Kanpur News: कानपुर हृदय रोग संस्थान ने एक ऐसी ही किट के बारे में जानकारी दी है. जिससे किसी दिल के मरीज को अचानक हार्ट अटैक पड़ता है, तो उसके पास केवल यह 7 रुपये की दवाइयां मौजूद हों तो उसकी जान बच सकती है.
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प्रभात अवस्थी/कानपुर: क्या महज 7 रुपये की किट से दिल को फिट रखा जा सकता है, इसे पढ़कर आप भी जानना चाहेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है. कानपुर हृदय रोग संस्थान में डॉक्टर नीरज कुमार ने एक ऐसी ही किट के बारे में लोगों को जानकारी दी है. जिससे यदि किसी दिल के मरीज को अचानक हार्ट अटैक पड़ता है, तो ऐसे में अगर उसके पास केवल यह 7 रुपये की दवाइयां मौजूद हों तो उसकी जान बच सकती है. इस किट का नाम 'राम किट' रखा गया है.
समय पर इलाज मिले तो बच सकती है जान
ह्रदय रोग संस्थान के वरिष्ठ विशेषज्ञ ने बताया कि हार्ट की समस्या और अटैक आने की स्थिति में एक व्यक्ति की जान 15 मिनट से 30 मिनट के बीच बचाई जा सकती है, लेकिन यदि रोगी को तत्काल इलाज मिल जाता है, तो ऐसी स्थिति में उसके गंभीर होने के चांस कम होते हैं. उन्होंने बताया अगर व्यक्ति अटैक की समस्या के लक्षण पर तुरंत ही दो डिस्प्रिन ,एक एरोवा स्टेटिन और एक सोब्रिट्रेट की टेबलेट खा ले तो उसकी जान पर नहीं बनेगी. ऐसे में उसे खाने के बाद मरीज आराम से अस्पताल तक पहुंचा जा सकता है और उसका इलाज किया जा सकता है.
सर्दियों में बढ़ जाती है हार्ट रोगियों की संख्या
उन्होंने अभी कहा कि यदि यह दवाएं लक्षण ना होने के चलते भी खा ली जाएं तो इसका कोई भी नुकसान नहीं होगा. इस एक किट की कीमत केवल 7 रुपये है. लेकिन यह इंसान के लिए एक संजीवनी बूटी की तरह है ,जिसमें सिर्फ तीन दवाएं हैं. उन्होंने बताया कि सर्दियों के मौसम में हृदय के रोगियों की संख्या बढ़ जाती है. इसके अलावा ब्राट डेथ रोगियों की संख्या भी बढ़ती है. रोगियों को सबसे ज्यादा टाइम रास्ते में लग जाता है. इसलिए लोगों को जानकारी हो इसलिए इस तरह की किट के बारे में जानकारी पहुंचना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा मरीज के लिए सबसे बड़ा प्राथमिक उपचार यही दवा की किट है.
डिप्रेशन से बचाने दी जा रहीं धार्मिक किताबें
इसके अलावा मरीजों को इलाज से पहले उनके अंदर आत्म विश्वास और पॉजिटिव एनर्जी के लिए डॉक्टर अध्यात्म का सहारा ले रहे हैं. कानपुर के कार्डियोलॉजी संस्थान में दिल के मरीजों का इलाज करने के से पहले डाक्टर उनको गीता, रामायण और हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए दे रहे है. जिससे की मरीज डिप्रेशन में न जाए और उसका अच्छे से इलाज हो सके.