Bihar Chunav 2025: चुनावी साल में अगर जगदानंद सिंह का परिवार लालू परिवार से नाराज होता है तो यह राजद के लिए शुभ संकेत नहीं है. अगर जगदांनद सिंह कोई बड़ा फैसला लेते हैं तो चुनाव में तिनका तिनका संजोने में जुटे तेजस्वी यादव को बहुत बड़ा झटका लग सकता है.
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Bihar Politics: राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो चुकी है. तेजस्वी यादव पार्टी में पहले से कहीं ज्यादा शक्तिशाली रूप धारण कर चुके हैं, लेकिन इस बैठक में एक नुक्ता लग गया. अब तक बिहार प्रदेश राजद की कमान संभाल रहे जगदानंद सिंह बैठक से नदारद थे. जगदानंद सिंह के अलावा उनके बेटे और राजद सांसद सुधाकर सिंह भी बैठक से दूर रहे. जाहिर है सवाल उठे हैं और उठेंगे. जगदानंद सिंह की नाराजगी की खबरें मीडिया की सुर्खियां बन रही हैं तो एनडीए की ओर से एक एक कर कई नेता जगदानंद सिंह का स्वागत करने को लालयित दिखते हैं. जगदानंद सिंह के अस्वस्थ होने की भी बात सामने आई है, लेकिन सुधाकर सिंह का न होना भी खुद में चकित करने वाला है. हालांकि जगदानंद सिंह की ओर से अभी तक नाराज होने या फिर नाराज न होने को लेकर कोई सफाई नहीं दी गई है. इससे लग रहा है कि कुछ तो बात है जो परदे के उस पार है. तो क्या जगदानंद सिंह राजद के पूर्व नेता रघुवंश प्रसाद सिंह की राह पर हैं?
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दरअसल, लालू प्रसाद यादव के साथ जगदानंद सिंह ने भी पूरी राजनीतिक पारी खेली है और रघुवंश प्रसाद सिंह भी ऐसा कर चुके थे. फिर भी रघुवंश प्रसाद सिंह अपने आखिरी दिनों में लालू परिवार और राजद से नाराज हो गए थे. यहां तक कि हॉस्पिटल के बेड से ही उन्होंने लालू प्रसाद यादव को पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा भेज दिया था, लेकिन लालू प्रसाद यादव ने वो इस्तीफा स्वीकार नहीं किया और बोल दिया कि आप कही नहीं जा रहे हैं.
रघुवंश प्रसाद सिंह राजद जैसी क्षेत्रीय पार्टी में रहने के बाद भी मुखर वक्ता थे. जो उनको गलत लगता था, सार्वजनिक रूप से अपना विरोध जाहिर कर देते थे. उनकी नाराजगी की खबरें तब सामने आई थीं, जब तेजप्रताप यादव ने उनको एक लोटा पानी कहकर संबोधित किया था. तेजप्रताप यादव ने कहा था, समुद्र से एक लोटा पानी कम हो जाएगा तो क्या फर्क पड़ता है. राजद समुद्र की तरह है और किसी के जाने या न जाने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. हालांकि लालू प्रसाद यादव ने भी इस बात को गंभीरता से लिया था और उन्हें रांची के रिम्स अस्पताल में तलब कर लिया था. तब लालू प्रसाद यादव जेल में थे और रिम्स में उनका इलाज चल रहा था.
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रघुवंश प्रसाद सिंह के बाद अब जगदानंद सिंह के नाराज होने की खबरें आ रही हैं. हालांकि वे बुजुर्ग हो चुके हैं और कार्यकारिणी की बैठक में न आने का स्वास्थ्य एक कारण हो सकता है, लेकिन क्या वजह रही कि न जगदानंद सिंह पहुंचे और न ही उनके बड़े बेटे सुधाकर सिंह. तेजस्वी यादव जब अपनी यात्रा के दौरान बक्सर पहुंचे थे, तब भी सुधाकर सिंह वहां नहीं थे. वे काफी दिनों से राजद के प्रदेश कार्यालय भी नहीं पहुंच रहे हैं. जगदानंद सिंह भी प्रदेश कार्यालय आना छोड़ चुके हैं.
बता दें कि हाल ही में बिहार में विधानसभा की 4 सीटों पर उपचुनाव हुए थे, जिसमें एक सीट रामगढ़ की थी. यह जगदानंद सिंह की परंपरागत सीट है और यहां से वे 6 बार विधायक चुने जा चुके हैं. 2020 में सुधाकर सिंह यहां से जीते थे और 2024 में बक्सर से सांसदी जीतने के बाद सुधाकर सिंह ने इस्तीफा दे दिया था. राजद ने इस सीट से सुधाकर सिंह के छोटे भाई अजीत सिंह को टिकट दिया था, लेकिन राजद का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और अजीत सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे. यहां से भाजपा प्रत्याशी की जीत के बाद से जगदानंद सिंह के परिवार की राजद से दूरी स्पष्ट तौर पर झलक रही है.
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अब सवाल यह है कि बुजुर्ग होने के बाद नेताओं की राजद से दूरी क्यों बढ़ जाती है. लालू प्रसाद यादव की शुरुआती राजनीति के दिनों से साथ रहे रघुवंश प्रसाद सिंह भी अंतिम दिनों में राजद से नाता तोड़ बैठे थे और अब जगदानंद सिंह भी रघुवंश प्रसाद सिंह की राह पर जाते दिख रहे हैं. जगदानंद सिंह जमीन से जुड़े नेता हैं और राजद की तरफ बिहार के कुछ राजपूत वोटों का झुकाव के पीछे जगदानंद सिंह की महती भूमिका रही है. वैसे भी चुनावी साल में जब तेजस्वी यादव सभी जाति, धर्म के लोगों को राजद से जोड़ने की कवायद में जुटे हैं, तब एक कद्दावर राजपूत नेता की नाराजगी पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है.