GST campaign against fake registration: देशभर में फर्जी जीएसटी पंजीकरण (fake gst registration) के खिलाफ जारी अभियान से ई-कॉमर्स कंपनियों (e-commerce companies) के लिये समस्या पैदा हो रही है
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GST campaign against fake registration: देशभर में फर्जी जीएसटी पंजीकरण (fake gst registration) के खिलाफ जारी अभियान से ई-कॉमर्स कंपनियों (e-commerce companies) के लिये समस्या पैदा हो रही है. ये कंपनिया विभिन्न राज्यों में न्यूनतम कर्मचारियों के साथ डिजिटल तरीके से कार्यालय चलाती हैं और वहां कोई बही-खाते नहीं होते. मेक माई ट्रिप के समूह उपाध्यक्ष तजिन्दर सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा कि जीएसटी अधिकारियों को बही-खाता नहीं देने को लेकर राज्यों में पंजीकृत ऐसे कार्यालयों को फर्जी इकाई में वर्गीकृत करने से पहले डिजिटल तरीके से कार्यरत कार्यालयों के संदर्भ में मुख्य कार्यालयों से पूछताछ करनी चाहिए.
सिंह ने कहा, ‘‘हमने राज्यों में डिजिटल कार्यालय खोला हुआ है... फर्जी पंजीकरण अभियान में क्षेत्रीय कार्यालयों ने इन कार्यालयों को फर्जी पंजीकरण के अंतर्गत मान लिया है. हालांकि, हम इन कार्यालयों का उपयोग केवल कर भुगतान के लिये कर रहे थे. उन पंजीकरण का उपयोग करके कोई आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) प्रवाह या धोखाधड़ी नहीं की जा रही थी. इस कारण, अनुपालन उद्देश्य के लिये बहुत सारे पंजीकरण ‘ब्लॉक’ कर दिये गये। इससे हमारे लिये समस्याएं पैदा हुई हैं.’’
केंद्र और राज्य जीएसटी प्राधिकरणों ने माल एवं सेवा कर के तहत फर्जी पंजीकरण पर लगाम लगाने के लिये 16 मई को अभियान शुरू किया था. फर्जी पंजीकरण का उपयोग मुख्य रूप से आईटीसी का गलत तरीके से दावा कर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने के लिये किया गया है.
इस अभियान में 45,000 फर्जी पंजीकरण चिन्हित किये गये हैं और 13,000 करोड़ रुपये की कर चोरी का पता लगा. साथ ही, गलत तरीके से 1,430 करोड़ रुपये के आईटीसी को ‘ब्लॉक’ किया गया. सिंह ने कहा कि क्षेत्रीय कार्यालयों को इस बात पर गौर करना चाहिए कि डिजिटल कार्यालय में बहुत कम कर्मचारी होते हैं और वे हर दिन दफ्तर नहीं आते। यह केवल राज्य जीएसटी कानून का अनुपालन के लिये गठित किया गया है और गलत तरीके से आईटीसी लेने के लिये नहीं है.
ई-कॉमर्स कंपनियों के समक्ष आ रही समस्याओं के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBIC) के सदस्य (GST) शशांक प्रिय ने कहा कि एक बात जो हम सलाह दे रहे हैं वह यह है कि जहां भी आपने डिजिटल कार्यालय की बात कही है, वहां फर्जी पंजीकरणकर्ता और ई-कॉमर्स परिचालक के बीच अंतर बहुत कम है.
प्रिय ने कहा, ‘‘आपको अपने बही-खातों को दिखाने में सक्षम होना चाहिए. कई बार अधिकारी जाते हैं तो वहां के लोग कहते हैं कि रिकॉर्ड हमारे पास नहीं है. मुख्य कार्यालय के पास है. तो इससे संदेह पैदा होता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि पंजीकरण के स्थान पर रिकॉर्ड रखने की आवश्यकता है, इसलिए रिकॉर्ड लाने और उन्हें दिखाने का एक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम होना चाहिए ताकि वे संतुष्ट हो सकें कि आप वैध पंजीकरणकर्ता हैं.’’
एजेंसी - इनपुट