Uttarakhand Char Dham Yatra news: अगर आप धार्मिक यात्राओं में जाने की इच्छा रखते हैं और आम आदमी हैं. तो हमारी ये खबर ध्यान से पढ़ें. क्योंकि इस बार उत्तराखंड (Uttarakhand) की चार धाम यात्रा को लेकर कई जगह ये कहा जा रहा है कि अगर आप किस्मत के धनी हैं या आपके पास खूब पैसे हैं, तभी आपको उत्तराखंड की चार धाम यात्रा पर जाना चाहिए. वहीं अगर आपके पास VIP या VVIP पहचान नहीं है, तो भी केदारनाथ-बद्रीनाथ धाम की यात्रा आपको संभलकर और सोच समझकर करनी चाहिए.
यात्रा के दौरान वहां पहुंचे लोगों का यह निजी अनुभव है. जो इस यात्रा के पैदल मार्ग पर पहुंचे हर आदमी से आपको सुनने को मिल जाएगा. इस यात्रा में जिस तरह की अव्यवस्था है, उसका अंदाजा यहां यात्रा कर आए लोगों की जुबानी सुनकर ही आपको पता लग जाएगी. केदारनाथ की यात्रा मार्ग पूरी तरह से अव्यवस्था, पैसे की दुकानदारों और अन्य की लूट का अड्डा बना हुआ है. प्रशासन नाम की चीज तो इस यात्रा के दौरान आपको देखने को ही नहीं मिलेगी.
यात्रा की शुरुआत गौरीकुंड से होती है. उसके पहले सोनप्रयाग से आपको गौरीकुंड तक जाने के लिए लोकल सवारी का सहारा लेना पड़ेगा. 5 किलोमीटर की दूरी के लिए आपको 50 रुपए किराया देना है. क्योंकि यहां इन लोकल गाड़ी वालों की मनमानी है. यह 5 किलोमीटर की यात्रा आपके भीतर इतना डर पैदा कर देगी कि आप सोच भी नहीं सकते. आप तब उत्तराखंड सरकार को कोसेंगे कि जिस सरकार के द्वारा इस यात्रा में सारी व्यवस्था का दावा किया जा रहा है, उसने उस यात्रा के शुरुआती सड़क मार्ग को इतना खराब क्यों रखा हुआ है. इसकी मरम्मत का काम सरकार क्यों नहीं कराती, यह सवाल आपके मन में उठेगा.
अब गौरीकुंड से जो पैदल मार्ग बाबा केदार के दर तक जाता है. वह कहीं से भी यात्रा मार्ग तो लगता ही नहीं. गहरी खाइयों के ऊपर से गुजर रहे इस मार्ग पर आपको रेलिंग कहीं मिलेगी, कहीं टूटी मिलेगी और कहीं तो रेलिंग मिलेगी ही नहीं. पूरे यात्रा मार्ग में बड़े-बड़े पत्थर बिखरे मिलेंगे. उस पर बजबजाता कीचड़ और घोड़े की लीद की बदबू से आपकी यात्रा का स्वागत होगा. यही सबकुछ आपके साथ चलता रहेगा. तब तक जब तक आप अपनी यात्रा पूरी कर बाबा केदार के दर तक ना पहुंच जाएं. अगर आप थक गए और घोड़े-खच्चर, पालकी से जाने की कोशिश कर रहे हैं तो आपसे मनमाना पैसा वसूला जाएगा.
यात्रा से वापस आए लोगों ने बताया कि आप अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद लेकर चलें क्योंकि पूरे यात्रा मार्ग पर आपको एक भी पुलिस वाले कहीं भी नहीं दिखेंगे और साथ ही कहीं भी मेडिकल सुविधा की अगर आपको जरूरत पड़ जाए तो आपको यहां कहीं भी डॉक्टर या मेडिकल स्टोर देखने को नहीं मिलेगा. इसके साथ ही पूरे यात्रा मार्ग में आपको 20 रुपए की पानी की बोतल के बदले 100 से 200 रुपए तक की धन राशि चुकानी पड़ेगी. इसके साथ ही खाने के लिए प्रति व्यक्ति 400 से 600 रुपए देने पड़ सकते हैं.
इसके साथ ही रास्ते भर आपको अगर नींबू पानी भी पीनी है तो इसके लिए 40 से 100 रुपए तक चुकाने पड़ेगा. मंदिर के प्रांगण में पहुंचने से पहले आपको वहां ठहरने के लिए कैंप की व्यवस्था अगर मिली तो इसके लिए भी 4,000 से 10,000 तक चुकाने पड़ सकते हैं. नहाने के लिए एक बाल्टी गर्म पानी की कीमत 100 से 200 रुपए होगी और बाबा केदार की प्रसाद की कीमत 500 रुपए तक चुकानी पड़ेगी. इसके साथ ही बाबा के मंदिर के अंदर दर्शन करने में आपको लाइन में जितनी असुविधा हो रही है, इससे बचने के लिए आपको वहां के पुजारियों की कृपा की जरूरत है, जिसकी कीमत 2,500 से 5,000 रुपए तक हो सकती है.
यहां यात्रा कर आए लोगों ने बताया कि प्रशासन की लापरवाही की वजह से यात्रा मार्ग में घोड़े और खच्चर वाले आपको धक्का देते हुए निकलेंगे. आप इससे हादसे का शिकार हो सकते हैं, लेकिन, इन घोड़े-खच्चर वालों पर लगाम लगाने के लिए शासन-प्रशासन की तरफ से ना तो कई व्यवस्था है, ना ही यात्रा मार्ग में इसे रोकने के लिए कोई पुलिस वाला तैनात किया गया है.गंदगी पूरे यात्रा मार्ग में इतनी कि आपकी श्रद्धा और आस्था इस गंदगी पर चलकर ही धूमिल हो जाए. वहीं अगर आपके पास हेली सेवा से जाने के लायक पैसे भी हैं और आप ऐसी यात्रा के बारे में भी सोच रहे हैं तो यहां भी अव्यवस्था भरी पड़ी है. आपके सामने लोगों से मनमाना पैसा वसूलकर आपके सामने आपकी कंफर्म टिकट के बाद आपको वेटिंग में रखकर दूसरे यात्री जिन्होंने ज्यादा पैसे दिए हैं, उनको यात्रा कराई जा रही है.
यहां सोन प्रयाग में भी यात्रा शुरू करने से पहले अगर आपको होटल में ठहरना पड़ जाए तो आपको मनमाना पैसा देना होगा. मानो यहां होटल वाले वसूली का धंधा चला रहे हों. ऐसी ही व्यवस्था बद्री विशाल के मंदिर में भी है, जहां चांदी की आरती, स्वर्ण आरती, अभिषेक के नाम पर 5,100, 11,000 से लेकर 15,000 तक वसूले जा रहे हैं. यहां भी खाने-पीने की चीजें इतनी महंगी हैं कि इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है. सामान्य लोगों को दर्शन बाहर से ही कराकर वापस कर दिया जाता है. जबकि, वह वीआईपी या वीवीआईपी लोगों से ज्यादा मशक्कत कर बाबा के दर तक पहुंचते हैं. जबकि, वीआईपी या वीवीआईपी लोगों को भगवान के गर्भ गृह तक जाने का मौका आसानी से मिल जाता है.
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