Rajiv Gandhi Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने आज पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी कत्ल कांड के सभी मुजरिमों को रिहा करने का आदेश दे दिया है. इस मौके पर हम आपको राजीव गांधी कत्ल कांड की कहानी बताने जा रहे हैं.
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Rajiv Gandhi Murder Case: देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए राजीव गांधी कत्ल कांड के सभी 6 आरोपियों को रिहा कर दिया है. मामले की मुजरिम नलिनी और आरपी रविचंद्रन की वक्त से पहले रिहाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. अदालत ने कहा कि मुजरिम पेरारीवलन की रिहाई का आदेश बाकियों पर भी लागू होगा. बता दें कि एजी पेरारिवलन नाम का एक और मुजरिम था, जिसे इसी मामले में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी. एजी पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने मई महीने में रिहा करने का आदेश जारी किया था.
जस्टिस बी.आर. गवई और बीवी नागरत्ना ने मुजरिमों को रिहा करने का आदेश पास किया है. इसमें कहा गया है कि पेरारीवलन से जुड़ा अदालत का हुक्म इस मामले के बाकी सभी मुजरिमों पर लागू होता है और यह भी कहा गया है कि तमिलनाडु ने मामले के सभी मुजरिमों को रिहा करने की सिफारिश की थी. दोषियों एस. नलिनी और आरपी रविचंद्रन ने मद्रास हाई कोर्ट के हुक्म को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने जेल से रिहाई की मांग करने वाली उनकी अर्ज़ी पर गौर करने से इनकार कर दिया था.
क्या था राजीव गांधी कत्ल कांड?
21 मई 1991 का दिन था और देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी चेन्नई के पास श्रीपेरंबदूर में थे. यहां पर वो एक चुनावी रैली को खिताब करने के लिए जा रहे थे लेकिन मंच पर पहुंचने से पहले ही उन्हें एक सुसाइड बॉम्बर ने मार दिया. खबरों के मुताबिक राजीव गांधी के पास एक महिला उन्हें फूलों का हार पहनाने के लिए आती है. महिला जैसे ही राजीव गांधी के पांव छूने के लिए नीचे झुकती है, तभी वो अपनी कमर पर बांधे हुए विस्फोट से धमाका कर देती है. धमाका इतना खतरनाक था कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी समेत इस हमले 16-18 लोगों की मौत हुई थी. एक जानकारी के मुताबिक वहां मौजूद सिक्योरिटी वालों ने उस महिला को रोकने की कोशिश की थी लेकिन खुद राजीव गांधी इस महिला को उनके पास आने की इजाज़त दी थी.
लिट्टे (LTTE) थी हमले की पीछे!
मामले की जांच की गई तो पता चला कि राजीव गांधी के कत्ल के पीछे लिट्टे (LTTE/Liberation Tigers of Tamil Eelam) का हाथ था. कहा जाता है कि यह तमिल मिलीटेंट ग्रुप था. जो श्रीलंका में तमिल्स के राइट्स के लिए लड़ रहा था. यह संगठन इतना ताकतवर था कि श्रीलंकाई सरकार इसके सामने बेबस थी. यहां तक कि श्रीलंका से एक शांति समझौता करने से पहले राजीव गांधी ने भी LTTE के प्रमुख से बात की थी. बीच में कुछ घटनाएं ऐसी हुईं कि राजीव गांधी को LTTE के खिलाफ कुछ एक्शन लेने पड़े. राजीव गांधी LTTE के खिलाफ इतना सख्त हो गए थे कि इस संगठन को उनसे खतरा महसूस होने लगा था, जिसकी वजह से LTTE ने इस घटना को अंजाम दिया.
41 आरोपी, 12 की मौत, 3 फरार, 26 को सजा-ए-मौत
राजीव गांधी के कत्ल के बाद जांच शुरू हुई तो 41 लोगों को आरोपी बनाया गया. जिनमें से 12 की मौत हो चुकी थी. वहीं 3 लोग फरार भी हो गए थे. बाकी बचे 26 आरोपियों को पकड़ने के बाद मुकदमा चला. यह मुकदमा टाडा कोर्ट में चला चला थी. तकरीबन 7 वर्ष तक सुनवाई के बाद 28 जनवरी 1998 को 26 मुल्जिमों को सज़ाए-ए-मौत सुनाई थी. टाडा कोर्ट की जानिब से दिए गए इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, क्योंकि टाडा कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी. SC ने पलट दिया टाडा कोर्ट का फैसला, 19 को किया बरी
सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने के बाद तकरीबन एक वर्ष तक सुनवाई चली. जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया तो उसने टाडा कोर्ट के फैसले को ही पलट दिया. अदालत ने उन 26 मुजरिमों में से 19 को बरी कर दिया जिन्हें टाडा कोर्ट ने फांसी की सज़ा सुनाई थी. बाकी बचे 7 की फांसी की सज़ा बरकरार रखी थी. हालांकि साल 2014 में उनकी फांसी की सज़ा को कम करके उम्र कैद में तब्दील कर दिया था.