What is traveeh? तरावीह भी नमाज है. यह सिर्फ रमजान के दिनों में इशा की नमाज के बाद पढ़ी जाती है. रमज़ान का चांद नज़र आने के बाद उसी रात से ही इसकी शुरूआत हो जाती है. यह ईद तक जारी रहती है.
Trending Photos
What is traveeh? तरावीह एक तरह की नमाज है. यह सिर्फ रमजान के दिनों में ही पढ़ी जाती है. रमज़ान का चांद नज़र आने के बाद रात से ही इसकी शुरूआत हो जाती है और ईद से पहले आखिरी रमज़ान तक पढ़ी जाती है. इसमें 20 रकातें होती हैं. तरावीह की नमाज में इमाम पूरे रमजान में कम से कम एक कुरान पूरी करते हैं.
तरावीह अरबी शब्द तरविह से बना है. इसका मतलब होता है ठहरना.
इस्लाम धर्म में मान्यता है कि रमजान में पूरे महीने इशा की नमाज के बाद 20 रकात तरावीह की नमाज पढ़ी जाए. मान्यता यह भी है कि पूरे रमजान में तरावीह में कम से कम एक कुरान सुनी जाए. इसमें एक इमाम तेज अवाज में कुरान पढ़ता है, बाकी उसके पीछे जितने भी लोग खड़े होते हैं वह सब उसे सुनते हैं. यह दो-दो रकात करके पढ़ी जाती है. हर चार रकात के बाद थोड़े वक्फे के लिए रुका जाता है और खास दुआ पढ़ी जाती है.
पूरे रमजान के दौरान तरावीह में पूरी एक कुरान सुनने का रिवाज है. एक पूरी कुरान खत्म करने के लिए कुछ लोग ऐसा करते हैं कि हर दिन कुरान का एक पारा सुनते हैं. इससे 30 दिन में कुरान मुकम्मल हो जाती है. इसके अलावा कुछ लोग हर दिन कुरान के 6 पारे सुनते हैं. इससे 6 दिन में एक कुरान मुकम्मल हो जाती है. लोग अपनी सहूलत के ऐतबार से ऐसा कर लेते हैं.
यह भी पढ़ें: Photo: दुनिया भर के मुस्लिम देशों ने किया रमजान का इस्तेकबाल, तस्वीरों में देखें नजारे
तरावीह की नमाज़ सुन्नते मोक्किदा है. अगर किसी बीमारी, सफर या किसी काम की वजह से कोई मुस्लिम इसे नहीं पढ़ पाता है तो यह माफ है लेकिन अगर बिना किसी वजह के इसे छोड़ा जाता है तो गुनाह है. तरावीह की नमाज हर उस मुसलमान के लिए जरूरी है जो स्वस्थ्य है, समझदार है. इसे मर्द और औरत दोनों पढ़ते हैं.
कुछ लोग तरावीह को बिदअत कहते हैं. बिदअत पैगम्मबर मोहम्मद के बाद रिवाज बन जाने वाली चीजों को कहते हैं.
Zee Salaam Live TV: