Congress की Haryana में हार के पीछे रहीं ये 5 बड़ी वजह
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Congress की Haryana में हार के पीछे रहीं ये 5 बड़ी वजह

Congress Defeat reason in Haryana election: कांग्रेस को हरियाणा में हार का सामना करना पड़ा है. आखिर इसके पीछे क्या कारण रहा? आज हम आपको इसके 5 अहम फैक्टर बताने वाले हैं.

Congress की Haryana में हार के पीछे रहीं ये 5 बड़ी वजह

Congress Defeat reason in Haryana election: हरियाणा चुनाव में जो हुआ उससे सब लोग स्तब्ध है. शुरुआत में कांग्रेस जीतती हुई दिख रही थी. लेकिन, दोपहर के वक्त पासा पलट गया और बीजेपी ने बढ़त बना ली. हरियाणा राज्य को लेकर कई राजनीतिक जानकारों का कहना था कि कांग्रेस यहां से अच्छी जीत लेकर जा सकती है. एग्जिट पोल भी यही दावा करते दिख रहे थे. लेकिन, राज्य की जनका को यह कबूल नहीं था.

हरियाणा में क्यों हारी कांग्रेस?

हरियाणा में कांग्रेस हारने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं. राजनीतिक जानकार कई अनुमान लगा रहे हैं. ऐसे में आज हम आपको ऐसे पांच फैक्टर बताने वाले हैं, जिससे शायद कांग्रेस को हरियाणा में भारी नुकसान उठाना पड़ा. तो आइये जानते हैं.

1- भुपिंद्र हुड्डा फैक्टर

कांग्रेस की नाकामयाबी में योगदान देने वाले सबसे अहम वजहों में से एक संभवतः पूर्व मुख्यमंत्री और प्रमुख जाट नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर कांग्रेस की बहुत ज्यादा निर्भरता रही. पार्टी में हुड्डा की वजह से जाट समुदाय पर ध्यान ज्यादा फोकस रहा, जो हरियाणा की तादाद का लगभग 26%-28% है. हरियाणा हमेशा से ही कांग्रेस का गढ़ रहा है, लेकिन इस बार पार्टी की राजनीति ने दलितों और जाटों को अलग-थलग कर दिया.

2- कुमारी शैलजा और हुड्डा के बीच अंदरूणी जंग

हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच जंग ने भी हरियाणा चुनाव का रुख कापी बदल दिया. शैलजा एक प्रमुख दलित नेता हैं और उनसे इस जंग ने कांग्रेस की मुश्किलों को और बढ़ा दिया. दलित मतदाताओं के बीच शैलजा का प्रभाव काफी ज़्यादा है, फिर भी हुड्डा के गुट के प्रचार पर हावी होने की वजह से उनकी भूमिका कम हो गई. 
इस अंदरूनी कलह ने भाजपा को कांग्रेस के अंदर मतभेदों को और प्रभावी ढंग से उठाने का मौका दिया.

3- आप के साथ अलायंस में नाकामयाबी

एक और महत्वपूर्ण चूक कांग्रेस की आम आदमी पार्टी (आप) के साथ चुनाव-पूर्व गठबंधन बनाने में असमर्थता थी. सीट-बंटवारे की व्यवस्था पर मतभेदों के कारण भाजपा के खिलाफ एक मजबूत गठबंधन नहीं बन पाया. आप के स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने के फैसले ने विपक्षी वोटों को कम कर दिया, खासकर उन निर्वाचन क्षेत्रों में जहां दोनों पार्टियों का समर्थन आधार ओवरलैप था.

4- राहुल गांधी का विवादस्पद बयान

कांग्रेस को आरक्षण के संबंध में राहुल गांधी की विवादास्पद टिप्पणियों के कारण भी कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा, जिससे दलित और ओबीसी समुदाय और अधिक अलग-थलग पड़ गया. आरक्षण कोटे में कटौती का सुझाव देने वाली उनकी टिप्पणियों को भाजपा नेताओं ने तुरंत ही हाथोंहाथ लिया और इसे हाशिए पर पड़े समुदायों के प्रति कांग्रेस की उपेक्षा का संकेत बताया.

5- अपोज़न वोटर्स का बंटवारा

विपक्षी वोटों के बंटवारे ने चुनाव के नतीजें तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. INLD (इंडियन नेशनल लोकदल) और JJP (जननायक जनता पार्टी) जैसी पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा, जिससे वे वोट कट गए जो अन्यथा भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ़ एकजुट हो सकते थे.

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