहां मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर आने से रोका गया था. स्कूल मैनेजमेंट ने इसे यूनिफॉर्म कोड के खिलाफ बताया था. इसके बाद कर्नाटक के दूसरे शहरों में भी यह विवाद फैल गया. मामला अदालत तक पहुंचा और कर्नाटक हाईकोर्ट ने छात्राओं की तरफ से क्लास में हिजाब पहनने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी. 15 मार्च को फैसले में हाईकोर्ट में दलील दी गई कि हिजाब पहनना इस्लाम की जरूरी प्रैक्टिस का हिस्सा नहीं है. लिहाजा स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म के पालन कराना राज्य का आदेश सही है. उस फैसले के बाद भी विवाद नहीं थमा और मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचा.

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