UP BJP President: विद्यासागर सोनकर हैं रेस में सबसे आगे, इस वजह से भारी है उनका पलड़ा

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार 2.O बनने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष की तलाश तेज हो गई है. माना जा रहा है कि संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले विद्या सागर सोनकर को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है. विद्यासागर सोनकर इस समय विधान परिषद के सदस्य भी हैं.

Written by - Tushar Srivastava | Last Updated : Apr 14, 2022, 05:52 PM IST
  • जातीय समीकरण साधने की कोशिश
  • 2004 में केसरीनाथ त्रिपाठी थे अध्यक्ष
UP BJP President: विद्यासागर सोनकर हैं रेस में सबसे आगे, इस वजह से भारी है उनका पलड़ा

नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश में योगी सरकार 2.O बनने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष की तलाश तेज हो गई है. माना जा रहा है कि संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले विद्या सागर सोनकर को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है. विद्यासागर सोनकर इस समय विधान परिषद के सदस्य भी हैं और बीजेपी में महामंत्री का भी दायित्व संभाल चुके हैं. 

जातीय समीकरण साधने की कोशिश
हालांकि, इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष के पद पर महामंत्री अनूप गुप्ता का नाम तेजी से चल रहा था, लेकिन जातीय समीकरण के हिसाब से प्रदेश अध्यक्ष के पद पर विद्यासागर सोनकर फिट बैठते हुए दिखाई दे रहे हैं. वह अनुसूचित जाति से हैं और जिस तरह से इस बार विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति ने बीजेपी का खुलकर सपोर्ट किया था, उसी तरह से 2024 में इस वोट बैंक को बनाए रखने के लिए बीजेपी यह दांव चल सकती है.

निर्विरोध एमएलसी बनने के बाद अब भाजपा अनुसूचित जाति के चेहरे पर दांव लगा सकती है. 

प्रदेश अध्यक्ष का पद है खाली
आपको बता दें कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. इस वजह से प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली है और 2 साल बाद लोकसभा चुनाव भी हैं. इसके मद्देनजर अनुसूचित जाति के मतदाताओं को संतुष्ट करने के लिए भाजपा विद्यासागर सोनकर के चेहरे पर मुहर लगा सकती है.

ब्राह्मण चेहरे पर भरोसा जताती रही है पार्टी
वैसे यूपी में पार्टी का इतिहास देखा जाए तो बीते 20 वर्ष के दौरान लोकसभा चुनाव के समय प्रदेश अध्यक्ष की कमान ब्राह्मण चेहरे के हाथ में ही रही है. नई सरकार में इस बार पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा को जगह नहीं मिली. इन दोनों के नामों की चर्चा भी खूब है. इसका एक प्रमुख कारण यह भी है कि इन दोनों नेताओं के पास संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है. 

2004 में केसरीनाथ त्रिपाठी थे अध्यक्ष
दिनेश शर्मा और श्रीकांत शर्मा के अलावा कन्नौज में समाजवादी पार्टी का गढ़ ढहाने वाले सांसद सुब्रत पाठक और बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी भी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में हैं. साल 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान केसरीनाथ त्रिपाठी उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष थे तो 2009 लोकसभा चुनाव के दौरान रमापति राम त्रिपाठी के हाथ में उत्तर प्रदेश भाजपा की कमान थी. 

2019 में महेंद्र नाथ पाण्डेय के हाथ में थी कमान
साल 2014 के लोकसभा चुनाव के समय पार्टी के बड़े ब्राह्मण नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी प्रदेश अध्यक्ष थे. उस समय भाजपा ने 71 सीटें जीती थीं. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव के समय भाजपा ने महेंद्र नाथ पाण्डेय को उत्तर प्रदेश में संगठन की कमान सौंपी थी. साल 2019 में भाजपा को 80 में से 63 सीटें मिलीं. 

सोनकर की है संघ की पृष्ठभूमि
वैसे कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी इस बार ब्राह्मण चेहरे को दरकिनार कर ओबीसी पर दांव खेल सकती है. हालांकि, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि पार्टी किसे यूपी में प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान सौंपती है, लेकिन संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले विद्यासागर सोनकर का नाम अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे माना जा रहा है.

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