Pitra Dosh: पितृ दोष के कारण आ सकती है गर्भधारण में समस्या, निवारण के लिए करें ये उपाय

Pitra Dosh: यदि किसी परिवार को नियमित रूप से कई अप्रत्याशित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है या किसी दंपति को अपना बच्चा नहीं हो रहा है या नवजात शिशु स्वस्थ नहीं हैं या वे शारीरिक या मानसिक रूप से कमजोर है, तो इन सबका मुख्य कारण पितृ दोष हो सकता है.

Written by - Manish Pandey | Last Updated : Dec 16, 2022, 12:34 PM IST
  • छोटी-छोटी बातों पर अनबन
  • संतान से जुड़ी कई समस्याएं
Pitra Dosh: पितृ दोष के कारण आ सकती है गर्भधारण में समस्या, निवारण के लिए करें ये उपाय

नई दिल्ली. पितृ दोष को एक प्रकार का अदृश्य कष्ट माना जाता है. मान्यता है कि जब किसी की अकाल मृत्यु हो या मृत्यु के बाद किसी का विधि-विदान से अंतिम संस्कार नहीं किया गया हो तो उसके वंशजों को पितृ दोष लगता है. पितृ दोष से पीड़ित लोगों को अपने विवाह को लेकर गर्भधारण करने तक में समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

पितृ दोष के लक्षण
- पितृ दोष से पीड़ित जातक को संतान से जुड़ी कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. इसके अलावा उनके बच्चे को शारीरिक या मानसिक परेसानी हो सकती है.
- पितृ दोष से घर में प्रतिकूल वातावरण होता है. पति-पत्नी के बीच छोटी-छोटी बातों पर अनबन हो सकती है. ये सभी परेशानियां पितृ दोष के कारण ही उत्पन्न होती हैं.
- पितृ दोष से पीड़ित लोगों को अपने विवाह को लेकर समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उनके तमाम प्रयासों के बावजूद समय पर शादी नहीं हो पाती है.
- पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति नियमित रूप से कर्ज के बोझ तले दबे रहते हैं और तमाम कोशिशों के बावजूद अपना कर्ज नहीं चुका पाते हैं.
- इस दोष के कारण परिवार हमेशा बीमारियों से घिरा रहता है जिससे उस परिवार को शारीरिक के साथ-साथ आर्थिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है.
- यदि किसी परिवार की आर्थिक स्थिति में प्रगति नहीं हो रही है और वे हमेशा अभावों से घिरा रहता हो तो यह भी पितृ दोष का प्रभाव हो सकता है. ऐसे में व्यक्ति जिस भी काम को करता है उसमें सफलता नहीं मिल पाती है.
- अगर कोई परिवार पितृ दोष से पीड़ित है तो परिवार के किसी सदस्य को सपने में सांप दिखाई दे सकता है या वह अपने पूर्वज को भोजन या कपड़े मांगते हुए देख सकता है.

पितृ दोष से छुटकारा पाने के उपाय 
त्रिपिंडी श्राद्ध करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है. जिस तिथि को पूर्वजों की मृत्यु हुई हो उस तिथि को श्राद्ध करना चाहिए
बरगद के पेड़ में जल देना चाहिए. प्रत्येक अमावस्या को ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए. हर अमावस्या और पूर्णिमा पर किसी मंदिर या अन्य धार्मिक स्थानों पर खाद्य सामग्री का दान करना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)

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