सर्वे में मवेशियों और भैंसों से लेकर हाथियों तक की 15 प्रजातियों और शुतुरमुर्ग और इमू जैसी विदेशी प्रजातियों सहित विभिन्न पॉल्ट्री पक्षियों को शामिल किया जाएगा. जनगणना का प्रमुख आकर्षण 16 प्रजातियों में 219 स्वदेशी नस्लों पर इसका ध्यान केंद्रित करना है.
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21st Livestock: केंद्र सरकार की तरफ से 25 अक्टूबर (शुक्रवार) से देश की सबसे व्यापक पशुधन गणना शुरू की जा रही है. पहली बार इसमें पशुपालक समुदायों पर आंकड़े और पशुपालन में शामिल महिलाओं और पुरुषों की गिनती की जाएगी. एक सरकारी बयान में कहा गया कि अक्टूबर, 2024 से फरवरी, 2025 तक चलने वाली 21वीं पशुधन जनगणना में सभी गांवों और शहरी वार्डों में घर-घर जाकर गणना करने के लिए करीब एक लाख क्षेत्रीय अधिकारियों, मुख्य रूप से पशु चिकित्सकों और अर्ध-पशु चिकित्सकों को तैनात किया जाएगा.
मोबाइल उपकरणों का उपयोग किया जायेगा
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह नई दिल्ली में इस पहल का शुभारंभ करेंगे. राजीव रंजन सिंह को ललन सिंह के नाम से भी जाना जाता है. एक अहम तकनीकी उन्नयन में, जनगणना में, आंकड़ों के संग्रह और प्रसारण के लिए मोबाइल उपकरणों का उपयोग किया जायेगा जिसका मकसद सटीकता और दक्षता में सुधार करना है. सर्वे में मवेशियों और भैंसों से लेकर हाथियों तक की 15 प्रजातियों और शुतुरमुर्ग और इमू जैसी विदेशी प्रजातियों सहित विभिन्न पॉल्ट्री पक्षियों को शामिल किया जाएगा.
219 स्वदेशी नस्लों पर फोकस करना मकसद
जनगणना का एक प्रमुख आकर्षण 16 प्रजातियों में 219 स्वदेशी नस्लों पर इसका ध्यान केंद्रित करना है, जो आईसीएआर-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (NBAGR) की तरफ से मान्यता प्राप्त है. नई राह पर आगे बढ़ते हुए यह भारत की पहली पशुधन जनगणना होगी जो चरवाहों द्वारा पशुधन जोत के आंकड़ों को स्वतंत्र रूप से देखेगी.
पिछली जनगणना वर्ष 2019 में पूरी हुई थी
इसके अलावा यह मुख्य रूप से पशुपालन में शामिल व्यक्तियों के लैंगिक आधार पर दस्तावेजीकरण करेगा, जिससे पशुपालन में महिलाओं की भूमिका के बारे में जानकारी मिलेगी. वर्ष 1919 से हर पांच साल में आयोजित होने वाली पशुधन जनगणना पशुपालन क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण नीति-निर्माण माध्यम के रूप में कार्य करती है. पिछली जनगणना वर्ष 2019 में पूरी हुई थी. (इनपुट भाषा)