Bhagwa: साधु, संत और सन्यासी क्यों पहनते हैं गेरुआ कपड़े? 99% लोगों को नहीं मालूम होगी इसकी वजह
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Bhagwa: साधु, संत और सन्यासी क्यों पहनते हैं गेरुआ कपड़े? 99% लोगों को नहीं मालूम होगी इसकी वजह

Bhagwa Clothes: हिंदू धर्म में संतों को बड़े सम्मान की नजर से देखा जाता है. विद्वानों का कहना है कि जिसे साधु-सन्यासियों का आशीर्वाद मिलता है, उनका घर खुशियों से भर जाता है. इन बातों के बीच क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की है कि साधु-संत गेरुआ यानी भगवा वस्त्र ही क्यों पहनते हैं?

Bhagwa: साधु, संत और सन्यासी क्यों पहनते हैं गेरुआ कपड़े? 99% लोगों को नहीं मालूम होगी इसकी वजह

Why do sadhu wears bhagwa: भारत वर्ष ऋषियों की भूमि है. ऋषियों ने आध्यात्मिक ज्ञान को आगे बढ़ाया और नियम संयम से रहते हुए सृष्टि को आगे बढ़ाया. हिंदू धर्म की मान्यताओं में युगों-युगों से ऋषि-मुनि और साधु-संतों को सम्मान और आदर की दृष्टि से देखा जाता है. साधु का शाब्दिक अर्थ होता है सज्जन पुरुष यानी भला आदमी. जिसने संसार के सारे नाते तोड़कर अपना तन मन धन भगवान को समर्पित कर दिया. यानी जिसका भगवान के सिवा कुछ भी ना हो वह संत की श्रेणी में आता है.

संत क्यों पहनते हैं भगवा रंग के कपड़े

आपने अधिकतर साधु संतों को भगवा रंग के वस्त्रों में देखा होगा. प्रकृति में भगवा रंग की झलक दिन की शुरुआत में ही दिख जाती है. वहीं दुनिया की ऊर्जा और चेतना के प्राण स्वरूप सूरज की रोशनी में भी केसरिया यानी भगवा रंग ही देखने को मिलता है. भगवा रंग के कपड़े पहनना जीवन में प्रकाश और सवेरे का सूचक माना जाता है. आपको बता दें कि शैव और शाक्य साधु हमेशा भगवा रंग के कपड़े में नजर आते हैं. भगवा रंग को ऊर्जा और त्याग का प्रतीक माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि भगवा रंग का कपड़ा धारण करने से मन शांत रहता है.

प्रकति में छिपा है राज

साधु सन्यासी हमेशा प्रकति की गोद के नजदीक रहते हैं. हिमालय की गुफाएं और कंदराओं में रहने वाले संत हों या गंगा जैसी जीवनदायिनी और पतितपावनी नदी के तट पर डेरा जमाए साधू ये सभी प्रकति से जीवन चक्र को समझते हैं. उदाहरण के लिए पेड़ बिना किसी लालच के फल देते हैं. धरती माता बिना किसी स्वार्थ के सभी जीवों को रहने की जगह देती हैं. इसी तरह प्रकति में कहीं न कहीं इस रंग की एक अलग झलक और महिमा दिखती है. इसी तरह जब भी कोई फल पक जाता है, तो वह आमतौर पर नारंगी रंग का हो जाता है. इसलिए नारंगी या भगवा रंग को पकने यानी परिपक्कता या समझदारी का प्रतीक माना जाता है. 

अध्यात्म से सीधा संबंध

योगी और ध्यान लगाने वाले संत अपनी चेतना को परमात्मा की शक्ति से जोड़ लेते हैं. इसी कारण ज्ञानी लोग नारंगी या भगवा रंग को चक्रों से जोड़ कर देखेते हैं. हनुमान जी महाराज अजर अमर हैं उन्हें शक्ति और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है. बजरंगबली शक्ति के पुंज हैं, उन्हें भगवा यानी नारंगी रंग का चोला चढ़ाया जाता है. अध्यात्म की बात करें तो मानव शरीर में कई चक्र होते हैं. हर चक्र का अलग रंग और कार्य होता है. आज्ञा चक्र को ज्ञान प्राप्ति का सूचक माना जाता है. आज्ञा चक्र का रंग भगवा या गेरुआ होता है. साधु जो ज्ञान प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ रहे होते हैं और उच्चतम चक्र तक पहुंचना चाहते हैं वो भगवा रंग का कपड़ा पहनते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)अपनी फ्री कुंडली पाने के लिए यहां क्लिक करें

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