Valentine's Day: आज 14 फरवरी, दिन शुक्रवार को दुनिया भर में कपल वैलेंटाइन डे मना रहे हैं. ऐसे में चलिए हम आपको प्यार की एक ऐसी बेमिसाल प्रेम कहानी के बारे में बताते हैं, जिसके सामने प्यार का बड़ा-बड़ा मिसाल फीका है. ये कहानी है गया के एक छोटे से गांव के रहने वाले दशरथ मांझी और उनकी पत्नी फगुनिया की...
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Valentine's Day: आज दुनिया भर में कपल वैलेंटाइन डे मना रहे हैं. ऐसे में चलिए हम आपको प्यार की एक ऐसी बेमिसाल कहानी के बारे में बताते हैं, जिसके सामने बड़ा-बड़ा मिसाल भी फीका है. ये कहानी है बिहार के गया जिले के गहलौर की. जहां अपनी पत्नी के प्रेम में पति ने ऐसा जुनून दिखाया कि आज भी दुनिया उनके बारे में जान हैरान रह जाती है. गया के एक छोटे से गांव की यह कहानी आज प्यार करने वालों के लिए एक उदाहरण है साथ ही यह परिभाषा भी है कि सच्चा प्रेम आखिर होता कैसा है. एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी के प्रेम में 22 वर्षों तक छेनी हथौड़ी चलाकर प्रेम की सच्ची परिभाषा की बड़ी गाथा लिख दी जो सदियों तक अमर प्रेम की कहानी के रूप में जानी जाती है और आगे भी जानी जाएगी. गया के गहलौर घाटी की पहचान आज देश ही नहीं, बल्कि विदेश तक है. गहलौर घाटी में प्रेम की परिभाषा को समझने के लिए लोग देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी आते हैं.
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देश विदेश से आने वाले लोग यहां की प्रेम कहानी जानकर हैरान रह जाते हैं. यहां आने वाले लोग ऐसी अद्भुत प्रेम कहानी की पटकथा लिख देने वाले दशरथ मांझी के समाधि स्थल को नमन करना नहीं भूलते. कई तो ऐसे हैं, जो इस प्रेम कहानी को शाहजहां और मुमताज की प्रेम के प्रतीक ताजमहल से भी बड़ा मानते हैं. यह कहानी है दशरथ मांझी और उनकी पत्नी फगुनिया की.
दशरथ मांझी की प्रेम कहानी 1959 से जुड़ी है. दशरथ मांझी एक मजदूर थे. पहाड़ों पर जाकर काम करते थे. पत्नी फाल्गुनी देवी (फगुनिया देवी) उनके लिए रोज उबड़ खाबड़ पहाड़ के रास्ते खाना और पानी लेकर आया करती थी. तब वर्ष 1959 का एक दिन था, जब नित्य दिन की तरह ही दशरथ मांझी की पत्नी फाल्गुनी देवी अपने पति के लिए खाना और पानी लेकर पहाड़ के रास्ते जा रही थी. उसी वक्त उनका पैर फिसला. फाल्गुनी का घड़ा फूटा और उसे गंभीर चोट लगी. उस समय नजदीक का अस्पताल करीब 55 किलोमीटर दूर था. उनकी पत्नी को सही समय से इलाज नहीं मिला और फाल्गुनी की मृत्यु हो गई.
इस घटना से बाबा दशरथ मांझी काफी आहत हुए. दशरथ मांझी अपनी पत्नी फाल्गुनी से बेहद प्रेम करते थे. पत्नी फाल्गुनी की मौत से दशरथ मांझी इस कदर व्यथित हुए कि उन्होंने दृढ़ संकल्प ले लिया. उनके इस संकल्प का लोग मजाक भी उड़ाते थे और पागल भी समझते थे. हालांकि मांझी का इरादा मजबूत था. पत्नी से दिलो जान से प्रेम करने वाले दशरथ मांझी ने फाल्गुनी की मौत के बाद दृढ़ संकल्प लिया, कि वे पहाड़ काटकर रास्ता बनाएंगे, क्योंकि उनकी पत्नी की मौत सही समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण हुई थी.
बाबा दशरथ मांझी ने छेनी हथौड़ी उठाई और पहाड़ को काटना शुरु कर दिया. दिन, सप्ताह, महीने, 1 साल नहीं बल्कि पूरे 22 साल तक छेनी और हथौड़ी से पहाड़ को काटने के लिए उन्होंने छेनी हथौड़ी चलाई और 360 फीट ऊंचा पहाड़ काट डाला. वहीं, दशरथ मांझी के पुत्र के दामाद मिथुन मांझी ने बताया कि जी बिल्कुल सही बात है एकलौता निशानी है. बाबा दशरथ मांझी ने अपनी फगुनिया के प्रेम में अपनी पत्नी के प्रेम में 22 वर्षो तक मात्र छेनी और हथौड़ी से अकेले दम पर पहाड़ काट रास्ता बना दिया.
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उन्होंने कहा दुनिया में असल प्रेम को परिभाषित करने के लिए इससे बढ़कर कुछ नहीं हो सकता है. एक अजूबा है दशरथ मांझी का यह पथ जो आज रास्ता बना हुआ है. वहीं, उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोग देश विदेश से भी यहां आते हैं और इस बेमिसाल प्रेम की निशानी को देखते हैं. वंही, दशरथ मांझी की पौत्री ने बताया कि प्यार का असली तोफा ये है कि मेरे दादा जी प्यार के लिए पहाड़ को तोड़ दिए. वंही ताजमहल बनाने के लिए एक लाख मजदूर को लगाया गया था, लेकिन मेरे दादाजी एक छेनी हथौड़ी से पहाड़ को तोड़ दिए.
इनपुट - प्रिंस सूरज
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