नई दिल्लीः पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में हिंसा की परंपरा रही है जो शनिवार को मतदान के दौरान भी बरकरार दिखी जहां 12 लोगों की जान चली गई और इस तरह चुनाव की घोषणा के बाद एक महीने में हिंसा में कुल 30 लोगों की जान जा चुकी है. हालांकि पिछले पंचायत चुनावों की तुलना में यह आंकड़ा अपेक्षाकृत कम है.
जानिए 20 साल पहले क्या हुआ था
2003 के पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा में 76 लोगों की मौत हुई थी और अकेले 40 लोग मतदान वाले दिन मारे गये थे. केंद्रीय बलों की निगरानी में 2013 में हुए पंचायत चुनाव में हिंसा में 39 लोगों की जान चली गयी थी. राज्य पुलिस की निगरानी में हुए पिछले पंचायत चुनाव में 30 लोग मारे गये थे. अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को हुई हिंसा में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के आठ और भाजपा, माकपा, कांग्रेस तथा आईएसएफ के एक-एक कार्यकर्ता की मृत्यु हो गयी.
टीएमसी ने क्या कहा
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘‘हम हिंसा की किसी भी घटना या मौत की निंदा करते हैं. लेकिन सच यह है कि चुनाव राज्य के अधिकतर हिस्सों में कुल मिलाकर शांतिपूर्ण हुए हैं, जिसकी मीडिया और विपक्ष बात नहीं कर रहे.’’ उन्होंने कहा कि पिछले चुनावों की तुलना में, इस साल के पंचायत चुनावों में हिंसा की कम घटनाएं हुई हैं और कहा कि ‘‘हिंसा और मौत की घटनाओं में भारी कमी आई है.’’
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा, ‘‘तृणमूल कांग्रेस न तो चुनावों में भरोसा करती है और ना ही लोकतंत्र में और इसलिए वे राज्य में आतंक का शासन चला रहे हैं.’’ पश्चिम बंगाल में चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों के बीच झड़प और प्रतिद्वंद्वियों पर घातक हमलों की घटनाएं सामान्य हैं. इससे राज्य में राजनीति और हिंसा के बीच गहरे संबंध होने की बात सामने आती है.
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