बिहार चुनाव से पहले ममता बनर्जी के हवाले हो सकता है इंडिया ब्लॉक! उठने लगी आवाज तो कांग्रेस हलकान
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बिहार चुनाव से पहले ममता बनर्जी के हवाले हो सकता है इंडिया ब्लॉक! उठने लगी आवाज तो कांग्रेस हलकान

INDIA Block: ममता बनर्जी नेतृत्व स्वीकार करने के लिए तैयार हैं. साथ दलों के नेता उन्हें अपना नेता मानने को तैयार हैं और लालू प्रसाद यादव कह चुके हैं कि कांग्रेस के विरोध करने का कोई मतलब नहीं है. जाहिर है कि अब इसमें शायद ही विलंब हो. 

बिहार चुनाव से पहले ममता बनर्जी के हवाले हो सकता है इंडिया ब्लॉक! उठने लगी आवाज तो कांग्रेस हलकान

INDIA Block: दिल्ली चुनाव बीत चुका है और बिहार चुनाव की आहट फिजाओं में तैरने लगी है. नेताओं के दौरे लगने लगे हैं. 5 फरवरी को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी एक कार्यक्रम में शिरकत कर चुके हैं तो 24 फरवरी को पीएम मोदी भागलपुर के दौरे पर आ रहे हैं. पीएम मोदी भागलपुर की धरती से पीएम किसान सम्मान निधि की राशि पूरे देश के किसानों को जारी करेंगे. वहीं, 27 फरवरी को एनसीपी शरद पवार गुट के नेता शरद पवार भी बिहार के कटिहार में अपनी पार्टी के लिए जमीन तलाशने के लिए पधार रहे हैं. इस बीच दिल्ली में जो कुछ भी चल रहा है, वह बिहार की राजनीति को बड़े स्तर पर प्रभावित कर सकता है. दिल्ली चुनाव से पहले ममता बनर्जी ने इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करने की इच्छा जताई थी और लालू प्रसाद यादव, उमर अब्दुल्ला, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल आदि नेताओं ने समर्थन भी किया था. मतलब कांग्रेस हाशिये पर चली जाएगी. अब यह मांग फिर से उठने लगी है. 

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एक दिन पहले तृणमूल कांग्रेस के सांसद कीर्ति आजाद ने कहा, हरियाणा हो या महाराष्ट्र, कांग्रेस हर जगह हार रही है. कांग्रेस को इस बात पर विचार करना चाहिए कि उसे इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करना चाहिए या नहीं. कांग्रेस को नसीहत देते हुए कीर्ति आजाद ने यह भी कहा था कि कांग्रेस इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करेगी या नहीं, इस बारे में हमें सोचना चाहिए. 

दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद रामगोपाल यादव ने भी कहा, दिल्ली में कांग्रेस भाजपा की भाषा बोल रही थी. जिसको अहंकार हो जाता है, वह विनाश की ओर जाता है. रागोपाल ने कहा, कांग्रेस को अहंकार नहीं होता तो हरियाणा में हमें एकाध सीटें दे सकती थी. कांग्रेस की जिम्मेदारी थी कि इंडिया ब्लॉक की मीटिंग हो और आगे भाजपा से कैसे निपटा जाए, उसके लिए रणनीति बने. मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि एक बार नेतृत्व बदलकर देखा जाए.

हालांकि रामगोपाल यादव और कीर्ति आजाद की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, कांग्रेस कभी भाजपा की भाषा नहीं बोल सकती. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में हमने गंभीरता से गठबंधन धर्म का पालन किया है और इसी कारण समाजवादी पार्टी को फायदा मिला और भाजपा सिमट गई. 

अब आप सोचिए, दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी को चाहे हार मिले या फिर ​जीत, ठीकरा कांग्रेस पर ही फूटना है. आम आदमी पार्टी हारेगी तो कांग्रेस पर ठीकरा फूटेगा ही और अगर आम आदमी पार्टी जीत गई तो अरविंद केजरीवाल यह संदेश देने की कोशिश करेंगे कि कांग्रेस ने इतना विरोध किया फिर भी जीत गए. उसके बाद कांग्रेस को इंडिया ब्लॉक के सभी दल किनारे करने की रणनीति अपनाएंगे, इसमें किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए.

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अब अगर बिहार चुनाव से पहले इंडिया ब्लॉक में कोई खटर-पटर होती है तो जाहिर सी बात है कि इसका असर व्यापक होगा. इसका असर राजद और कांग्रेस गठबंधन पर भी पड़ सकता है और यह टूट भी सकता है. इसका कारण यह है कि लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने भी ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व देने पर राजीनामा दिया था. अब बिहार चुनाव से पहले या उसी दौरान अगर ऐसा होता है तो जाहिर है कि यह महागठबंधन के लिए अच्छा नहीं होगा.

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