Mahakumbh 2025: अगर आप इस बार महाकुंभ नहीं जा पाए तो आपको निराश होने की कोई जरूरत नहीं है. अगले दो साल में फिर कुंभ नहाने का मौका मिलेगा. जानिए कब आपको ये मौका मिलने वाला है?
Trending Photos
Mahakumbh 2025: इन दिनों प्रयागराज महाकुंभ सुर्खियों में है. यहां दुनियाभर से लोग बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं. ऐसे में अगर आप इस बार महाकुंभ नहीं जा पा रहे हैं, तो आपको निराश होने की कोई जरूरत नहीं है. आपको अगले दो साल में फिर कुंभ नहाने का मौका मिलने वाला है. 26 फरवरी को महाकुंभ को संपन्न हो जाएगा और अब अगला कुंभ 2027 में हरिद्वार में होगा. आपको बता दें, महाकुंभ 12 साल में एक बार प्रयागराज में आयोजित होता है, जबकि सामान्य कुंभ हर 6 साल में हरिद्वार और नासिक में होता है. महाकुंभ में स्नान को धार्मिक रूप से बहुत अहम माना जाता है. माना जाता है कि इससे पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है.
कैसे मिलेगा शाही स्नान का पुण्य?
अगर आप किसी वजह से महाकुंभ नहीं पहुंच पा रहे हैं तो घर में ही रहकर कुछ नियमों का पालन कर पुण्य की प्राप्ति कर सकते हैं. घर पर शाही स्नान का पुण्य कमाने के लिए आप अपने आसपास के किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं. इसका फायदा होगा. इसके अलावा आप घर में शाही स्नान के दिन नहीने के पानी में गंगा जल डाल कर स्नान कर सकते हैं. सच्चे श्रद्धा भाव को मन में रखें तो आपको इस स्नान का पुण्य प्राप्त होगा.
गंगाजल मिलाकर करें स्नान
शाही स्नान के वक्त कुछ मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं. "गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति. नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन् सन्निधिं कुरू". शाही स्नान सूर्योदय से पहले किया जाता है, इसलिए सुबह जल्दी उठें घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें. इस दौरान गंगा मैया का सुमिरन करें "हर हर गंगे" का जप करें इससे भी पुण्य प्राप्ति होगी.
जानें मंत्रों का करें जाप
स्नान करते वक्त भगवान का ध्यान करें और "ॐ नमः शिवाय" या "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" जैसे मंत्र का जाप करें. आप "गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति. नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन् सन्निधिं कुरू" का जाप भी कर सकते हैं. अगर आप यह मंत्र नहीं बोल सकते तो स्नान के दौरान गंगा मैया का सुमिरन करते हुए "हर हर गंगे" का जप कीजिए.
यह भी पढ़ें: Mahakumbh 2025: कौन थे कन्नौज के राजा हर्षवर्धन? 75 दिन कराया था कुंभ मेला, राज-पाट सब दे दिया था दान