Gaza Crisis: रूस और चीन ने मध्य पूर्व पर अमेरिकी मसौदा प्रस्ताव को वीटो कर दिया, जबकि रूस के प्रस्ताव के पक्ष में पर्याप्त मत ना होने की वजह से वो पारित नहीं हुआ.
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Israel-Hamas War: अमेरिका और रूस दोनों बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में गाजा संघर्ष पर प्रस्ताव पारित कराने में नाकाम रहे. रूस और चीन ने मध्य पूर्व पर अमेरिकी मसौदा प्रस्ताव को वीटो कर दिया, जबकि रूस के प्रस्ताव के पक्ष में पर्याप्त मत ना होने की वजह से वो पारित नहीं हुआ. इस तरह यूएस सुरक्षा परिषद में इजरायल और गाजा को लेकर गतिरोध जारी रहा.
सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य देशों ने पहले अमेरिका द्वारा लाए प्रस्ताव के मसौदे पर वोटिंग की. लेकिन चीन और रूस द्वारा वीटो अधिकार का इस्तेमाल किए जाने की वजह से पारित नहीं हुआ.
परिषद के 10 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट डाले, जबकि तीन सदस्यों ने विरोध [चीन, रूस, संयुक्त अरब अमीरात] में वोट डाले. दो देशों [ब्राजील, मोजाम्बीक] ने मतदान में हिसा नहीं लिया.
बता दें सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों [चीन, फ्रांस, रूसी महासंघ, ब्रिटेन, अमेरिका] - में से किसी एक के भी विरोध में मतदान (वीटो) करने से, परिषद में पेश किए गए किसी भी प्रस्ताव पर रोक लग जाती है.
रूस-समर्थित प्रस्ताव
रूस द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव के मसौदे को केवल चार सदस्य देशों [चीन, गेबॉन, रूस, संयुक्त अरब अमीरात] का ही समर्थन मिल पाया. दो [अमेरिका, ब्रिटेन] ने विरोध में वोट डाले. वहीं नौ देशों [अल्बानिया, ब्राजील, इक्वाडोर, फ्रांस, घाना, जापान, माल्टा, मोजाम्बीक, स्विटज़रलैंड] ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.
किसी प्रस्ताव को पारित होने के लिए, उसे सुरक्षा परिषद के कम से कम 9 सदस्य देशों का समर्थन मिलना ज़रूरी है.
दोनों प्रस्तावों में यह थी कॉमन बात
रूस अमेरिका दोनों के प्रस्तावों में ‘मानवतावादी युद्धविराम’ या ‘मानवतावादी ठहराव’ की अपील की गई, ताकि हताश आम नागरिकों तक सहायता सामग्री पहुंचाई जा सके.
दोनों प्रस्तावों में, हमास के इजरायल पर किए 7 अक्टूबर के आतंकी हमलों की निन्दा की गई. साथ ही, गाजा पट्टी में बद से बदतर होते मानवीय संकट से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की गई.
दोनों प्रस्तावों में यह थी अलग बात
अमेरिका के प्रस्ताव में सदस्य देशों के आत्म-रक्षा के अन्तर्निहित अधिकार का उल्लेख किया गया था, जबकि रूस के प्रस्ताव में इजरायली सेना के गाजा के निवासियों को तत्काल दक्षिणी हिस्से में जाने के आदेश को वापिस लेने की बात कही गई थी.