John Brittas vs Ravneet Singh Bittu: केंद्र और राज्यों को लेकर भाषा का विवाद कोई नया नहीं है. पहले भी आरोप लगते रहे हैं कि हिंदी भाषा साउथ के राज्यों पर थोपी जाती है. अब साउथ के एक सांसद ने मंत्रालय के जवाब की भाषा पर सवाल खड़े किए हैं. विरोध के तौर पर उन्होंने मलयालम में अपनी बात रखी है.
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क्या आपको पता है कि अगर आप केंद्रीय मंत्रालयों से कोई जानकारी चाहें तो जवाब किस भाषा में आता है? इस समय यह सवाल इसलिए लोगों के जेहन में कौंध रहा है क्योंकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने इस मुद्दे को उछाला है. जी हां, उन्होंने संसद में पूछे गए सवालों का केंद्र सरकार की तरफ से 'केवल हिंदी में' जवाब दिए जाने पर आपत्ति जताई है. ब्रिटास ने आरोप लगाया कि यह परंपरा वैधानिक भाषा प्रावधानों का उल्लंघन करती है और गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों के सदस्यों को अपने संसदीय कार्य को प्रभावी ढंग से करने से रोकती है. नियम जानने से पहले पूरा मामला समझिए.
It has been a norm and precedent that letters addressed from Union Govt to south MPs are written in English. Lately however that's not the case, and @RavneetBittu makes it a point to write exclusively in Hindi. Am compelled to reply him in Malayalam!@AshwiniVaishnaw pic.twitter.com/Yf2uvi4WLz
— John Brittas (@JohnBrittas) November 3, 2024
सांसद जी ने मलयालम में लिखा लेटर
हां, माकपा सांसद ने कहा कि उन्होंने विरोध स्वरूप रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह को मलयालम में एक लेटर लिखा, जिन्होंने संसद में उठाए गए उनके सवालों का जवाब हिंदी में दिया था. ब्रिटास ने आगे कहा कि दक्षिण भारतीय राज्यों के सांसदों के साथ संवाद/संचार के लिए अंग्रेजी भाषा के इस्तेमाल का नियम और परंपरा है. ब्रिटास ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में यह मुद्दा उठाया और सिंह द्वारा हिंदी में भेजे गए पत्रों तथा उनकी तरफ से मलयालम में दिए गए जवाब की प्रति भी साझा की.
पूरा मामला समझिए
ब्रिटास ने लिखा, 'केंद्र सरकार द्वारा दक्षिण भारतीय राज्यों के सांसदों को संबोधित पत्र अंग्रेजी में लिखे जाने का नियम और परंपरा रही है. हालांकि, हाल-फिलहाल में ऐसा नहीं हुआ है. रवनीत बिट्टू ने खासतौर पर हिंदी में लिखने का विकल्प चुना है. मैं उन्हें मलयालम में जवाब देने के लिए मजबूर हूं!'
ब्रिटास के कार्यालय ने एक बयान में कहा, 'सांसद डॉ. जॉन ब्रिटास ने रेल और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रवनीत सिंह को विरोध स्वरूप मलयालम में अपनी प्रतिक्रिया भेजी है.' बयान में कहा गया है, 'यह कदम भारत की भाषाई विविधता के बावजूद, संसद में पूछे गए सवालों का केंद्र सरकार द्वारा केवल हिंदी में जवाब दिए जाने के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करता है. जॉन ब्रिटास केरल का प्रतिनिधित्व करते हैं, एक ऐसा राज्य जिसने हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में नहीं अपनाया है.'
संसद का रूल क्या है?
भारतीय संसद में कामकाज हिंदी या अंग्रेजी में किया जा सकता है. स्पीकर या चेयरमैन सदन के सदस्य को अपनी मातृभाषा में भी बोलने की अनुमति दे सकते हैं. हालांकि अगर Use for Official Purpose of the Union यानी केंद्र सरकार के लिए आधिकारक भाषा के इस्तेमाल की बात हो तो नियम बिल्कुल स्पष्ट हैं.
अब केंद्र सरकार (मंत्रालयों) की बात जानिए
गृह मंत्रालय के अगस्त 2007 के एक शासनादेश के मुताबिक केंद्र सरकार के किसी कार्यालय से रीजन-C में आने वाले राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों या ऐसे राज्यों के व्यक्तियों से संचार अंग्रेजी में होना चाहिए. Region C में बिहार, हरियाणा, हिमाचल, एमपी, राजस्थान, यूपी, दिल्ली और अंडमान-निकोबार (रीजन-A) और गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, चंडीगढ़ (रीजन-B) के अलावा सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश आते हैं.
- रीजन-A में आने वाले राज्यों को जवाब हिंदी में दिया जा सकता है और अगर अंग्रेजी में दिया जा रहा है तो उसका हिंदी अनुवाद भी उपलब्ध कराना होगा.
- इसी तरह रीजन-B में आने वाले राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों में सामान्य तौर पर संचार हिंदी में होगा और अगर अंग्रेजी में किया जाता है तो हिंदी अनुवाद भी देना होगा.
- इसके अलावा सामान्य रूप से ऑफिसेज या किसी अन्य व्यक्ति के लिए संवाद (रीजन-B) हिंदी या अंग्रेजी में हो सकता है.
- इस रूल के तहत केंद्र सरकार के ऑफिसेज से रीजन-C में आने वाले किसी ऑफिस या व्यक्ति को अंग्रेजी में संचार करना चाहिए. (एजेंसी इनपुट के साथ)