Ganesha Shrap Story: आखिर किसके श्राप की वजह से गणेशजी को नहीं चढ़ाई जाती तुलसी, बेहद दिलचस्प है प्रसंग
Advertisement
trendingNow12613780

Ganesha Shrap Story: आखिर किसके श्राप की वजह से गणेशजी को नहीं चढ़ाई जाती तुलसी, बेहद दिलचस्प है प्रसंग

Why Tulsi is not offered to Lord Ganesha: वैसे तो अक्सर लोग जानते हैं कि भगवान गणेश की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा किसके श्राप की वजह से है. आइए जानते हैं रोचक प्रसंग.

Ganesha Shrap Story: आखिर किसके श्राप की वजह से गणेशजी को नहीं चढ़ाई जाती तुलसी, बेहद दिलचस्प है प्रसंग

Why Tulsi is not offered to Lord Ganesha: भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और उनके आगमन से घर में शुभता और सकारात्मकता का वास होता है. कोई भी शुभ कार्य भगवान गणेश की आराधना के बिना पूरा नहीं माना जाता. गणेशजी को मोदक अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए उनकी पूजा में मोदक के साथ रोली, अक्षत, दूर्वा, पुष्प, इत्र और सिंदूर अर्पित किए जाते हैं. हालांकि, भगवान गणेश को तुलसी चढ़ाना वर्जित माना गया है. इसके पीछे एक रोचक पौराणिक कथा है, जो माता तुलसी से जुड़ी हुई है. आइए जानते हैं इस कथा के बारे में.

जब तुलसी हो गईं मोहित

पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार भगवान गणेश गंगा नदी के तट पर तपस्या कर रहे थे. उस समय माता तुलसी वहां से गुजरीं. उन्होंने देखा कि गणेशजी रत्नजटित सिंहासन पर विराजमान थे, उनके अंग चंदन से सुगंधित थे, गले में पारिजात पुष्पों और स्वर्ण-मणि हारों से शोभायमान थे और कमर पर कोमल रेशमी पीताम्बर धारण किए हुए थे. भगवान गणेश के इस मोहक रूप को देखकर माता तुलसी मोहित हो गईं और उनके मन में गणेशजी से विवाह करने की इच्छा जाग्रत हुई.

क्यों हुआ रिद्धि-सिद्धि से विवाह

अपनी इच्छा प्रकट करने के लिए माता तुलसी ने भगवान गणेश की तपस्या भंग कर दी. यह देख भगवान गणेश क्रोधित हो गए. जब तुलसी ने विवाह का प्रस्ताव रखा, तो गणेशजी ने खुद को ब्रह्मचारी बताते हुए प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया. उनके इनकार से तुलसी नाराज हो गईं और उन्होंने गणेशजी को श्राप दे दिया कि उनका विवाह दो बार होगा. इस श्राप के परिणामस्वरूप भगवान गणेश का विवाह रिद्धि और सिद्धि से हुआ.

असुर से तुलसी का विवाह

श्राप सुनकर गणेशजी भी क्रोधित हो गए और उन्होंने तुलसी को श्राप दे दिया कि उनका विवाह एक असुर से होगा. यह सुनकर तुलसी भयभीत हो गईं और उन्होंने गणेशजी से क्षमा मांगी. तब गणेशजी ने कहा कि उनका विवाह असुर शंखचूर्ण से होगा, जो दैत्यराज दंभ का पुत्र था. हालांकि, गणेशजी ने तुलसी को यह आशीर्वाद भी दिया कि वह भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होंगी और कलियुग में मोक्षदायिनी पौधे के रूप में पूजनीय बनेंगी.

इसलिए विष्णु जी की पूजा में तुलसी है अनिवार्य

तभी से यह परंपरा बनी कि भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी अनिवार्य मानी जाती है, लेकिन भगवान गणेश की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Trending news