Zakia Jafri Death: साल 2002 में गुजरात में दंगा हुआ था. इस दंगे में कई लोगों की मौत हुई थी. 28 फरवरी 2002 को दंगों के दौरान अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में एहसान जाफरी की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद जकिया ने गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी समेत 64 लोगों को एसआईटी द्वारा दी गई क्लीन चिट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
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Zakia Jafri Death: 2002 के गुजरात दंगों में मारे गए पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की बीवी जकिया जाफरी का शनिवार को 86 साल की उम्र में अहमदाबाद में इंतकाल हो गया है. एहसान जाफरी उन 69 लोगों में शामिल थे, जिनकी 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के मुस्लिम इलाके गुलबर्ग सोसाइटी के अंदर हत्या कर दी गई थी.
यह घटना गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के डिब्बों को जलाने के एक दिन बाद हुई थी, जिसमें अयोध्या से लौट रहे 59 'कारसेवकों' की मौत हो गई थी. इस घटना से पूरे राज्य में भीषण दंगे भड़क उठे थे. जकिया जाफरी ने राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं, जब उन्होंने गोधरा ट्रेन आगजनी की घटना के बाद हुए दंगों की बड़ी साजिश के लिए शीर्ष राजनीतिक नेताओं को जवाबदेह ठहराने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ी.
जकिया जाफरी की कैसे हुई मौत
जकिया जाफरी बेटे तनवीर जाफ़री ने कहा, "मेरी माँ अहमदाबाद में मेरी बहन के घर जा रही थीं. उन्होंने अपनी सुबह की दिनचर्या पूरी की और अपने परिवार के सदस्यों के साथ सामान्य रूप से बातचीत कर रही थीं, तभी उन्होंने बेचैनी की शिकायत की, जिस डॉक्टर को बुलाया गया, उसने उन्हें लगभग 11:30 बजे मृत घोषित कर दिया."
तीस्ता सीतलवाड ने जताया दुख
जकिया जाफरी की मौत पर सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड ने दुख जताया है. उन्होंने एक्स पर लिखा "मानवाधिकार समुदाय की एक दयालु नेता ज़किया अप्पा का निधन सिर्फ़ 30 मिनट पहले हुआ! उनकी दूरदर्शी उपस्थिति को देश, परिवार, दोस्तों और पूरी दुनिया याद करेगी! तनवीर भाई, निशरीन, दुरैयाप्पा, नाती-नातिन हम आपके साथ हैं! शांति और शक्ति में आराम करें ज़किया अप्पा!
हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी थीं चुनौती
28 फरवरी 2002 को दंगों के दौरान अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में एहसान जाफरी की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद जकिया ने गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी समेत 64 लोगों को एसआईटी द्वारा दी गई क्लीन चिट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड में एहसान जाफ़री की हत्या कर दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में 2017 के गुजरात हाईकोर्ट के फ़ैसले को चुनौती दी गई थी. उच्च न्यायालय ने मामले में एसआईटी द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने के मजिस्ट्रेट के फ़ैसले को बरकरार रखा था. गुजरात दंगों के बाद, ज़किया जाफ़री ने 2006 में गुजरात के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक के समक्ष एक शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें हत्या (धारा-302) सहित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई थी. शिकायत मोदी सहित विभिन्न नौकरशाहों और राजनेताओं के ख़िलाफ़ की गई थीय उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.