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Facts About Lord Jagannath: चार धाम में से एक माने जाने वाले पुरी जगन्नाथ की रथ यात्रा की तैयारियां शुरू कर दी गई है. इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ विराजमान हैं. बता दें कि भगवान श्री कृष्ण अपने भाई बहन के साथ पुरी अपनी मौसी से मिलने आए थें. जहां पर उन सभी की तबीयत 15 दिनों के लिए खराब हो गई थी. जिसके बाद उन्हें राजवैध और औषधियों द्वारा ठीक किया गया था. इसके बाद वह सभी नगर भ्रमण के लिए फिर से निकले थें. इसी प्रथा को आज भी निभाया जा रहा है.
यही कारण है कि तीनों भगवान 15 दिनों के लिए एकांतवास में चले जाते हैं. जिसके बाद रथ यात्रा पर वह शहर भ्रमण के लिए निकलते हैं. बता दें कि इस रथ यात्रा की एक खास बात यह भी है कि इसमें जिस रथ का प्रयोग किया जाता है उस रथ की लकड़ी को किसी आम कुल्हाड़ी से नहीं बल्कि सोने की कुल्हाड़ी से काटा जाता है, ऐसा क्यों आइए जानें.
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सोने की कुल्हाड़ी से इसलिए काटी जाती है रथ की लकड़ी
बता दें कि रथ यात्रा को तैयार किए जाने वाली लकड़ी को सोने की कुल्हाड़ी से काटते हैं. शुभ दिन अक्षय तृतिया से ही रथ को बनाने की तैयारी शुरू कर दी जाती है, जिसे बनने में पूरे 2 महीने का समय लगता है. रथ को बनाने से पहले लकड़ी का चुनाव करते हैं. जिसके लिए मंदिर समिति के लोग वन विभाग के अधिकारियों को सूचना देते हैं कि उन्हें रथ यात्रा की रथ के लिए लकड़ी काटनी है.
इसके बाद पुजारी जंगल जाकर उन पेड़ों की पूजा करते हैं, जिनका प्रयोग रथ बनाने के लिए किया जाएगा. कारपेंटर कम्युनिटी के सदस्य पेड़ों पर सबसे पहले सोने की कुल्हाड़ी लगाते हैं. सोने की इस कुल्हाड़ी को पहले ही भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा से स्पर्श करा दिया जाता है. जिससे कि उनका आशीर्वाद प्राप्त हो.
जानें पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा का शुभ मुहूर्त
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को जगन्नाथ यात्रा निकाली जाती है. जो कि इस साल 7 जुलाई सुबह 4 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 8 जुलाई को सुबह 4 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी. यानि रविवार 7 जुलाई के दिन रथ यात्रा के लिए शुभ होगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)