दिल्ली में BJP का वो सीएम.. जिसकी कुर्सी 'प्याज' ने छीन ली, इस्तीफा दिया और DTC बस से घर चले गए
Advertisement
trendingNow12636700

दिल्ली में BJP का वो सीएम.. जिसकी कुर्सी 'प्याज' ने छीन ली, इस्तीफा दिया और DTC बस से घर चले गए

Delhi Election Results: जब 1996 में  जैन हवाला कांड में मदनलाल खुराना का नाम सामने आया तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद दिल्ली में नए मुख्यमंत्री की तलाश शुरू हुई. केंद्रीय नेतृत्व में सुषमा स्वराज और हर्षवर्धन के नाम की चर्चा थी, लेकिन विधायकों की बैठक में तीसरा नाम उभरकर आया साहिब सिंह वर्मा.

दिल्ली में BJP का वो सीएम.. जिसकी कुर्सी 'प्याज' ने छीन ली, इस्तीफा दिया और DTC बस से घर चले गए

Sahib Singh Verma: दिल्ली में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने वाले हैं और जल्द ही राजधानी को नया मुख्यमंत्री मिलने वाला है. ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की राजनीति में ऐसे कौन-कौन से पल आए जब किसी नेता की किस्मत ने जोरदार पलटी मारी. ऐसी ही एक कहानी है दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा की जिनकी सत्ता प्याज की महंगाई की भेंट चढ़ गई थी. उनके इस्तीफे के बाद वे सरकारी गाड़ी की बजाय DTC की बस से अपने घर रवाना हुए थे. साहिब सिंह वर्मा की कहानी पर आइए एक नजर डालते हैं.

सियासत का सफर..पार्षद से मुख्यमंत्री तक
दिल्ली की सियासत में साहिब सिंह वर्मा की एंट्री 1977 में हुई जब वे केशवपुरम वार्ड से पार्षद चुने गए. स्थानीय राजनीति में मजबूती हासिल करने के बाद 1991 में उन्हें बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका मिला लेकिन कांग्रेस के कद्दावर नेता सज्जन कुमार के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद वे ‘दिल्ली के गांवों के नेता’ के तौर पर उभरकर सामने आए. 1993 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जबरदस्त प्रदर्शन किया और 70 में से 49 सीटें जीतकर सरकार बनाई. हालांकि मुख्यमंत्री पद मदनलाल खुराना को मिला और साहिब सिंह वर्मा को शिक्षा और विकास मंत्री बनाया गया.

हवाला कांड के बाद मिली कुर्सी
1996 में जब जैन हवाला कांड में मदनलाल खुराना का नाम सामने आया तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद दिल्ली में नए मुख्यमंत्री की तलाश शुरू हुई. केंद्रीय नेतृत्व में सुषमा स्वराज और हर्षवर्धन के नाम की चर्चा थी, लेकिन विधायकों की बैठक में तीसरा नाम उभरकर आया साहिब सिंह वर्मा. 31 विधायकों के समर्थन के बाद वे दिल्ली के चौथे मुख्यमंत्री बने.

महंगाई और प्याज के बढ़ते दाम बने आफत
मुख्यमंत्री बनने के बाद साहिब सिंह वर्मा को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. पहले खुराना गुट से टकराव हुआ. फिर दिल्ली में उपहार सिनेमा कांड और यमुना बस दुर्घटना जैसे बड़े हादसे हुए जिससे उनकी सरकार की छवि कमजोर हुई. लेकिन 1998 में प्याज की कीमतों ने उनकी कुर्सी को सबसे बड़ा झटका दिया. प्याज 60-80 रुपये किलो तक बिकने लगी और कांग्रेस ने महंगाई के खिलाफ अभियान छेड़ दिया. जगह-जगह सस्ते प्याज बांटे जाने लगे और लोग सड़कों पर विरोध करने लगे. जब पत्रकारों ने इस पर सवाल किया तो साहिब सिंह वर्मा का जवाब था "गरीब आदमी प्याज खाता ही नहीं है." उनके इस बयान ने आग में घी डालने का काम किया.

DTC बस से घर लौटे..लेकिन राजनीति जारी रही
बीजेपी ने बढ़ते दबाव को देखते हुए विधानसभा चुनाव से दो महीने पहले ही साहिब सिंह वर्मा को हटा दिया. 12 अक्टूबर 1998 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया. उस दिन जब वे अपने पैतृक गांव मुंडका जाने की तैयारी कर रहे थे, तो CM हाउस के बाहर 5000 समर्थकों ने डेरा डाल रखा था. लेकिन वे किसी तामझाम के बिना एक साधारण DTC बस में सवार होकर घर चले गए. हालांकि राजनीति से उनका नाता नहीं टूटा. 1999 में लोकसभा चुनाव जीतकर वे सांसद बने और 2002 में वाजपेयी सरकार में श्रम मंत्री का पद संभाला. लेकिन 30 जून 2007 को एक सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई.

Trending news