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Indian Railway Interesting Facts: आपने ट्रेन में सफर तो जरूर किया होगा. आप यह भी जानते होंगे कि जिस ट्रेन में आप सफर करते हैं, उसे पैसेंजर ट्रेन कहते हैं. वहीं, आपने रेलवे स्टेशन या ट्रेन से यात्रा के दौरान माल गाड़ी भी देखी होगी. माल गाड़ी में समानों को एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता है. जबकि पैसेंजर ट्रेन का इस्तेमाल यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह लाने ले जाने के लिए किया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि आखिर पैसेंजर ट्रेन में केवल 24 कोच ही क्यों होते हैं? या फिर माल गाड़ी में 50 से ज्यादा डिब्बे क्यों होते हैं? अगर आप इसके बारे में नहीं जानते, तो आइये आज हम आपको इनके बारे में विस्तार से बताते हैं.
पैसेंजर ट्रेन में 24 कोच ही क्यों?
दरअसल, रेलवे ट्रैक में लूप लाइन यानी छोटी साइड लाइनें होती हैं, जो ट्रेनों को क्रॉस करने, ओवरटेक करने या रुकने के लिए उपयोग की जाती हैं. इन लाइनों की लंबाई सीमित होती है, आमतौर पर 650 मीटर. वहीं, एक पैसेंजर ट्रेन 650 मीटर से अधिक लंबी नहीं हो सकती है. ऐसा इसलिए ताकि वह लूप लाइन में आसानी से फिट हो सके. इसके अलावा पैसेंजर ट्रेन का एक डिब्बा लगभग 25 मीटर लंबा होता है, ऐसे में 650 मीटर की ट्रेन को 25 मीटर प्रति डिब्बे से डिवाइड करें, तो इसका जवाब 26 डिब्बे आता है, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से 24 डिब्बे वाली ट्रेन को चलाना और नियंत्रित करना 26 डिब्बे वाली ट्रेन की तुलना में अधिक सुरक्षित होता है. इसके अलावा यात्रियों की सुविधा को देखते हुए 24 डिब्बे वाली ट्रेन में सभी डिब्बों में यात्रियों को सुविधाएं प्रदान करना आसान होता है.
इसलिए माल गाड़ी में होते हैं 50 से ज्यादा डिब्बे
मालगाड़ी का उपयोग भारी मात्रा में माल ढुलाई के लिए किया जाता है. मालगाड़ी के डिब्बे (बॉक्स/वैगन) पैसेंजर ट्रेन के डिब्बों की तुलना में छोटे होते हैं, आमतौर पर 11 से 15 मीटर लंबे. वहीं, मालगाड़ी को लूप लाइन में फिट होने की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि वे मुख्य रूप से लंबी दूरी की यात्रा करते हैं और स्टेशनों पर रुकते हैं. वहीं, मालगाड़ी के इंजन को भारी भार खींचने के लिए डिजाइन किया जाता है. इन सुविधाओं के बाद एक माल गाड़ी में 50 से अधिक डिब्बे लगाए जाते हैं, क्योंकि इससे रेलवे को अधिक राजस्व प्राप्त होता है.