जमीअत उलमा ए हिंद के इजलास के आखिरी दिन मौलाना अरशद मदनी के एक बयान से नाराज होकर जैन धर्म के लोकेश मुनि मंच छोड़कर वह चले गए थे, जिसका हिंदू संत ने समर्थन नहीं किया और उन्होंने मदनी की बयान पर सहमति जताई.
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नई दिल्लीः जमीअत उलमा ए हिंद के इजलास के तीसरे और आखिरी दिन मौलाना अरशद मदनी के एक बयान से असहमति जताते हुए जैन धर्म के लोकेश मुनि ने स्टेज पर खड़े होकर विरोध जताया और नाराज होकर मंच छोड़कर वह चले गए. जैन मुनि के व्यवहार पर परमार्थ निकेतन के आचार्य चिदानंद ने कहा कि इसमें सहमति और असहमति की बात नहीं है. सभी को अपने विचार रखने का पूरा हक है. इस तरह आचार्य चिदानंद ने मदनी के स्टैंड का समर्थन किया है.
चिदानंद ने कहा, "मैंने अपने ढंग से अपने विचार रखे और उन्होंने तरीके से अपने विचार प्रकट किए हैं. इस्लाम धर्म को मानने वाला शख्स इस्लाम धर्म की विशेषताएं बताएगा और बताना भी चाहिए और हिंदू धर्म को मानने वाला हिंदू धर्म की विशेषता ही बताएगा.’’
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— Jamiat Ulama-i-Hind (@JamiatUlama_in) February 12, 2023
मदनी के बयान से नाराज हो गए थे जैन मुनि
गौरतलब है कि जमीयत ए उलेमा ए हिंद का 34 वां अधिवेशन दिल्ली के रामलीला मैदान में चल रहा है, जिसका इतवार को तीसरा और आखिरी दिन था. इसमें सभी धर्मों के धर्मगुरु भी मौजूद थे. सभी मौलाना और सभी धर्मों के धर्मगुरु एक एक कर अपने विचार सबके सामने रख रहे थे. तभी मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान दिया, जिसपर जैन मुनि लोकेश नाराज हो गए और वह अरशद मदनी के बयान से असहमति जताते हुए जमीयत का मंच छोड़कर चले गए.
इस्लाम धर्म को मानने वाला इस्लाम धर्म की बात नहीं करेगा तो क्या करेगा
इस मुद्दे पर परमार्थ निकेतन के आचार्य चिदानंद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुझे नहीं मालूम लोकेश मुनि जी के मन में क्या था और उन्होंने किस रूप में मदनी के बयान को लिया. आगे चिदानंद ने कहा, "मैंने इस बात को जिस रूप से लिया, मैं बताना चाहूंगा कि मैं सब का सम्मान करता हूं ,मेरे लिए सब समान है और सब का सम्मान है, और यही हमारे देश का संविधान है. लेकिन अगर कोई इस्लाम धर्म को मानने वाला इस्लाम धर्म की विशेषता को बताता है, तो उसको बताना चाहिए. यह नेचुरल है, वह उसकी विशेषता बताएंगे ही और हिंदू धर्म को मानने वाला हिंदू धर्म की विशेषता बताएगा. लेकिन अपने अपने धर्म की विशेषता को जीते हुए हम अपने मूल से, अपने मूल्यों से, अपनी जड़ों से अपनी संस्कृति और संस्कारों से जुड़े रहे, ये ही आज का संदेश है."
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