Attack in Sudan: सूडान के अल फशर में एक हमले में 70 लोगों की मौत हो गई है. अल फशर लंबे वक्त से RSF के कब्जे में है. सूडान में गृह युद्ध की वजह से 28000 लोगों की मौत हो गई है. संयुक्त राष्ट्र ने इसे कम करने को कहा है.
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Attack in Sudan: सूडान के अल फशर शहर में एक अस्पताल पर हुए हमले में 70 लोगों की मौत हो गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख ने रविवार को यह जानकारी दी. WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस ने 'एक्स' पर एक पोस्ट के जरिए यह जानकारी दी. उत्तरी दारफुर प्रांत की राजधानी में अफसरों और दूसरे लोगों ने भी शनिवार को इसी तरह के आंकड़े का हवाला दिया था, लेकिन घेब्रेयसस हताहतों की संख्या की जानकारी देने वाले पहले अंतरराष्ट्रीय स्रोत हैं.
घेब्रेयसस ने दी जानकारी
घेब्रेयेसस ने लिखा, "सूडान के अल फशर में सऊदी अस्पताल 'टीचिंग मैटरनल हॉस्पिटल' पर हुए भयावह हमले में 19 मरीज घायल हो गए और 70 लोगों की मौत हो गई." उन्होंने कहा, "हमले के वक्त अस्पताल में मरीजों की भीड़ थी" उन्होंने यह नहीं बताया कि हमला किसने किया, लेकिन स्थानीय अफसरों ने इसके लिए विद्रोही 'रैपिड सपोर्ट फोर्स' (RSF) को दोषी ठहराया है. RSF ने इस हमले की फिलहाल जिम्मेदारी नहीं ली है.
सबसे बढ़कर है शांति
घेब्रेयसस के मुताबिक "हम सूडान में स्वास्थ्य सेवा पर सभी हमलों को रोकने और क्षतिग्रस्त सुविधाओं की शीघ्र बहाली की गुजारिश करते हैं. सबसे बढ़कर, सूडान के लोगों को शांति की जरूरत है. सबसे अच्छी दवा शांति है."
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RSF के कब्जे में है एल फशर
घेब्रेयसस के मुताबिक "मई 2024 से, एल फशर RSF की घेराबंदी में है, एल फशर में नागरिक पहले ही लंबे वक्त तक घेराबंदी के तहत महीनों तक पीड़ा, हिंसा और घोर मानवाधिकार हनन को झेल चुके हैं. बढ़ती अनिश्चित स्थिति की वजह से अब उनकी जिंदगी अधर में लटक रही है."
2019 से अस्थिर है सूडान
साल 2019 में एक विद्रोह के बाद से सूडान अस्थिर रहा है, जिसकी वजह से लंबे वक्त से तानाशाह रहे उमर अल-बशीर को हटना पड़ा. अक्टूबर 2021 में बुरहान और RSF के जनरल मोहम्मद हमदान डागालो ने सैन्य तख्तापलट की कयादत करने के लिए सेना में शामिल होने के बाद लोकतंत्र में बदलाव नहीं होने दिया.
सूडान में जंग
RSF और सूडान की सेना ने अप्रैल 2023 में एक-दूसरे से लड़ना शुरू किया. उनके संघर्ष में 28,000 से अधिक लोग मारे गए हैं, लाखों लोगों को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है और कुछ परिवारों को देश के कुछ हिस्सों में अकाल के कारण जीवित रहने के लिए घास खाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.