'लंबे समय तक गुलामी ने...', बिहार के राज्यपाल का समाधान की कुंजी वाला बयान
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'लंबे समय तक गुलामी ने...', बिहार के राज्यपाल का समाधान की कुंजी वाला बयान

Bihar News: राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि मेरा मानना ​​है कि चाहे राज्यपाल हो, मंत्री हो या सांसद, सार्वजनिक जीवन में किसी को भी पद यह देखकर नहीं मिलता कि वह किस समुदाय से आता है, इसीलिए मिलता है कि वह भारत का नागरिक है. इसलिए, भले ही मैं जन्म से मुसलमान हूं, लेकिन मेरी जिम्मेदारियों को मेरी धार्मिक पहचान से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.

बिहार की खबरें (File Photo)

Governor Arif Mohammad Khan: बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि लंबे समय तक गुलामी के दौर ने भारत के लोगों को उनके शाश्वत सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति उदासीन बना दिया है जो राष्ट्र के सामने आने वाली सभी समस्याओं के समाधान की कुंजी हैं. खान ने यह टिप्पणी थिंक-टैंक ग्रैंड ट्रंक रोड इनिशिएटिव (GTRI) की तरफ से रविवार को आयोजित एक संवाद सत्र के दौरान की. 

संस्कृत में महारात के पहचाने जाने वाले आरिफ मोहम्मद खान ने इस मौके पर संस्कृत के कई श्लोक सुनाए, जिस पर वहां मौजूद लोग तालियां बजाने लगे. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि वह खुद को एक विद्यार्थी के रूप में देखते हैं, न कि एक विद्वान के रूप में. 

उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि लंबे समय तक गुलामी सहने के कारण हमारे शाश्वत मूल्यों के प्रति हमारी उदासीनता बढ़ गई लेकिन हमारी विरासत हमें हमारी कई समस्याओं को हल करने की कुंजी प्रदान करती है. राष्ट्रगान को ही देख लीजिए, जिसमें जय जो जीत का संकेत देता है, लेकिन विजय से अलग है जो दूसरे की अधीनता को दर्शाता है. 

पिछले महीने बिहार के राज्यपाल का पदभार संभालने वाले आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि यह नालंदा की भूमि है जो शिक्षा का प्राचीन केंद्र है जिसे आक्रमण में नष्ट कर दिया गया था, लेकिन वहां से फैला ज्ञान नष्ट नहीं किया जा सका. यह आज भी जीवित है. बाद में उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि मेरा मानना ​​है कि चाहे राज्यपाल हो, मंत्री हो या सांसद, सार्वजनिक जीवन में किसी को भी पद यह देखकर नहीं मिलता कि वह किस समुदाय से आता है, इसीलिए मिलता है कि वह भारत का नागरिक है. इसलिए, भले ही मैं जन्म से मुसलमान हूं, लेकिन मेरी जिम्मेदारियों को मेरी धार्मिक पहचान से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. 

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आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, मेरा यह भी मानना ​​है कि किसी को भी इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए जिससे उस जाति या समुदाय की चेतना को बढ़ावा मिले जिससे वह संबंधित है, क्योंकि इससे आगे चलकर सामाजिक तनाव पैदा हो सकता है. 

इनपुट: भाषा

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