Sambhal: संभल के इस 5 हजार साल पुराने पेड़ की परिकृमा से होती है संतान प्राप्ति, पूजा करने दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
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Sambhal: संभल के इस 5 हजार साल पुराने पेड़ की परिकृमा से होती है संतान प्राप्ति, पूजा करने दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

Sambhal News: पौराणिक और धार्मिक नगरी के तौर पर विख्यात रहे संभल में 5 हजार वर्ष प्राचीन कदंब का विशाल वृक्ष आज भी लोगों की अटूट आस्था का केंद्र है. मान्यता है कि इसकी परिकृमा करने से संतान प्राप्ति होती है. 

Sambhal: संभल के इस 5 हजार साल पुराने पेड़ की परिकृमा से होती है संतान प्राप्ति, पूजा करने दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

सुनील सिंह/संभल: उत्तर प्रदेश के संभल जिले की पौराणिक और धार्मिक नगरी के तौर पर भी विशेष पहचान है. संभल में आज भी ऐसे कई विशेष धार्मिक स्थल हैं, जो लोगों की अटूट आस्था का केंद्र हैं. पौराणिक और धार्मिक नगरी के तौर पर विख्यात रहे संभल में 5 हजार वर्ष प्राचीन कदंब का विशाल वृक्ष आज भी लोगों की अटूट आस्था का केंद्र है.

माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने रुक्मणि के हरण के बाद संभल में इसी कदंब के वृक्ष के नीचे रात्रि विश्राम किया था. मान्यता है , दीपावली के बाद इस कदंब के विशाल वृक्ष की परिक्रमा करने से सभी मनोकामना पूरी होने के साथ ही संतान की प्राप्ति होती है. वंश गोपाल तीर्थ के नाम से प्रख्यात कदम्व वृक्ष स्थल की परिक्रमा करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है.

संभल में बेनी पुर चक गांव के समीप वंश गोपाल तीर्थ में विशाल कदंब के वृक्ष के साथ ही 68 तीर्थ और 19 कूपों का भी विशेष धार्मिक महत्व है. मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणि के कदंब के इस वृक्ष के नीचे रात्रि विश्राम के बाद भगवान ब्रह्मा ने संभल में इन 68 तीर्थ और 19 कूपों का निर्माण कराया था. इन 68 तीर्थ और 19 कूपो की 24 कोसीय परिक्रमा करने से सभी मनोकामना पूरी होती हैं.

दीपावली के बाद कदंब और 68 तीर्थ ,19 कूपो की परिक्रमा करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु संभल पहुंचते हैं.
वंश गोपाल तीर्थ के नाम से विख्यात कदंब वृक्ष स्थल के महंत स्वामी भगवत प्रिय महाराज ने बताया की कदंब वृक्ष की पूजा अर्चना और परिक्रमा करने से सभी मनोकामना के साथ संतान की भी प्राप्ति होती है इसीलिए इस स्थल को वंश गोपाल तीर्थ के नाम से जाना जाता है .

उन्होंने बताया कि स्कंद पुराण में उल्लेख है कि 5 हजार वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने रुकमणी जी के हरण के बाद कदंब की इस वृक्ष के नीचे रात्रि विश्राम किया था. दीपावली के बाद कदंब वृक्ष और 68 तीर्थ 19 कूपो की 24 कोस की परिक्रमा का विशेष महत्व है. 

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