Protest in Iran: ईरान के शीर्ष कमांडर का कहना है कि मुस्लिम दुनिया में खूनी वीभाजन की वजह अमेरिका की नीतियां हैं. उनका इल्जाम है कि अमेरिका वैश्विक शांति की बात करता है लेकिन वह अपराधों और नरसंहारों का स्रोत है.
Trending Photos
Protest in Iran: ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) के मुख्य कमांडर हुसैन सलामी ने रविवार को कहा कि मुस्लिम दुनिया में आतंकवाद और विभाजन के लिए अमेरिका की नीतियां जिम्मेदार है. सलामी ने यह बयानबाजी तेहरान में पूर्व अमेरिकी दूतावास के अधिग्रहण की 45वीं वर्षगांठ और "वैश्विक अहंकार के खिलाफ लड़ाई के राष्ट्रीय दिवस" के मौके पर आयोजित एक रैली में की, जिसे "राष्ट्रीय छात्र दिवस" के रूप में भी जाना जाता है.
खूनी विभाजन के पीछे अमेरिका
समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, IRGC के मुख्य कमांडर ने समारोह में जोर देकर कहा कि "तकफिरी (चरमपंथी) आतंकवाद की घटना और मुस्लिम दुनिया में खूनी विभाजन" सभी अमेरिकी नीतियों के नतीजे थे. देश की आधिकारिक समाचार एजेंसी इरना के मुताबिक, सलामी ने अमेरिका को "विरोधाभासी पहचान" के रूप में वर्णित किया. उन्होंने कहा कि एक तरफ अमेरिका वैश्विक शांति, सुरक्षा और व्यवस्था की बात करता है, और दूसरी तरफ वह दुनिया में सभी "अपराधों, नरसंहारों और कब्जों" का स्रोत है.
इजरायल-अमेरिका के खिलाफ प्रदर्शन
ईरानियों ने रविवार को सड़कों पर उतरकर पूर्व अमेरिकी दूतावास के परिसर तक मार्च निकाला और अमेरिका और इजरायल के खिलाफ नारे लगाए. प्रदर्शनकारियों ने ईरान, हिजबुल्लाह और फिलिस्तीन के झंडे लहराए, साथ ही ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई और ईरान तथा क्षेत्रीय प्रतिरोध समूहों के मारे गए नेताओं और कमांडरों की तस्वीरें भी लहराईं. रैली के आखिर में, प्रदर्शनकारियों ने ईरान के सुप्रीम लीडर नेता के प्रति निष्ठा की शपथ लेते हुए एक बयान जारी किया. उन्होंने गाजा और लेबनान में इजरायल के "अपराधों" की निंदा की, "जिन्हें अमेरिका की प्रत्यक्ष भागीदारी और समर्थन से अंजाम दिया जा रहा है".
अमेरिका की साजिश
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से गाजा और लेबनान में जंगबंदी की दिशा में काम करने का भी आह्वान किया. फरवरी 1979 में ईरान की इस्लामी क्रांति की जीत के कुछ महीने बाद ईरानी विश्वविद्यालय के छात्रों ने अमेरिकी दूतावास की इमारत पर कब्जा कर लिया था. उनका इल्जाम था कि दूतावास में पाए गए दस्तावेजों के मुताबिक, अमेरिका इस्लामी गणराज्य को उखाड़ फेंकने की योजना बना रहा था और अमेरिकी सरकार के लिए जासूसी के अड्डे के रूप में काम कर रहा था. ईरान हर साल राष्ट्रव्यापी रैलियां आयोजित करके अधिग्रहण की घटना का जश्न मनाता है.