नई दिल्ली. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में नलिनी श्रीहरन सहित छह दोषियों को रिहा करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले को उनके (नलिनी के) वकील पी. पुगालेंथी ने शुक्रवार को खुशी प्रदान करने वाला बताया है. शीर्ष न्यायालय के रिहाई के आदेश पर प्रतिक्रिया पूछने पर नलिनी के वकील ने तमिल में ‘मग्जहची’ शब्द कहा, जिसका अर्थ ‘खुशी’ है. इस बीच नलिनी श्रीहरन के समर्थकों ने तमिलनाडु के वेल्लोर में पटाथे चलाए और मिठाई बांटी.
वेल्लोर नलिनी का गृहनगर है. समर्थकों ने नलिनी घर के पास पटाखे चलाए और आस-पास गुजर रहे राहगीरों को मिठाई बांटी. वहीं नलिनी के वकील पुगालेंथी ने कहा, ‘शीर्ष न्यायालय का फैसला यह याद दिलाता है कि राज्यपाल को मंत्रिमंडल की सिफारिश पर काम करना चाहिए और कैदियों को रिहा करना चाहिए.’ उन्होंने मारु राम बनाम भारत सरकार मामले में शीर्ष न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए यह कहा.
#WATCH | Tamil Nadu: Supporters of Nalini Sriharan, one of the six convicts in the assassination of former PM Rajiv Gandhi whose release from jail has been directed for by the Supreme Court today, burst crackers and distribute sweets near her residence in Vellore. pic.twitter.com/yanMWOfNJp
— ANI (@ANI) November 11, 2022
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के 1981 के फैसले ने स्पष्ट कर दिया है कि संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत सजा की अवधि घटाने और कैदियों को रिहा करने की शक्ति राज्य सरकार में निहित है. इस तरह, राज्यपाल मंत्रिमंडल के फैसले को मंजूरी देने के लिए कर्तव्यबद्ध है.
केंद्र द्वारा रिहाई रोक दी गई थी
उन्होंने कहा, ‘इस तरह, अनुच्छेद 161 ने इसे स्पष्ट कर दिया है. राज्यपाल शब्द को राज्य सरकार के रूप में पढ़ा जाना चाहिए और उच्चतम न्यायालय ने इसे पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है.’ पुगालेंथी ने कहा कि हालांकि, 2018 में तमिलनाडु मंत्रिमंडल ने सात दोषियों को रिहा करने का फैसला किया था, लेकिन राजनीतिक कारणों को लेकर केंद्र द्वारा उनकी रिहाई रोक दी गई थी.
जयललिता ने शुरू की थी प्रक्रिया
उन्होंने कहा, ‘हम कह सकते हैं कि इन वर्षों के दौरान उन लोगों को संविधान का उल्लंघन करते हुए अवैध रूप से कैद में रखा गया.’ दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता ने 2014 में मामले के सात दोषियों को रिहा करने की प्रक्रिया शुरू की थी और विषय बाद में उच्चतम न्यायालय चला गया था, जिसने इस साल मई में ए. जी. पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था.