बिहार में अपराध बनाता सुर्खियां, सियासी बयानबाजी और छलनी होता आम आदमी
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बिहार में अपराध बनाता सुर्खियां, सियासी बयानबाजी और छलनी होता आम आदमी

Bihar Crime: NCRB 2021 रिपोर्ट के मुताबिक कुल दर्ज अपराध बिहार 7वें नंबर पर है. इससे ऊपर महाराष्ट्र, यूपी, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान जैसे राज्य हैं.

बिहार में अपराध बनाता सुर्खियां, सियासी बयानबाजी और छलनी होता आम आदमी

पटना: Bihar Crime: बिहार की राजधानी पटना और आसपास अपराध की घटनाएं लगातार हेडलाइन बना रही हैं. तीन सुर्खियां तो ताजी हैं. ये वारदातें और सुर्खियां अलग-अलग कहानियां बयां करती हैं और मौजूदा सरकार को एक हिदायत भी देती हैं.  

पहले आप इन सुर्खियों को देख लीजिए
पटना के पीरबहोर थाना क्षेत्र में पुलिस कर्मियों को बीच सड़क दौड़ा दौड़ा कर पीटा गया. दरअसल यहां कुछ लोग एक जवान को पीट रहे थे. पुलिस उसे बचाने गई तो खुद ही फंस गई

दूसरी खबर -पटना के परसा बाज़ार थाना क्षेत्र के मुकीमपुर के समीप एक महिला की लूटपाट के दौरान हत्या कर दी गई. मृतक सरोज देवी तारणपुर की रहने वाली थी, जो रोज मॉर्निंग वॉक पर जाती थीं. कान से सोने की बाली और चेन लूटने के क्रम में अपराधियों ने वारदात को अंजाम दिया. घटना के बाद पुलिस के देर से पहुंचने पर नाराज ग्रामीणों ने पटना सुरक्षा बांध सड़क को एनएच 83 चौराहा के पास जाम कर दिया.

तीसरी खबर-पाटलीपुत्रा थाना क्षेत्र के गोसाई टोला की है. यहां 19 वर्षीय युवक की चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई. आक्रोशित लोगों ने शव को रखकर कुर्जी रोड को जाम कर दिया जिसके कारण यातायात बाधित हो गई.

चौथी खबर-नालंदा के हुधारी गांव में एक महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई. बदमाशों ने गोली महिला के सिर में मारा जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई. बताया जा रहा है कि पड़ोसियों के बीच बच्चों के खेल को लेकर विवाद हो गया था, इसी से जुड़े हैं इस हत्या के तार.

इससे पहले पटना में 7 सितंबर की सुबह दो बाइक सवारों की गोली मारकर हत्या कर दी गई. 7 सितंबर की सुबह ही सिवान में पुलिस गश्ती दल बदमाशों ने फायरिंग कर दी, जिसमें एक सिपाही की मौत हो गई. एक दूसरा नागरिक भी बुरी तरह जख्मी हो गया. मतलब आम आदमी तो दूर पुलिस वालों पर हमला करने में भी नहीं डर रहे.

जाहिर है इन वारदातों को लेकर विपक्ष नीतीश-तेजस्वी सरकार पर हमलावर है. ठीक उसी तरह जैसे नीतीश-बीजेपी सरकार में होने वाली आपराधिक घटनाओं को लेकर तेजस्वी हमलावार रहते थे. 

आरजेडी के सरकार में आते ही बिहार में जंगलराज का जुमला फिर से चल पड़ा है. इसी सवाल पर 8 सितंबर को सीएम नीतीश कुमार नाराज भी हुए. उन्होंने पूछा कि क्या दूसरे राज्यों में अपराध नहीं होते? नीतीश ने कहा कि यहां जंगलराज नहीं जनता राज है. 

वैसे अगर सियासी बयानबाजी से अलग डेटा देखा जाए तो यही पता चलता है कि बिहार की स्थिति कोई अचानक नहीं बिगड़ी है. 

बिहार में नीतीश-तेजस्वी की सरकार 2022 में बनी लेकिन नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक हत्या के मामलों में बिहार नंबर पर था. यूपी में सबसे ज्यादा 3717 केस दर्ज किए गए, जबकि बिहार में 2799 केस दर्ज हुए. 

अभी हम पटना और सिवान में पुलिस पर हमले की चर्चा कर रहे हैं, लेकिन NCRB का डेटा बताता है कि 2021 में देश भर में सबसे ज्यादा पुलिस और सरकारी हमले पर हमले बिहार में ही हुए. देश भर में ऐसे 334 हमले हुए और अकेले बिहार में 97.

NCRB 2021 रिपोर्ट के मुताबिक कुल दर्ज अपराध बिहार 7वें नंबर पर है. इससे ऊपर महाराष्ट्र, यूपी, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान जैसे राज्य हैं. कुल मिलाकर बात ये है कि सरकार चाहे बीजेपी की हो या फिर किसी और की. हर जगह हालात खराब हैं. और यही है असल मुद्दा. 

जब तक नेता अपराध को सियासी चश्मे से देखते रहेंगे, जब तक लाशों पर अपनी राजनीति उगाने की कोशिश करते रहेंगे, मसले का हल नहीं निकले. जब NDA की सरकार हो तो तेजस्वी निशाना साधे और जब गठबंधन की सरकार हो तो बीजेपी बाण चलाए. 

गौर कीजिएगा कि दोनों ही मामलों में बाण नेता चला रहे हैं लेकिन दोनों ही मामलों में छलनी आम आदमी होता है. 

अब चूंकि तेजस्वी भी पिछली सरकार पर अपराध को लेकर निशाना साधते आए हैं, लिहाजा उनका फर्ज है नई गठबंधन सरकार अपराध पर लगाम लगाए. वरना आम आदमी 2025 में जवाब मांगेगा और बीजेपी तब तक जंगलराज-जंगलराज का माहौल बनाती रहेगी.

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