Dairy Products Use: दुनिया में एक देश ऐसा भी है, जहां के लोग अपनी तेज बुद्धि और मेहनत के लिए विख्यात हैं. लेकिन वहां पर दूध-दही-घी समेत डेयरी प्रॉडक्ट्स को खाने से परहेज किया जाता है. इसके पीछे उनकी अजीब सी एक मान्यता है.
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Japan Interesting Facts: घी-दूध और मलाई खाना सेहत के लिए अच्छा माना जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया में एक देश ऐसा भी जहां पर ये सब चीजें खाने पर बैन जैसा माहौल है. दिलचस्प बात ये है कि यह देश के सबसे ज्यादा बुद्धिमान और मेहनती लोगों का घर कहा जाता है. दुनिया की इकॉनॉमी पर इसका राज चलता है. अपने इनोवेशन के बल पर यह देश अब तक 26 से ज्यादा नोबेल पुरस्कार जीत चुका है. अब आप शायद सही देश का अंदाजा लगा चुके होंगे.
आज तक नहीं बना किसी का गुलाम
अगर आप अमेरिका के बारे में सोच रहे हैं तो आपका अंदाजा गलत है. यह एशिया का देश जापान (Japan Interesting Facts) है. भारत से करीब 5500 किमी दूर बसा यह देश भारत के कुल क्षेत्रफल का केवल 10वां हिस्सा ही है. इसकी आबादी करीब 10 करोड़ है. यह देश इतिहास में आज तक किसी का गुलाम नहीं बना और 2700 सालों से आजाद है. अपनी अनुशासित जिंदगी की वजह से वहां के लोग करीब 80 साल से ज्यादा उम्र तक जीते हैं.
डेयरी प्रॉडक्ट्स यूज नहीं करते लोग
इतना कुछ होने के बावजूद वहां पर डेयरी प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल न के बराबर होता है. इसकी वजह ये है कि जापान के 80 फीसदी हिस्से में पहाड़ियां हैं. जिसके चलते वहां पर गाय-भैंस पालने की परंपरा कभी विकसित ही नहीं हो पाई. वहां पर दूध, दही, घी और मलाई का इस्तेमाल न के बराबर होता है. quora वेबसाइट के मुताबिक जापान के लोगों को डेयरी प्रॉडक्ट्स की गंध अच्छी नहीं लगती है. इसके चलते वे उससे दूरी बनाए रखते हैं.
डेयरी प्रॉडक्ट्स में से आती है दुर्गंध
जापान (Japan Interesting Facts) पर रिसर्च करने वाले अवेरी मोरॉव (Avery Morrow) के अनुसार जापानी मानते हैं कि यूरोप के लोगों में अजीब सी दुर्गंध आती है. इसकी वजह ये हो सकती है कि वे बहुत ज्यादा दूध-मक्खन खाते हैं और बहुत कम नहाते हैं. जबकि वे रोज नहाते हैं और साफ सफाई भी रखते हैं. ऐसे में अगर वे भी डेयरी प्रॉडक्ट्स खाने लगे तो उनमें से भी दुर्गंध आने लगेगी. इसी सोच की वजह से वे दूध-घी, मलाई से दूर बनाए रखते रहे हैं. हालांकि अब वक्त बदलने के साथ वहां के लोगों की सोच में भी बदलाव आया है और वे पशुपालन करने लगे हैं. लेकिन वे ऐसा दूध के लिए नहीं बल्कि पशुओं के मांस का निर्यात करने के लिए करते हैं.
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