नई दिल्ली: वैश्विक जनसंख्या मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा, जनसंख्या मुद्दों के समाधान की तत्काल आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए की गई थी.
जनसंख्या में वृद्धि
पिछले कुछ दशकों में विश्व की जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया की जनसंख्या 2050 तक 9.7 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है, जो 2023 में 8 बिलियन पहुंच गई है. इस तेजी से जनसंख्या वृद्धि ने पृथ्वी के संसाधनों को कम कर डाला है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और अन्य वैश्विक चुनौतियाँ पैदा हुई हैं. वहीं भारत जनसंख्या के स्तर पर विश्व में पहले नंबर पर आ गया है. हाल ही में UNFPA द्वारा किए गए एक सर्वे में भारत की जनसंख्या 1.47 बिलियन बताई गई है और यह निश्चित तौर पर चिंता का विषय है.
विश्व जनसंख्या दिवस उद्देश्य
विश्व जनसंख्या दिवस का उद्देश्य इन मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों को जागरूक करना है . संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2023 के लिए विश्व जनसंख्या दिवस का विषय 'लैंगिक समानता की शक्ति को उजागर करना: हमारी दुनिया की अनंत संभावनाओं को उजागर करने के लिए महिलाओं और लड़कियों की आवाज को बढ़ावा देना है.
यह विषय बढ़ती जनसंख्या को रोकने में महिलाओं की भूमिका पर काम करना, लोगों को समानता के अधिकार के बारे में जागरूक करना और परिवार नियोजन में महिलाओं को उनके आधार पर फैसला लेने के लिए प्रोत्साहित करता है, वहीं महिलाओं की शिक्षा पर भी जोर देता है.
बढ़ती जनसंख्या से कितने नुकसान
आम जनता को यह समझना आवश्यक है कि जनसंख्या वृद्धि और विकास आपस में घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं. जनसंख्या संबंधी समस्याओं का समाधान करके, हम विकास हासिल करने और सभी के लिए बेहतर भविष्य बना सकते हैं. जनसंख्या में वृद्धि पूरे विश्व के लिए चिंता के कारण के साथ साथ बहुत बड़े बदलाव का कारण भी बन सकती है. जिसमें जलवायु परिवर्तन एवं प्रदूषण मुख्य हैं. यह आने वाली पीढ़ी के लिए चुनौती का कारण और संसाधन की कमी से भविष्य में भुखमरी का कारण भी बन सकती है .
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