दोनार रेल फाटक पर आरओबी निर्माण के लिए स्वीकृति तो मिल चुकी है, लेकिन टेंडर रद्द होने के कारण इसका कार्य अब तक शुरू नहीं हो सका है. भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में देरी के चलते जनता को भारी जाम और परेशानी झेलनी पड़ रही है.
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Donar ROB Update: शहर के तमाम रेल फाटकों पर रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) का निर्माण जरूरी है, लेकिन दोनार रेल फाटक पर इसकी सबसे अधिक आवश्यकता महसूस की जा रही है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अन्य स्थानों पर स्वीकृति मिलने के बाद पुल निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन दोनार गुमटी पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. लोगों को उम्मीद थी कि जल्द ही यहां भी निर्माण कार्य शुरू होगा, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण यह अब भी अधर में लटका हुआ है.
यदि दोनार गुमटी को अपनी परेशानियों के बारे में लिखना हो, तो वह कुछ इस प्रकार लिखेगा:
प्रिय सरकार,
नमस्ते! हम, ‘दोनार रेल फाटक’, आपकी नज़र में वही पुराने दोस्त हैं जो हर दिन अपने पुनरुद्धार के खबर से खिलखिला जाते हैं! हम वो महान गेट हैं, जो हमेशा ट्रेनों के आने-जाने पर बंद हो जाते हैं, और लोगों को घंटों तक ‘आत्म चिंतन’ करने का अवसर देते हैं. हां, हम ट्रैफिक जाम के विशेषज्ञ भी हैं, और अगर जाम में फंसाने का कोई गोल्ड मेडल होता, तो हम सबसे आगे होते!
वैसे हमें पता है कि आपने हमारे लिए 134.5 करोड़ का आरओबी निर्माण स्वीकृत किया है, और इस पर काम जल्दी शुरू होने की उम्मीद थी. हम आपके विभाग की कार्यशैली का भी बहुत सम्मान करते हैं, जो हमें हर दिन ‘धैर्य’ का पाठ पढ़ाती है. हम तो हर रोज गाड़ियों को रोककर इसे पूरी तरह से प्रैक्टिकल रूप से दरभंगावासियों को समझाते हैं!
हम समझते हैं कि कभी-कभी किसी चीज़ को समय पर पूरा करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, आखिर हमें भी तो एक्सपीरियंस है. वहीं हमें इस बात पर भी बहुत गर्व है कि हम एकमात्र ऐसे गेट हैं, जहां 'भूमि चिन्हित करना' और 'रिपोर्ट' की खबर हमें हमेशा लाइमलाइट में रखती है. आखिर हमारे पास जाम की लंबी कतारों में फंसे हुए लोगों की दुआएं जो हैं.
मजाक से परे, स्कूली बच्चे, मरीज, और वाहन चालक, ये सभी आपकी मदद का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. हम जानते हैं कि आप हमें जल्दी ही आरओबी देंगे, और हम भी अपनी ‘गुमटी’ की नई पहचान के लिए तैयार हैं. बस थोड़ा सा ‘स्पीड’ बढ़ाइए, और हम भी यह नहीं चाहते कि जनता को हमारी वजह से ज्यादा समय तक परेशानी झेलनी पड़े.
आपका ही,
‘दोनार रेल फाटक’
चलिए अब विस्तार से खबर जानते हैं:
टेंडर रद्द होने से निर्माण कार्य में देरी
दोनार गुमटी पर आरओबी निर्माण के लिए टेंडर जारी किया गया था, जिससे लोगों को राहत की उम्मीद जगी थी, लेकिन यह टेंडर अचानक रद्द कर दिया गया. हालांकि, टेंडर रद्द होने का स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है, लेकिन जानकारों का मानना है कि सदर अंचल स्तर से अब तक भूमि चिन्हित कर रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है. इसी वजह से निर्माण कार्य अब तक धरातल पर नहीं उतर सका है.
शहर को दो हिस्सों में बांट रही रेलवे लाइन
दरभंगा-समस्तीपुर रेल खंड शहर को दो भागों में विभाजित करता है. दरभंगा जंक्शन से लहेरियासराय स्टेशन तक आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर रेलवे क्रॉसिंग मौजूद हैं, जो ट्रेन के आवागमन के दौरान बंद कर दिए जाते हैं. इनमें दोनार गुमटी सबसे अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दरभंगा-कुशेश्वरस्थान स्टेट हाईवे से जुड़ा हुआ है. इसके कारण बड़ी संख्या में लोगों का आवागमन बाधित होता है.
आम जनता को झेलनी पड़ रही परेशानी
इस रेल फाटक पर लगने वाले जाम से आम जनता, स्कूली बच्चे, मरीज और वाहन चालक सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. जब गुमटी लंबे समय तक बंद रहती है तो वीआईपी रोड तक जाम लग जाता है. रेलवे लाइन के दूसरी ओर रहने वाले लोगों को आवागमन में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
134.5 करोड़ की लागत से बनना है आरओबी
शहर के सबसे व्यस्त रेलवे समपार फाटक 25 (स्पेशल) दोनार गुमटी पर आरओबी निर्माण को लोकसभा चुनाव से पहले अगस्त 2023 में स्वीकृति मिली थी. इस परियोजना के लिए 134.5 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी और निर्माण कार्य बिहार राज्य पथ विकास निगम लिमिटेड, पीआईयू, मुजफ्फरपुर को सौंपा गया था. टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद लोगों को लगा था कि जल्द ही पुल निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा, लेकिन फिलहाल यह योजना अधर में लटक गई है.
भू-अर्जन प्रक्रिया में देरी बनी रोड़ा
इस संबंध में जिला भू-अर्जन पदाधिकारी बालेश्वर प्रसाद से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि उन्हें भू-अर्जन से संबंधित कोई भी निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है. जब तक भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं होगी, तब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सकेगा. विभागीय ढिलाई के कारण लोगों को इस समस्या से राहत मिलने में अब और अधिक समय लग सकता है.
Disclaimer:
यह पत्र केवल हास्य और व्यंग्य के रूप में लिखा गया है और इसका उद्देश्य किसी भी सरकारी विभाग या संस्था को अपमानित करना नहीं है. पत्र में उल्लिखित समस्याएँ वास्तविक हैं, लेकिन इन्हें एक हल्के-फुल्के अंदाज में प्रस्तुत किया गया है. यह लेख केवल जन जागरूकता के लिए है और इसका कोई राजनीतिक या अन्य कोई पक्ष नहीं है.
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