Netaji 128 Anniversary: नेताजी सुभाष चंद्र बोस धर्म जाति और भाषा से ऊपर थे. उनके लिए नेशन फर्स्ट था. उनकी विरासत हमेशा देश के लिए प्रेरणा स्रोत है. आजाद हिंद फौज में सभी धर्मों के सैनिक एक साथ भोजन करते थे.
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Subhas Chandra Bose Jayanti 2025: आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती को देश पराक्रम के रूप में मना रहा है. नेताजी ना केवल एक जोरदार नेता थे बल्कि वे सांप्रदायिक एकता और समानता के प्रतीक भी थे. उनकी जिंदगी के अनेक किस्से आज भी लोगों को प्रेरणा देते हैं. इसी कड़ी में नेताजी के परपोते चंद्र कुमार बोस ने उनके जीवन से जुड़ा एक किस्सा बताया है. यह किस्सा नेताजी के धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण को भी दर्शाता है कि कैसे उनके अंदर देशप्रेम की भावना धर्म और जातपात से काफी ऊपर थी.
सिंगापुर मंदिर का किस्सा
असल में वो साल 1944 का था जब नेताजी आजाद हिंद फौज के साथ सिंगापुर में थे. वहां के चेत्तियार हिंदू समुदाय ने उन्हें अपने मंदिर आने का निमंत्रण दिया. मंदिर के पुजारी ने यह शर्त रखी कि नेताजी केवल हिंदू अधिकारियों के साथ ही मंदिर आ सकते हैं. नेताजी ने साफ शब्दों में कहा कि मेरी फौज में कोई हिंदू, मुस्लिम, सिख या ईसाई नहीं है. सभी केवल भारतीय हैं. अगर आप सभी भारतीय अधिकारियों को अनुमति देंगे तभी मैं आऊंगा. उनकी यह बात सुनकर पुजारी ने सभी अधिकारियों का स्वागत किया.
सांप्रदायिक एकता का पाठ
मंदिर में नेताजी अपने सभी धर्मों के साथियों के साथ पहुंचे जहां सभी का तिलक लगाकर स्वागत किया गया. उन्होंने अपने भाषण में कहा कि आजादी की लड़ाई में धर्म जाति या संप्रदाय का कोई स्थान नहीं है. मंदिर से बाहर आने के बाद उन्होंने कहा कि मंदिर के अंदर मैं हिंदू था लेकिन बाहर मैं सिर्फ भारतीय हूं. जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये किस्सा उनके परपोते चंद्र कुमार बोस ने शेयर किया है.
आजाद हिंद फौज में थी सबके लिए एक रसोई
इतना ही नहीं ब्रिटिश आर्मी में धर्म के आधार पर अलग-अलग रसोई बनाई जाती थीं. लेकिन नेताजी ने आजाद हिंद फौज में सभी के लिए एक ही रसोई रखी. सभी धर्मों के सैनिक एक साथ भोजन करते थे. नेताजी का कहना था कि उनकी फौज धर्म के आधार पर नहीं बनी, बल्कि देशभक्ति के जज्बे से बनी है.
परिवार के लिए भी अनुशासन प्रिय थे नेताजी
परपोते चंद्र कुमार बोस ने बताया कि नेताजी का परिवार के प्रति गहरा लगाव था. उन्होंने अपने परिवार में रात के भोजन के लिए दो रोटी का नियम बनाया, ताकि स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जा सके. व्यस्त होने के बावजूद वे परिवार के छोटे सदस्यों के साथ समय बिताते और खेलते थे.नेताजी संयुक्त परिवार के प्रबल समर्थक थे. उनका बचपन अपने भाई-बहनों के साथ कोलकाता के एल्गिन रोड स्थित घर में बीता. वे मानते थे कि परिवार की एकता देश की एकता का प्रतिबिंब है.