Shahi Idgah Mathura: सुप्रीम कोर्ट ने रिजेक्ट की शाही ईदगाह के खिलाफ याचिका, कही ये बात
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Shahi Idgah Mathura: सुप्रीम कोर्ट ने रिजेक्ट की शाही ईदगाह के खिलाफ याचिका, कही ये बात

Shahi Idgah-Krishna Janmabhoomi Dispute: सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को रिजेक्ट कर दिया है जिसमें शाही ईदगाह को कृष्ण जन्मभूमि घोषित करने की मांग की गई थी. कोर्ट ने इस पर विचार करने से इंकार कर दिया है.

 Shahi Idgah Mathura: सुप्रीम कोर्ट ने रिजेक्ट की शाही ईदगाह के खिलाफ याचिका, कही ये बात

SC Decline Plea on Shahi Idgah: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के आर्कियोलोजिकल सर्वे और साइट को श्री कृष्ण जन्मभूमि घोषित करने की मांग वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि मुकदमेबाजी की बहुलता उचित नहीं थी. जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा "आइए मुकदमेबाजी की बहुलता न रखें. आपने इसे जनहित याचिका के रूप में दायर किया, इसलिए इसे खारिज कर दिया गया. इसे अन्यथा दर्ज करें, अदालत देखेगी."

मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि जनहित याचिका को पिछले अक्टूबर में उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था. क्योंकि, इस मुद्दे पर कुछ मुकदमे लंबित थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे को जनहित याचिका के तौर पर कबूल करना उचित नहीं है.

प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट को चुनौती

याचिकाकर्ता महक माहेश्वरी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि जनहित याचिका में 1991 के पूजा स्थल अधिनियम की वैधता को भी चुनौती देने की मांग की गई है, जो 15 अगस्त, 1947 (राम जन्मभूमि भूमि को छोड़कर) तक मौजूद सभी पूजा स्थलों के "चरित्र" की रक्षा करता है और किसी भी पूजा स्थल के चरित्र को बदलने के लिए कोई भी मुकदमा दायर करने पर रोक लगाता है.

कोर्ट ने क्या कहा?

अदालत ने जवाब दिया कि हाई कोर्ट ने अपने बर्खास्तगी आदेश में अधिनियम की वैधता को चुनौती देने का उपाय खुला छोड़ दिया था. “हम आक्षेपित फैसले में दखल करने के इच्छुक नहीं हैं और इसलिए, एसएलपी [विशेष अनुमति याचिका] खारिज की जाती है. हम साफ करते हैं कि एसएलपी की बर्खास्तगी किसी भी अधिनियम की ताकतों को चुनौती देने के पार्टियों के अधिकार पर टिप्पणी नहीं करती है या किसी भी पार्टी को किसी भी अधिनियम की ताकतों को चुनौती देने से रोकती है." 

पीआईएल में क्या था

माहेश्वरी की जनहित याचिका में तर्क दिया गया कि अलग-अलग ग्रंथों में इस जगह को श्री कृष्ण जन्मभूमि के तौर पर दर्ज किया गया है. याचिका में कहा गया है कि यह एक मस्जिद नहीं थी क्योंकि इस्लामी कानून जबरन अधिग्रहीत जमीन पर मस्जिद की इजाजत नहीं हेता है. इसके अलावा पीआईएल में कहा गया था,"मस्जिद इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं है, और इसलिए शाही ईदगाह मस्जिद को ढहा दिया जाना चाहिए और वह जमीन, कथित तौर पर कृष्ण जन्मभूमि, हिंदुओं को सौंप दी जानी चाहिए. उन्होंने दलील दी कि जमीन पर मंदिर निर्माण के लिए कृष्ण जन्मभूमि जन्मस्थान के लिए एक उचित ट्रस्ट का गठन किया जाना चाहिए.

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