सिद्धार्थ नाम के एक IIT ग्रेजुएट ने गज़ब का ट्रांसफॉर्मेशन किया है. जब उनका पेट निकला तो उन्होंने अपना 18 किलो वज़न कम किया. साथ ही उन्होंने अपनाए तरीके भी बताए. आप भी जानें उनके वेट लॉस जर्नी के बारे में.
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Weight Loss Journey: वजन कम करने के लिए कार्डियो करें या वेट ट्रेनिंग? यह सवाल लगभग हर उस इंसान के मन में होता है जो वजन कम करना चाहता है. वज़न कम करने के लिए ज्यादातर लोग कार्डियो या रनिंग करते हैं जो कि सही तरीका नहीं है। IIT से ग्रेजुएट एक फिटनेस इंफ्लूएंसर जिनका नाम सिद्धार्थ है, उन्होंने अपना बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन किया है और 18 किलो वजन घटाया है. वह सर्टिफाइड फिटनेस और न्यूट्रिशन कोच भी हैं.
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सिद्धार्थ के मुताबिक कार्डियो के मुकाबले रेजिस्ट्रेंस ट्रेनिंग (वेट ट्रेनिंग) वजन कम करने में ज़्यादा असरदार साबित होती है. कार्डियो को सिर्फ फैट लॉस के लिए ऑप्शनल तरीके के तौर पर किया जा सकता है. कार्डियो से सिर्फ 10-20 प्रतिशत ही फायदा मिलता है जबकि वेट ट्रेनिंग से 80-90 प्रतिशत. अगर आप वज़न कम करना चाहते हैं तो वेट ट्रेनिंग पर ज़्यादा फोकस करें और साथ ही यह भी जान लीजिए कि कार्डियो की रेजिस्टेंस ट्रेनिंग से कैसे फैट लॉस होता है.
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सिद्धार्थ ने अपने यूट्यूब वीडियो के ज़रिये बताया कि कार्डियो करने से डायरेक्ट फैट लॉस नहीं होता. फैट लॉस, कैलोरी डेफेसिट यानी मेंटेनेंस कैलोरी से कम खाने में रहने से होता है. जैसे अगर कोई एक दिन में कुल मिलाकर 2300 कैलोरी बर्न (कैलोरी आउट) करता है और 1800 कैलोरी का सेवन (कैलोरी इन) करता है तो साइंस यानी थर्मोडायनमिक का पहला नियम कहता है कि आप 500 कैलोरी डेफिसिट में हैं. यानी कि आपका 500 कैलोरी के बराबर फैट लॉस होगा.
सिद्धार्थ ने बताया कि कार्डियो से मसल्स मास मेंटेन नही रहता. मसल्स लॉस होने से बचाने के लिए रेजिस्टेंस ट्रेनिंग (वेट ट्रेनिंग) करनी होती है. फैट लॉस के दौरान रेजिस्टेंस ट्रेनिंग करना काफी जरूरी है.
अगर आप यह सोचकर ज़्यादा कार्डियो करते हैं कि वेट लॉस जल्दी होगा तो आप गलत हैं. कार्डियो के बाद बॉडी रिकवरी में वक्त लगता है अगर आप ज़्यादा कार्डियो कर लेते हैं तो बॉडी रिकवर नहीं हो पाती और थकान बनी रहती है इसलिए ज़्यादा कार्डियो करने से बचें.
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