भारत की जिस मिसाइल की दुनिया दीवानी, उसका नया वर्जन एयरफोर्स को अगले साल मिलेगा, जानें- खासियत

Indian airforce: ब्रह्मोस एनजी का वजन 1.6 टन है और यह 6 मीटर लंबी है जबकि पुरानी मिसाइल का वजन 3 टन था और वह 9 मीटर लंबी थी. मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है और इसकी गति 3.5 मैक तक है.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Feb 13, 2025, 10:50 AM IST
भारत की जिस मिसाइल की दुनिया दीवानी, उसका नया वर्जन एयरफोर्स को अगले साल मिलेगा, जानें- खासियत

IAF to get BrahMos Next Generation  missile system: भारत की सबसे शक्तिशाली ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल में और बेहतर बनाने की दिशा में काम चल रहा है. अब ब्रह्मोस एनजी (नेक्स्ट जेनरेशन) मिसाइल प्रणाली का विकास अंतिम चरणों में है. उम्मीद है जल्द भारत की रक्षा के लिए BrahMos नेक्स्ट जेनरेशन तैनात होगी.

बताया गया कि अगर चीजें इसी तरह चलती रहीं, तो इसका प्रोडक्शन अगले दो से तीन साल में शुरू हो सकता है.

भारत-रूस संयुक्त वेंचर ब्रह्मोस के महानिदेशक जयतीर्थ आर जोशी ने कहा, 'कार्य बहुत आगे तक बढ़ चुका है, हम अगले साल तक इसके साथ पहली उड़ान भर सकते हैं और प्रोडक्शन 2027-28 से शुरू होगा.'

वहीं, नवभारत टाइम्स (एनबीटी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, जोशी ने खुलासा किया कि वायुसेना को 2026 के अंत तक एडवांस ब्रह्मोस एनजी मिसाइलें मिल जाएंगी, जिन्हें , जिन्हें भारतीय वायुसेना के सुखोई एसयू-30 लड़ाकू विमानों पर फिट किया जाएगा. बताया गया कि फर्म ब्रह्मोस एनजी मिसाइलों के निर्माण के लिए लखनऊ, उत्तर प्रदेश में एक नई इकाई का निर्माण कर रही है.

बता दें कि ब्रह्मोस एनजी विकसित होने के बाद छोटी डिलीवरी प्रणालियों के लिए भी अनुकूल होगी.

BrahMos नेक्स्ट जेनरेशन कैसे मिलाइल है?
बताया गया, 'ब्रह्मोस एनजी एक स्लीकर मिसाइल है जिसमें पहली जैसी ही समान ही क्षमताएं हैं. लेकिन हम अत्याधुनिक तकनीक विकसित कर रहे हैं ताकि मिसाइल स्लीकर बन जाए और प्रभाव समान रहें.'

ब्रह्मोस एनजी की रेंज पहले की तरह 290 किलोमीटर होगी और इसे कई प्लेटफार्मों पर लगाया जाएगा. ब्रह्मोस एनजी हल्की, छोटी और कॉम्पैक्ट होने के कारण रूसी मूल के सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमान और स्वदेशी रूप से विकसित हल्के लड़ाकू विमान तेजस में फिट की जा सकेगी.

तुलना करें तो ब्रह्मोस एनजी का वजन 1.6 टन है और यह 6 मीटर लंबी है जबकि पुरानी मिसाइल का वजन 3 टन था और वह 9 मीटर लंबी थी. मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है और इसकी गति 3.5 मैक तक है. इसके अलावा, ब्रह्मोस एनजी में पिछले संस्करण की तुलना में कम रडार क्रॉस-सेक्शन होगा. इसमें AESA रडार के साथ एक होममेड सीकर होगा.

दुनियाभर में फेमस हो रही ये मिसाइल
इस मिसाइल पर दूसरे देशों का भी ध्यान है. भारत पहले ही फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम की कुछ सप्लाई कर चुका है और इंडोनेशिया के साथ बातचीत अंतिम चरण में है. जनवरी में गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो की हालिया यात्रा के दौरान, उन्होंने दिल्ली में ब्रह्मोस मुख्यालय का दौरा किया, जहां उन्हें सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की क्षमताओं के बारे में जानकारी दी गई.

भारत और इंडोनेशिया डील फाइनल करने की दिशा में पहुंच गए हैं. सौदे की कीमत लगभग 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर है. अगर यह सौदा पूरा हो जाता है, तो फिलीपींस के बाद इंडोनेशिया मिसाइल सिस्टम का दूसरा विदेशी खरीदार बन जाएगा. फिलीपींस के साथ लगभग 375 मिलियन डॉलर का सौदा 2022 में किया गया था, जिसके तहत फिलीपींस के नौसैनिकों को मिसाइलों की तीन बैटरियां दी जानी थी. इसके अलावा, कई अफ्रीकी देशों और पश्चिम एशियाई देशों ने भी इस मिसाइल सिस्टम में रुचि दिखाई है.

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