मराठा योद्धा महादजी शिंदे के नाम की पगड़ी में ऐसा क्‍या जो उद्धव ठाकरे को चुभ गई?
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मराठा योद्धा महादजी शिंदे के नाम की पगड़ी में ऐसा क्‍या जो उद्धव ठाकरे को चुभ गई?

दिल्‍ली में अरविंद केजरीवाल के सत्‍ता से बाहर होने के बाद विपक्षी इंडिया ब्‍लॉक में दरारें साफ दिखने लगी हैं. 

मराठा योद्धा महादजी शिंदे के नाम की पगड़ी में ऐसा क्‍या जो उद्धव ठाकरे को चुभ गई?

Maharashtra Politics: दिल्‍ली में अरविंद केजरीवाल के सत्‍ता से बाहर होने के बाद विपक्षी इंडिया ब्‍लॉक में दरारें साफ दिखने लगी हैं. इस गठबंधन के भीतर से कुछ ऐसी आवाजें उठ रही हैं कि यदि कांग्रेस और आप एक साथ मिलकर चुनाव लड़ते तो संभवतया नतीजा कुछ अलग होता. इन सब चर्चाओं के बीच इंडिया ब्‍लॉक के भीतर एक नया मोर्चा खुल गया है. इस ब्‍लॉक में महाराष्‍ट्र के भीतर घमासान मच गया है. वहां इंडिया ब्‍लॉक की पार्टियां विपक्षी महा विकास अघाड़ी के बैनर तले हैं. इसमें उद्धव ठाकरे, शरद पवार और कांग्रेस शामिल हैं. 

महादजी शिंदे
दरअसल मंगलवार को एनसीपी (एसपी) नेता शरद पवार ने नई दिल्‍ली में 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के अवसर पर महाराष्‍ट्र के डिप्‍टी सीएम एकनाथ शिंदे को पगड़ी पहनाकर महादजी शिंदे राष्‍ट्र गौरव पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया. उन्‍होंने शिंदे की तारीफ भी कर दी. महादजी शिंदे को भी मराठी अस्मिता और आन-बान-शान का प्रतीक माना जाता है. मराजा साम्राज्‍य के इतिहास में महादजी शिंदे को बेहद शक्तिशाली योद्धा के नाम से जाना जाता है. 1761 में पानीपत की लड़ाई में मराठों की हार हुई थी. उस हार का बदला बदला 10 साल बाद 1771 में महादजी शिंदे ने लिया था और दिल्‍ली में भगवा फहराया था. 

शरद पवार पर पहली बार सीधा हमला
बस महादजी शिंदे के नाम की पगड़ी एकनाथ को पहनाए जाने की बात उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी)  को चुभ गई. शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि शिवसेना को विभाजित करने वाले और ‘महाराष्ट्र को कमजोर करने वाले’ व्यक्ति को सम्मानित करने से मराठी लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं.

ऐसा पहली बार हुआ जब शिवसेना (यूबीटी) ने पवार पर सीधा हमला बोला है. पवार को 2019 में गठित महा विकास अघाड़ी (एमवीए) का मुख्य वास्तुकार माना जाता है जो अलग-अलग राजनीतिक विचारों वाले तीन दलों का गठबंधन है. एमवीए नवंबर 2019 से जून 2022 तक राज्य में सत्ता में थी.

संजय राउत ने कहा कि यह शिंदे ही थे जिन्होंने अमित शाह की मदद से शिवसेना को विभाजित किया था और उनका सम्मान करना किसी भाजपा नेता को सम्मानित करने के समान था. राउत ने कहा कि पवार को उस कार्यक्रम में शामिल नहीं होना चाहिए था क्योंकि शिंदे ने 2022 में महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस सरकार को ‘विश्वासघात’ करके गिरा दिया था.

दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में संजय राउत ने कहा, ‘‘राजनीति में कुछ चीजों से बचना चाहिए. कल शरद पवार ने शिंदे को सम्मानित नहीं किया, बल्कि उन्होंने अमित शाह को सम्मानित किया. यह हमारी भावना है.’’

राउत ने कहा, ‘‘जिसे हम महाराष्ट्र का दुश्मन मानते हैं, उसे ऐसा सम्मान देना महाराष्ट्र के गौरव को ठेस पहुंचाना है. पवार ने अलग तरीके से सोचा होगा, लेकिन ऐसी राजनीति महाराष्ट्र के लोगों को पसंद नहीं आई है.’’

