Gajlakshmi Puja: बिहार में 16 दिनों तक होती है गजलक्ष्मी पूजा, जानिए क्या है महत्व
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Gajlakshmi Puja: बिहार में 16 दिनों तक होती है गजलक्ष्मी पूजा, जानिए क्या है महत्व

Gajalakshmi Puja: यह एक मात्र ऐसा व्रत होता है जो पितृ पक्ष और श्राद्ध के बीच में किया जाता है. परंपरा के अनुसार इस व्रत का अनुष्ठान 16 दिनों का होता है. 

 

(फाइल फोटो)

पटनाः Gajlakshmi Puja: सनातन परंपरा में मां लक्ष्मी को धन की देवी बताया गया है. इनकी उत्पत्ति समुद्र मंथन से मानी गई है और ये श्री हरि भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं. इनकी पूजा से आपके जीवन धन-वैभव और ऐश्वर्य का आगमन होता है. देवी लक्ष्मी के कई अलग-अलग स्वरूप है. इनमें जो हर प्रकार के ऐश्वर्य और सुख देने वाली लक्ष्मी हैं, उनका स्वरूप बहुत विशेष हैं. वह दोनों हाथों से वरदान देती हैं. तीसरे हाथ में धनकलश रखती हैं और चौथे हाथ में कमल का पुष्प धारण करती हैं. देवी ऐरावत हाथी पर बैठती हैं और दो हाथी उनका जल से अभिषेक करते हैं. देवी का यह स्वरूप बहुत सुकून देने वाला होता है. इन्हीं देवी की पूजा गजलक्ष्मी व्रत में की जाती है. परंपरा के अनुसार इस व्रत का अनुष्ठान 16 दिनों का होता है. 

बिहार में गज का हुआ था उद्धार
यह एक मात्र ऐसा व्रत होता है जो पितृ पक्ष और श्राद्ध के बीच में किया जाता है. बिहार में हाथी की मान्यता इसलिए भी अधिक है, क्योंकि यहां के सोनपुर जिले में स्थित है प्राचीन गज उद्धार स्थल. मान्यता है कि यहीं पर भगवान विष्णु ने गज को ग्राह (मगरमच्छ) से बचाया था. इस दौरान यहां स्थित हरिहर नाथ मंदिर में दर्शन करने से पुण्य फल प्राप्त होता है. प्रत्येक वर्ष भादप्रद में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत आरंभ होते हैं और 16 दिनों तक चलने वाले इस व्रत का समापन अश्विन मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन होता है. इस आधार पर यह व्रत जारी है, हालांकि अधिकांश महिलाएं सिर्फ आखिरी दिन वाले व्रत का पूजन करती हैं. 

16 दिन का होता है व्रत
व्रत के इस दिन विधि-विधान के साथ पूजन करके 16 दिनों के महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन किया जाता है.इस दिन को गजलक्ष्मी व्रत के रुप में जाना जाता है.गजलक्ष्मी व्रत में मां महालक्ष्मी के गजलक्ष्मी स्वरूप की पूजा होती है.इस स्वरूप में मां लक्ष्मी गज यानी हाथी के आसन पर विराजमान होती हैं. मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए यह दिन बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन और मंत्र जाप से उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं. 
3 सितंबर यानि बीते शनिवार से शुरू होकर यह व्रत आश्विन शुक्ल अष्टमी तक मनाया जाएगा. महालक्षमी की कृपा पाने के लिए ये व्रत विशेष खास माना जाता है. इसे दीपावली से बड़ा पर्व मानते हैं. क्योंकि इस दिन मां लक्ष्मी नहीं बल्कि महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है. अष्टमी तिथि से शुरू हुए ये महालक्ष्मी यानि गजलक्ष्मी व्रत के साथ समाप्त हो जाएंगे. इस वर्ष 17 सितंबर को महालक्ष्मी व्रत आएगा.

गजलक्ष्मी व्रत का महत्व
गजलक्ष्मी व्रत को करने के साथ ही 16 दिनों तक चलने वाले महालक्ष्मी व्रत का समापन भी हो जाता है.पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन मां गज लक्ष्मी का व्रत और पूजन से घर की आर्थिक तंगी दूर होती है.व्यक्ति के जीवन में धन-संपदा का आगमन होता है और कभी रुपए-पैसों की तंगी नहीं होती है.भक्तों को मान-सम्मान की प्राप्ति होती है और जीवन में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रहती है.

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