Ukraine- Russia battle lines dissolve at Sangam: अगर हम आपसे कहे कि महाकुंभ में यूक्रेन-रूस की दुश्मनी खत्म हो गई है तो आप हैरान हो जाएंगे, लेकिन यह सच है. संगम की रेती पर दुश्मनी की धूल की जगह प्रेम की गंगा बह रही है. जानें पूरी खबर.
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Maha Kumbh 2025: महाकुंभ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और आध्यात्म का एक अद्भुत संगम है. महाकुंभ में पहुंचकर करोड़ों श्रद्धालु अपने जीवन की तमाम चिंताओं को पीछे छोड़ संगम के निर्मल जल में डुबकी लगाते हैं. महाकुंभ को शब्दों में पिरोना असंभव है. कहा जाता है आध्यात्मिकता की कोई सीमा नहीं होती. तभी तो शायद प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में यूक्रेन-रूस की दुश्मनी भी खत्म हो गई. रूस और यूक्रेन के बीच 1,000 दिनों से खूनी युद्ध चल रहा है, लेकिन दो आध्यात्मिक नेता, यूक्रेन से स्वामी विष्णुदेवानंद गिरिजी महाराज और रूस से आनंद लीला माता, महाकुंभ मेले में एक ही मंच से प्रेम, शांति और करुणा पर प्रवचन दे रहे हैं. जानें पूरी खबर.
कट्टर दुश्मन देशों के लोग एक साथ प्रेम पाठ पढ़ा रहे
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, जहां एक तरफ रूस और यूक्रेन में भीषण जंग जारी है, दूसरी तरफ यूक्रेन-रूस के दो आध्यात्मिक गुरु संगम पर एक ही मंच से प्रेम की गंगा बहा रहे हैं. कुंभ क्षेत्र के सेक्टर 18 में जो भी यह अद्भुत नजारा देखता है, हैरान हो जाता है. यह सिर्फ अध्यात्म में हो सकता है, जहां एक दूसरे के कट्टर दुश्मन एक दूसरे को गले लगा रहे हैं, एक ही मंच से प्रेम, जीवन, शांति, करुणा पर प्रवचन दे रहे हैं.
पायलट बाबा के शिविर में ये अनूठा संगम
सेक्टर 18 में पायलट बाबा के शिविर में दैनिक सत्र आयोजित करने वाले यूक्रेन से स्वामी विष्णुदेवानंद गिरिजी महाराज और रूस से आनंद लीला माता, महाकुंभ मेले में एक ही मंच से प्रेम, शांति और करुणा पर प्रवचन दे रहे हैं. उनको सुनने के लिए दुनिया के विभिन्न हिस्सों से भक्त उनकी शिक्षाओं को सुनने के लिए एकत्रित होते हैं. शिविर में यूक्रेन और रूस के 70 से अधिक लोग एक साथ रह रहे हैं, और 100 से अधिक लोगों के आने की उम्मीद है.उनके प्रवचनों में अक्सर पारंपरिक प्रार्थनाएं और दैनिक जीवन में आध्यात्मिकता को लागू करने के बारे में चर्चाएं शामिल होती हैं. और दोनों अपने देशों से व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हैं, जबकि आध्यात्मिक सत्य की सार्वभौमिक प्रकृति पर जोर देते हैं.
कुंभ मेले में रूसी, यूक्रेनी संत विश्व शांति के लिए प्रार्थना करते हैं
गिरिजी महाराज, पूर्व में वैलेरी, पूर्वोत्तर यूक्रेन के खार्किव शहर से हैं और अब जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं. उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि "विश्व शांति के लिए मेरा संदेश दो शब्दों में व्यक्त किया गया है: "लोक संग्रहम" (सार्वभौमिक भलाई) और "अरु पडै" (सार्वभौमिक ज्ञान). हमें 'लोक: समस्त: सुखिनो भवन्तु' मंत्र को याद रखना चाहिए, जो सभी जीवित प्राणियों की भलाई और खुशी की तलाश करता है. मानवता में 'सत्व ऊर्जा' की कमी है. जब समाज, राष्ट्र और पृथ्वी पर ध्यान के माध्यम से सत्व ऊर्जा फैलती है, तो दुनिया बेहतर के लिए बदलने लगती है. और सत्य युग, स्वर्ण युग के आगमन के लिए मंच तैयार हो जाता है."
रूस की महिला बनीं महामंडलेश्वर
वहीं दूसरी तरफ आनंद माता जो पूर्व में ओल्गा, पश्चिमी रूस के निज़नी नोवगोरोड से हैं. वह मीडिया से बातचीत में बताती हैं कि "यह कुंभ मेले की मेरी पांचवीं यात्रा है. मैं पहली बार महामंडलेश्वर पायलट बाबाजी के निमंत्रण पर यहां आई थी. 2010 में मैंने महामंडलेश्वर का दर्जा स्वीकार किया और तब से मैं लगभग हर कुंभ मेले में आई हूं,” उन्होंने कहा. “कुंभ मेला साधु संस्कृति के हृदय में खुद को डुबोने और शांति का संदेश फैलाने का एक अनूठा अवसर है. कई संत आशीर्वाद के इस उत्सव का हिस्सा बनने के लिए कुंभ मेले में आते हैं. यह हजारों लोगों के लिए अपने कर्म और अपनी चेतना को शुद्ध करने का एक तरीका भी है. मैं यहां दुनिया भर से अपने छात्रों से मिलने, उन्हें सनातन धर्म की संस्कृति दिखाने, अद्वैत वेदांत, शैव धर्म, योग और ध्यान की शिक्षाओं को बताने के लिए आती हूं,”
विश्व के कल्याण के लिए प्रार्थना
आनंद माता ने कहा. “जब रूस और यूक्रेन के लोग सद्भाव में एक साथ बैठते हैं तो यह एक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि कैसे आध्यात्मिक खोज राष्ट्रीय पहचान से परे लोगों को एकजुट कर सकती है,” उन्होंने कहा. गिरिजी महाराज और आनंद माता दोनों विश्व शांति और युद्ध से प्रभावित देशों के उपचार के लिए विशेष प्रार्थना करते हैं. उनके संदेश की विशेष महत्ता है, क्योंकि दोनों देशों के बीच खूनी संघर्ष चल रहा है, जिसके कारण दोनों पक्षों को भारी क्षति हुई है तथा यूक्रेन में व्यापक विनाश हुआ है.