सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी 7 नवंबर 2022 को छावला रेप के उन मुजरिमों को बरी कर दिया है, जिन्हें द्वारिका कोर्ट और हाई कोर्ट से फांसी की सजा मिली थी. इस मौके पर हम आपको उस दर्दनाक वारदात के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे पूरा मुल्क हिल गया था.
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Chhawla Rape Case Full Story: मुल्क की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने रेप के जुर्म में फांसी पा चुके 3 क़ुसूरवारों को रिहा कर दिया है. अदालत के इस फैसले के बारे में जानकर हर कोई हैरान है. क्योंकि सेशन और हाई कोर्ट ने की तरफ से जिन मुजरिमों को फांसी की सज़ा सुनाई जा चुकी है, उन्हें सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रिहा किया जाना कोई ग़ैर क़ानूनी तो नहीं है लेकिन हैरानी भरी बात ज़रूर है. वो इसलिए क्योंकि जिस वाक़्य के नाम पर इन तीनों को फांसी की सज़ा सुनाई गई थी वो कोई आम वाक़्या नहीं था.
हैवानियत की तमाम हदें हुई पार
उत्तराखंड के छावला रेप केस का नाम तो आपने सुना ही होगा. वारदात फरवरी 2012 की है, छावला रेप केस ने ना सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया था. क्योंकि जिस लड़की का रेप हुआ था, उसके साथ हैवानियत और दरिंदगी की तमाम हदों को पार कर दिया था. क्या नहीं हुआ था उस लड़की के साथ? उसकी आंखों में तेज़ाब डाला गया, प्राइवेट पार्ट को पहले गर्म लोहे से दाग़ा गया, उसके बाद उसमें टूटी-फूटी बोलते डाल दी गईं. इतना ही नहीं और भी बहुत कुछ हुआ था. सिलसिलेवार तरीक़े से वारदात के बारे में बताएंगे.
3 दरिंदों ने किया अग़वा
वारदात 9 फरवरी 2012 की है. जब एक 19 साल की लड़की गुड़गांव से काम ख़त्म करके, अपने घर की तरफ जा रही थी. उस बेचारी मासूम को क्या पता था कि वो आज आख़िरी बार गुड़गांव से अपने घर की जानिब जा रही है, और एक बेहद दर्दनाक मौत उसका बेसब्री से इंतेज़ार कर रही है. ख़ैर, कुछ देर बाद वो 'अनजान' लड़की बस से उतरती है और तेज़ क़दमों की रफ़्तार से अपने घर की तरफ चलने लगती है. इसी बीच एंट्री होती है एक लाल रंग की इंडिका कार की, यही कार थी जिसमें 3 दरिंदों ने लड़की के जिस्म को जानवरों की तरह नोचा था. इंडिका कार में सवार तीन दरिंदों ने उस मासूम-बेबस लड़की को कार में उठा लिया और फिर उसको कार में बैठाकर अपनी हवस का शिकार बनाना शुरू कर दिया.
पुलिस के पास नहीं थी गाड़ी
उधर परिवार भी परेशान था, क्योंकि रोज़ तो बेटी उस वक़्त तक घर पहुंच जाती थी लेकिन आज नहीं पहुंची. जब हद से ज़्यादा देर हो गई तो गार्ड की नौकरी करने वाले उसके बाप और परिवार के दूसरे लोग तलाश में निकल गए. काफी देर इधर उधर भटकने के बाद पता लगा कि उस ग़रीब और मजबूर बाप की बेटी को कुछ लोग कार में अग़वा करके ले गए हैं. ऐसी हालत में उस लाचार बाप को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, उसने दिल्ली पुलिस की मदद लेनी चाही. पुलिस को फोन किया तो वो भी बहुत देर से पहुंची. ख़ैर पहुंची तो सही, लेकिन हैरानी तब और ज़्यादा हुई जब यह पता चला कि पुलिस के पास दरिंदों का पीछा करने के लिए गाड़ी ही नहीं है.
