Bombay High Court: अगर आप सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत ही जरूरी है. अगर आप अभी भी नहीं सुधरे तो जा सकते हैं जेल, जानें पूरा मामला.
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अगर आप किसी भी महिला को सोशल मीडिया, मेल, जीमेल, कही पर भी कुछ गलत संदेश भेजते हैं तो आपको जेल की हवा खानी पड़ सकती है. यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि अपमानजनक सामग्री वाले ईमेल प्रथम दृष्टया आईपीसी की धारा 509 (महिला की गरिमा का अपमान) के तहत अपराध के दायरे में आते हैं. जानें और क्या-क्या कोर्ट ने कहा? यहां देखें...
'आपत्तिजनक टिप्पणी लिख नहीं बच सकते आप'
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि महिला को आधुनिक तकनीक से आपत्तिजनक टिप्पणी हो रही है या कोई ईमेल सामने आता है. तो कोर्ट अपराधी को सिर्फ इसलिए नहीं छोड़ सकता कि अपमान बोला नहीं गया है बल्कि लिखित है.
महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने पर सजा
महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले सोशल मीडिया पोस्ट और ईमेल अपराध के तहत आते हैं, ये टिप्पणी बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने गुरुवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान की. कई बार ऐसा होता है कि लोग महिलाओं को कुछ कहते नहीं लेकिन ईमेल और सोशल मीडिया पर ऐसे शब्द उनके लिए लिख देते हैं, जिससे उनको जलील किया जा सके. उनको लगता है कि हमने तो कुछ कहा ही नहीं, शिकायत भी किस बात की होगी. लेकिन ऐसा नहीं है. जस्टिस एएस गडकरी और नीला गोखले की पीठ ने कहा कि ईमेल और सोशल मीडिया पर लिखे गए शब्द, जिनसे किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचे, वो आईपीसी की धारा 509 के तहत अपराध है.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि आधुनिक तकनीक से अपमान करने के कई तरीके खुल गए हैं. अगर किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली आपत्तिजनक सामग्री वाला कोई ईमेल सामने आता है, तो क्या हम अपराधी को सिर्फ इसलिए जाने की परमिशन दे सकते हैं, क्यों कि अपमान बोला नहीं गया, लिखित है.
कोर्ट ने कहा कि इस तरह की संकीर्ण व्याख्या को स्वीकार किया जाता है, तो लोग किसी भी महिला को बदनाम करने और उसका अपमान करने के लिए ईमेल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करके बिना किसी परिणाम के चले जाएंगे.
महिला ने की थी अपमानजनक ईमेल की शिकायत
मामला साल 2009 का है. एक महिला ने शिकायत की थी कि साउथ मुंबई की एक सोसायटी में रहने के दौरान एक शख्स ने उसके खिलाफ आपत्तिजनक और अपमानभरे ईमेल लिखे थे और उसके चरित्र पर टिप्पणी की थी. महिला ने कहा था कि वे सभी ईमेल सोसायटी के दूसरे लोगों को भी भेजे गए थे. शिकायतकर्ता महिला ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 509 के तहत केस दर्ज कराया था.
महिला से कुछ भी कहा ही नहीं, वकील का तर्क
वहीं आरोपी शख्स ने साल 2011 में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए महिला द्वारा दर्ज करवाए गए केस को खारिज करने की मांग की थी. उसके वकील हरेश जगतियानी ने तर्क दिया था कि दुश्मनी और बदला लेने के लिए FIR दर्ज करवाई गई है. ये शब्द महिला से बोले नहीं गए. उनका कहना था कि IPC की धारा 509 में बोले गए शब्द का मतलब सिर्फ बोले गए शब्द होंगे न कि ईमेल या सोशल मीडिया पोस्ट में लिखे गए शब्द. वहीं महिला के वकील ने दुश्मनी की बात से इनकार कर दिया था.
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