Pilibhit ka Itihaas: कृष्ण भक्त राजा मोरध्वज का शहर है पीलीभीत, टाइगर सिटी का इतिहास नेपाल के गोरखा राजाओं से भी जुड़ा
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Pilibhit ka Itihaas: कृष्ण भक्त राजा मोरध्वज का शहर है पीलीभीत, टाइगर सिटी का इतिहास नेपाल के गोरखा राजाओं से भी जुड़ा

Pilibhit ka Itihaas: पीलीभीत यूपी में घने जंगल से घिरा एक अनोखा छोटा सा शहर है. यह शहर प्राकृतिक सुंदरता, वन्यजीव अभ्यारण्य और सांस्कृतिक विरासत के साथ पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है, जो प्रकृति और इतिहास को जानना चाहते हैं. जानिए इसका पूरा इतिहास

Pilibhit ka Itihaas

Pilibhit ka Itihaas: पीलीभीत...एक ऐसा शहर जो यूपी के ऐतिहासिक शहरों में एक है. इस शहर का प्राकृतिक सुंदरता और इतिहास सैलानियों को अपनी ओर तो खींचता ही है. साथ ही यह शहर मारे गए खालिस्तान समर्थक आतंकियों को लेकर सुर्खियों में रहता है. बताया गया कि पंजाब में बनवाए गए फर्जी आधार कार्ड से खालिस्तान समर्थक आतंकी गुरविंदर सिंह, वीरेंद्र सिंह व जसनप्रीत सिंह पूरनपुर के होटल में रुके थे. 800 किलोमीटर दूर आकर तीनों खुद को सुरक्षित मान बैठे थे, लेकिन फर्जी आधार कार्ड बनवाने के दौरान खिंचवाए गए फोटो से फंस गए. इस शहर का पुराना नाम हाफिजाबाद था. यह नाम इस क्षेत्र के रोहिला नेता हाफिज रहमत खान के नाम पर रखा गया था. बाद में इसका नाम पास के एक गांव के नाम पर रखा गया. 

कई नामों से मशहूर है ये शहर
पीलीभीत पहले रोहिलखंड का हिस्सा था. 1879 में अंग्रेजों ने पीलीभीत को एक नया जिला बनाया था. पीलीभीत को 'टाइगर' शहर के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा बांसुरी नगरी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि भारत की लगभग 95 प्रतिशत बांसुरी यहीं से बनती और निर्यात की जाती थी. पीली और मिट्टी से पीलीभीत बना है. पीलीभीत का मतलब है, मुगल काल में पीली दीवारों वाला शहर. 

क्या है शहर का इतिहास?
कहा जाता है कि पीलीभीत पर मयूरध्वज या मोरध्वज या राजा वेणु नामक एक प्राचीन राजा का शासन था, जो भगवान कृष्ण का एक बड़ा भक्त और अर्जुन का एक वफादार दोस्त था. राजा वेणु का नाम और उनके राज्य का भूगोल हिंदू महाकाव्य महाभारत में पाया जा सकता है. यह शहर मुगल काल में बरेली सूबे के अंतर्गत एक प्रशासनिक इकाई थी. सुरक्षा के लिए मुगल सूबेदार अली मोहम्मद खान ने 1734 ई. में प्रशासनिक भवन के चारों ओर चार भव्य द्वार बनवाए. इन द्वारों का नाम पश्चिम में बरेली दरवाजा, पूर्व में हुसैनी दरवाजा, उत्तर में जहानाबादी दरवाजा और दक्षिण में दखिनी दरवाजा था. उचित रख-रखाव के अभाव में सभी द्वार नष्ट हो गए हैं, सिर्फ उनके खंडहर ही बचे हैं. उन्होंने पीलीभीत में एक जामा मस्जिद भी बनवाई. 

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निर्वासित रानी की मेजबानी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेपाल के डोटी के शाह वंश के अंतिम राजा पृथ्वीपति शाह को नेपाल के गोरखा साम्राज्य द्वारा हमला किए जाने के बाद 1789 ई. में रामपुर राज्य के शासक फैजुल्लाह खान ने पीलीभीत में शरण दी थी. पीलीभीत के स्वतंत्रता सेनानी मौलाना इनायतुल्लाह ने स्वेच्छा से अवध की निर्वासित रानी बेगम हजरत महल की मेजबानी की, जो 1859 के अंत में नेपाल पहुंचीं. पीलीभीत एक मानव-हत्यारे उप-वयस्क बाघ की वजह से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में था, जिसने जंगल और उसके आस-पास के पूरे इलाके में भय पैदा कर दिया था.  

पीलीभीत के जंगल
भारत सरकार के एक अनुमान के हिसाब से पीलीभीत में 45.23% आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है. बढ़ती जनसंख्या और बेरोजगारी क्षेत्र में चिंता का कारण है. भारत के 423 कस्बों और शहरों की सरकारी रैंकिंग सूची में स्वच्छता और सफाई के मामले में यह शहर तीसरे स्थान पर आया. यहां के जंगल धारीदार बिल्लियों, बाघ, भालू और पक्षियों की कई प्रजातियों का घर हैं. पीलीभीत में घने जंगल हैं और यहां हिरण, बारहसिंगा, भालू, और बाघ जैसे जानवर पाए जाते हैं. इस शहर में गौरी शंकर मंदिर है, जहां लोग दूर-दूर से पूजा करने आते हैं. यहां दिल्ली की तर्ज पर एक खूबसूरत मस्जिद भी है, जिसे जामा मस्जिद के नाम से जाना जाता है. 

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