जिस्म को नोचा और दांतों से काटा
उधर जैसे-जैसे वक़्त गुज़र रहा था वैसे-वैसे लड़की उन दरिंदों की शैतानियत को झेल रही थी. दरिंदों ने हरियाणा पहुंचकर पहले तो शराब ख़रीदी और फिर एक सुनसान जगह पर चले गए. अब उन्होंने शराब पीकर अपनी हैवानियत को उरूज पर पहुंचा दिया था. तीनों ने उस बेगुनाह और बेबस लड़की के जिस्म पर जगह जगह नोचा, दांतों से काटा, शराब के नशे और जिस्म की हवस में ये तीनों 'मर्द' अपनी 'मर्दानगी' का मुज़ाहिरा कर रहे थे. उनके लिए उस मज़लूम लड़की की तरफ से मांगी जा रही रहम की भीक बेअसर और फिज़ूल थी.
जिस मटके से पानी पिलाया वही सिर पर दे मारा
ख़ैर, इन ज़ालिमों के दिलों में मौजूद कहीं थोड़ी सी इंसानियत ने अपनी आवाज़ उठाई और उन्होंने इस बेबस लड़की को एक मटके से पानी पिलाया. इसके बाद इन लोगों के मन में उस लड़की को जान से मारने का ख़्याल आया. उन्होंने अपने इस मक़सद को हासिल करने के लिए सबसे पहले वही मटका उठाकर उसके सिर पर मार दिया जिससे थोड़ी देर पहले उन्होंने पानी पिलाया था. लेकिन इन 'बेशर्म मर्दों' के मन में ज़रा भी रहम नहीं आया.
लोहे को गर्म कर प्राइवेट पार्ट समेत पूरे जिस्म पर दाग़ा
उन्होंने कार से 'पाना' और जैक निकाला, अब उन्होंने इन औज़ारों से लड़की के सिर पर हमला करना शुरू कर दिया. लड़की पहले ही वार में ज़मीन पर धड़ाम से गिर गई. वो तड़प-तड़पकर बेहोश हो गई थी. इन दरिंदों के मन में इस वक़्त लड़की को मारने का प्लान तो था ही, अब उन्हें ये भी ख़्याल आ गया कि इसकी पहचान किस तरह छुपाएं. तो उन्होंने ज़ुल्म की इंतेहा को और बढ़ा दिया. उन्होंने उसके चेहरे को जलाया, गाड़ी के साइलेंसर से औज़ारों को गर्म किया और उसके प्राइवेट पार्ट समेत जिस्म पर जगह-जगह दाग़ना शुरू कर दिया.
आंखों में तेज़ाब, प्राइवेट पार्ट में कांच की बोलत
बात यहीं ख़त्म नहीं होती, इन नौजवान मर्दों की नज़र उन बोतलों पर जाती है जिनसे उन्होंने जाम छलकाया था. अब उन्होंने बोलतों को तोड़कर उसके जिस्म को चीरना शुरू कर दिया. वो कुछ इस तरह उसके जिस्म पर बोलतों के नुकीले टुकड़ों को चला रहे थे जैसे रेत पर उंगलियों से कोई नाम लिख रहा हो. यहां तक कि लड़की के प्राइवेट पार्ट में भी बोतल का नुकीला टुकड़ा डाल दिया था. क्या सोच रहे हैं कहानी ख़त्म हो गई? नहीं नहीं, अभी तो एक और ख़ौफ़नाक क़दम बाक़ी है. वो ये था कि अब उन्होंने इस बेबस लड़की की आंखों में तेज़ाब भी डाला. उस बेटी की लाश रेवाड़ी के एक सुनसान इलाक़े में मिली थी.
सुप्रीम कोर्ट ने बदला हाई कोर्ट का फैसला
पुलिस ने जब छानबीन शुरू की तो तीन लोगों को एक-एक कर गिरफ्तार किया. तीनों ही हरियाणा के रहने वाले थे और कैब ड्राइवर थे. पुलिस और लड़की के मां-बाप ने मुजरिमों को फांसी की सज़ा की मांग की थी. हालांकि बचाव फरीक़ (पक्ष) ने उम्रक़ैद की सज़ा को कहा था. वारदात के 2 साल बाद 2014 में द्वारिका कोर्ट ने मुजरिमों को फांसी की सज़ा सुनाई थी लेकिन मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा, हाई कोर्ट ने भी मुजरिमों की फांसी की सज़ा को बरक़रार रखा, लेकिन देश की सबसे बड़ी अदालत ने सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर 2022 को मुजरिमों को रिहा कर दिया. अब सोचने वाली बात यह है कि आख़िर इस वहशियाना वारदात का मुजरिम कौन था?