PAK में एक और आफत... मीडियाकर्मियों की 9 साल से हो रही दुर्दशा, दुनिया के सामने जलील हुई सरकार
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PAK में एक और आफत... मीडियाकर्मियों की 9 साल से हो रही दुर्दशा, दुनिया के सामने जलील हुई सरकार

Pakistani media industry grappling financial challenges: अभी तक आप सबने पाकिस्तान में जनता की बदहाली की खबरें खूब सुनी होंगी. लेकिन अब जो खबर सामने आई है, उससे पाकिस्तान सरकार पूरी दुनिया में फजीहत हो रही है. जनता की आवाज कहे जाने वाले पत्रकारों की अब पाकिस्तान में आवाज ही बंद हो गई है. उनके हक की लड़ाई अब कोई और ही लड़ रहा है. जानें पूरी खबर.

PAK में एक और आफत... मीडियाकर्मियों की 9 साल से हो रही दुर्दशा, दुनिया के सामने जलील हुई सरकार

Pakistani media crisis: पाकिस्तान में महंगाई को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. लोग सरकार के विरोध में खुलकर बोल रहे हैं. वहां खाने-पीने की चीजों की कीमतें आसमान छू रहीं हैं. आटा और रोटी इतनी महंगी हैं कि आम लोग खरीद नहीं पा रहे हैं. इस तरह की तमाम खबरें आप सबने अभी तक देखी, सुनी और पढ़ी होगी लेकिन आपको अगर हम ये बताएं कि पाकिस्तान में पत्रकारों के लिए लाले पड़े हैं तो आप यकीन नहीं करेंगे लेकिन यह सच है. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, पाकिस्तान का मीडिया उद्योग इन दिनों जबरदस्त वित्तीय चुनौतियों से जूझ रहा है, जिसकी वजह से पत्रकारों का वेतन समय से नहीं मिल पा रहा है. कुछ मामलों में तो भुगतान ही नहीं हो रहा है. इस परेशानी के बाद पत्रकारों को अपना घर चलाना मुश्किल हो रहा है. पूरे देश के पत्रकार इन दिनों परेशान हैं. उनकी जिंदगी तहस-नहस है.

पाकिस्तान में 375 पत्रकारों को नहीं मिल रहा वेतन
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने बोल नेटवर्क द्वारा नियोजित मीडिया कर्मियों के बकाया भुगतान न किए जाने के मुद्दे पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. एक्स पर एक पोस्ट में आयोग ने कहा, "एचआरसीपी कराची के पत्रकारों के संघ की रिपोर्ट से बहुत चिंतित है कि 375 मीडिया कर्मियों की एक लिस्ट है जो पहले बोल नेटवर्क में काम करते थे और कुछ करते हैं उन्हें अगस्त 2024 से सभी भुगतानों का निपटान करने के लिए पीईएमआरए के बार-बार निर्देशों के बावजूद अभी भी उनका बकाया नहीं मिला है. कुछ ने अपने बकाया भुगतान के लिए नौ साल तक इंतजार किया है."

पत्रकारों के नाम पर सरकार की हो रही फजीहत
एचआरसीपी ने बताया है कि उचित और समय पर वेतन का अधिकार पाकिस्तान के श्रम कानूनों के तहत है और इस अधिकार को बनाए रखने में विफलता श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए देश की प्रतिबद्धता को खराब रूप से दर्शाती है. जिससे पूरी दुनिया में सरकार की फजीहत हो रही है. एचआरसीपी ने कहा, "जबकि उचित वेतन और समय पर वेतन पाने का अधिकार देश के श्रम कानूनों के तहत संरक्षित है, लेकिन मीडिया में इस तरह के मामले पत्रकारिता के मानकों के लिए नुकसानदेह हो गए हैं. बोल न्यूज़ प्रबंधन और अन्य सभी मीडिया घरानों ने वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों के भुगतान रोक रखे हैं, उन्हें सभी बकाया राशि का तुरंत भुगतान करना चाहिए." 

पाकिस्तान में पत्रकारों को सबसे न्यूनतम वेतन कितना?
पिछले साल दिसंबर में एक संसदीय पैनल ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय और पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विनियामक प्राधिकरण (पेमरा) से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि मीडिया घराने अपने कर्मचारियों को न्यूनतम 37,500 पाकिस्तानी रुपए (पीकेआर) मासिक वेतन प्रदान करें, जैसा कि डॉन ने बताया. रिपोर्ट के अनुसार, सूचना और प्रसारण पर नेशनल असेंबली की स्थायी समिति की उप-समिति ने मीडिया कर्मियों के अधिकारों की रक्षा के लिए उपायों का प्रस्ताव दिया था, जिसमें गैर-अनुपालन के मामले में मीडिया घरानों को विज्ञापन रोकना, समाचार पत्र कर्मचारियों के लिए कार्यान्वयन न्यायाधिकरण (आईटीएनई) की संख्या बढ़ाकर पाँच करना और मीडिया संगठनों में तीसरे पक्ष के अनुबंधों को समाप्त करना शामिल है.

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