Ganesh Jayanti 2025 Mantra: माघ मास की शुक्ल चतुर्थी को गणेश जयंती मनाई जाती है. इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा का विधान है. आइए जानते हैं कि इस दिन गणपति को प्रसन्न करने के लिए किन मंत्रों का जाप करना चाहिए.
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Ganesh Jayanti 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश जयंती का व्रत रखा जाता है. शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन माता पार्वती और भगवान शिव के छोटे पुत्र, भगवान गणेश का जन्म हुआ था. इस कारण इस तिथि को गणेश जयंती के रूप में मनाया जाता है. गणेश जयंती को माघी गणेशोत्सव, माघ विनायक चतुर्थी, वरद चतुर्थी और वरद तिल कुंद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. इस साल माघ में पड़ने वाली गणेश चतुर्थी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बुधवार के दिन आ रही है, जो कि स्वयं भगवान गणेश को समर्पित है. इसके साथ ही, इस दिन रवि योग और शिव योग जैसे शुभ संयोग भी बन रहे हैं. आइए जानते हैं गणेश जयंती के शुभ मुहूर्त और भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए 5 प्रभावशाली मंत्रों के बारे में.
गणेश जयंती 2025 शुभ मुहूर्त
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, गणेश जयंती के लिए आवश्यक माघ शुक्ल चतुर्थी तिथि 1 फरवरी को दिन में 11:38 बजे से शुरू होकर 2 फरवरी को सुबह 9:14 बजे तक रहेगी. पूजा मुहूर्त के अनुसार, इस साल गणेश जयंती 1 फरवरी, शनिवार को मनाई जाएगी. इसे माघ विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन भगवान गणपति बप्पा का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जाएगा.
गणेश जयंती 2025 पूजा मुहूर्त
1 फरवरी को गणेश जयंती की पूजा का शुभ समय दिन में 11:38 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक रहेगा. इस दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए कुल 2 घंटे 2 मिनट का शुभ मुहूर्त उपलब्ध होगा.
मंत्र - 1
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
यह गणेश जी का सबसे लोकप्रिय मंत्र है. इसका अर्थ है: जिनकी सूंड घुमावदार है, जिनका शरीर विशाल और तेजस्वी है, जो करोड़ों सूर्यों के समान चमकते हैं, वे भगवान मेरे सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूरे करें.
मंत्र - 2
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय।
लंबोदराय सकलाय जगद्धिताय।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय।
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
इस मंत्र में गणेश जी की विशेषताएं बताई गई हैं. वे विघ्नों को हरने वाले, वरदान देने वाले, देवताओं के प्रिय, लंबोदर, सभी कलाओं के जानकार और जगत का भला करने वाले हैं. उनका मुख गज के समान है और वेद-यज्ञ से विभूषित हैं. देवी पार्वती के पुत्र गणनाथ को नमस्कार है.
मंत्र - 3
अमेयाय च हेरंब परशुधारकाय ते।
मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः।।
इस मंत्र का अर्थ है: हे हेरंब, आप अमाप्य हैं (जिनका आकलन नहीं किया जा सकता). आप परशु धारण करते हैं. आपका वाहन मूषक है. आप पूरे संसार के स्वामी हैं. आपको बार-बार नमस्कार है.
मंत्र - 4
एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
यह मंत्र कहता है: जिनके पास एक ही दांत है और जिनका मुख सुंदर है, उन्हें प्रणाम. जो अपनी शरण में आए लोगों की रक्षा करते हैं और उनके दुखों का नाश करते हैं, उन्हें बारंबार नमस्कार.
मंत्र - 5
एकदंताय विद्महे।
वक्रतुंडाय धीमहि।
तन्नो दंती प्रचोदयात।।
यह गणेश जी का एक प्रसिद्ध मंत्र है. इसमें कहा गया है: एकदंत को हम जानें. वक्रतुंड भगवान का हम ध्यान करें. हे दंती (गणेश जी), हमें प्रेरित करें और हमारा कल्याण करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)