राउत ने आगे कहा, ‘‘हम आपकी दिल्ली की राजनीति नहीं समझते, लेकिन हम भी राजनीति समझते हैं.’’ कार्यक्रम के दौरान पवार ने कहा कि शिंदे उन नेताओं में से एक हैं जिन्होंने ठाणे की राजनीति को सही दिशा में ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 50 वर्षों में शिंदे उन नेताओं में से एक हैं जो नागरिक मुद्दों से अच्छी तरह वाकिफ हैं.

राउत ने कहा,‘‘पवार साहब के पास गलत जानकारी है. यह शिवसेना ही है जो ठाणे की राजनीति को सही दिशा में ले गई. ठाणे का विकास सतीश प्रधान के कार्यकाल में शुरू हुआ जो ठाणे के पहले महापौर थे.’’

इस मसले पर आदित्‍य ठाकरे ने कहा कि मैं शरद पवार की उम्र, वरिष्‍ठता और सिद्धांत पर बात नहीं करूंगा. लेकिन ये हमारा सिद्धांत है कि हमको शिंदे जैसे शख्‍स का सम्‍मान नहीं करना चाहिए. जो महाराष्‍ट्र द्रोही है वो देशद्रोही भी होता है. इंडिया गठबंधन को लेकर आदित्‍य ठाकरे ने कहा कि इंडिया ब्‍लॉक का साझा नेतृत्‍व है. वहां पर कोई नेता नहीं है. ये लड़ाई किसी के इगो या किसी के फायदे की नहीं बल्कि देश के भविष्‍य के लिए है.

एनसीपी (एसपी) का जवाब
एनसीपी (एसपी) सांसद अमोल कोल्हे ने एक सवाल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राउत अपनी निजी राय व्यक्त कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में यह कार्यक्रम अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का हिस्सा था. कोल्हे ने कहा, ‘‘उन्होंने नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाई, जहां हर चीज में राजनीति नहीं लाई जाती. मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ गलत है. शरद पवार कार्यक्रम (स्वागत समिति) के अध्यक्ष हैं.’’

रोहित पवार ने कहा कि राउत की प्रतिक्रिया आश्चर्यजनक है, क्योंकि महाराष्ट्र में यशवंतराव चव्हाण और बाल ठाकरे जैसे सभ्य राजनीतिक नेताओं की परंपरा रही है और वरिष्ठ पवार ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया तथा राजनीतिक मतभेदों को सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कभी बाधा नहीं बनने दिया.

बीजेपी ने ली चुटकी
पवार द्वारा शिंदे को सम्मानित करने पर राउत की निराशा के बारे में पूछे जाने पर भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि राकांपा (शरदचंद्र) अध्यक्ष ने एक तरह से इस बात का समर्थन किया है कि शिवसेना प्रमुख ने मुख्यमंत्री के तौर पर उद्धव ठाकरे से कहीं बेहतर काम किया है.

भाजपा नेता ने दावा किया कि पवार ने अपनी आत्मकथा में उल्लेख किया है कि 2019 से 2022 के मध्य जब ठाकरे मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने केवल दो बार मंत्रालय का दौरा किया था. उन्होंने कहा कि इसके विपरीत शिंदे ने मुख्यमंत्री के तौर पर दिन में 22 घंटे काम किया.

बावनकुले ने कहा कि पवार को यह समझने में समय लगा कि ठाकरे ने राज्य को नुकसान पहुंचाया है, जबकि शिंदे ने राज्य को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया.

राउत की इस टिप्पणी पर कि पवार को शिंदे का सम्मान नहीं करना चाहिए था, भाजपा नेता ने कहा, ‘‘मुझे लगता था कि शरद पवार संजय राउत को मार्गदर्शन देते थे, लेकिन ऐसा लगता है कि राउत अब उन्हें सुझाव देने की कोशिश कर रहे हैं. राउत अभी तक महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति को नहीं समझ पाए हैं. मुझे पवार के लिए बुरा लग रहा है.’’

उन्होंने शाह के बारे में बुरा-भला कहने के लिए राउत की भी आलोचना की. बावनकुले ने कहा, ‘‘राउत केंद्रीय गृह मंत्री के कद की बराबरी नहीं कर सकते. क्या राउत ने कभी चुनाव लड़ा है? शाह ने 11 चुनाव लड़े हैं. राउत को सावधानी से बोलना चाहिए और उपहास का पात्र बनने से बचना चाहिए.’’

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