1984 दंगे.. मंदिर आंदोलन, दिल्ली में BJP को मिला फायदा; 1993 में मदनलाल खुराना बने पहले CM.. लेकिन एक कांड ने छीन ली कुर्सी
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1984 दंगे.. मंदिर आंदोलन, दिल्ली में BJP को मिला फायदा; 1993 में मदनलाल खुराना बने पहले CM.. लेकिन एक कांड ने छीन ली कुर्सी

Delhi first BJP CM: मुख्यमंत्री बनने के बाद मदनलाल खुराना ने दिल्ली के विकास के लिए कई बड़े कदम उठाए. लेकिन 1995 में हवाला कांड चर्चा में आ गया जिसमें कई बड़े नेताओं के नाम सामने आए. इस केस में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का नाम भी जुड़ा था. खुराना पर आरोप लगा कि उन्होंने हवाला दलाल सुरेंद्र जैन से तीन लाख रुपये लिए थे. 

1984 दंगे.. मंदिर आंदोलन, दिल्ली में BJP को मिला फायदा; 1993 में मदनलाल खुराना बने पहले CM.. लेकिन एक कांड ने छीन ली कुर्सी

Madan Lal Khurana history: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आ रहे हैं और जल्द ही राजधानी को नया मुख्यमंत्री मिलने वाला है. ऐसे में दिल्ली की राजनीति के कुछ ऐतिहासिक पन्ने खंगालना दिलचस्प होगा. क्या आप जानते हैं कि दिल्ली में पहली बार विधानसभा चुनाव 1993 में हुआ था और बीजेपी ने भारी बहुमत के साथ सरकार बनाई थी? दिल्ली को पहला मुख्यमंत्री मिला मदनलाल खुराना. लेकिन उनके कार्यकाल का सफर आसान नहीं रहा. 1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद कांग्रेस की पकड़ कमजोर हुई वहीं राम मंदिर आंदोलन ने बीजेपी को ताकत दी. इस माहौल में 1993 का चुनाव हुआ और बीजेपी ने 49 सीटें जीतकर सत्ता हासिल कर ली. मगर तीन साल बाद हवाला कांड में नाम आने के बाद खुराना को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी.

1984 दंगे और राम मंदिर आंदोलन से बदली दिल्ली की राजनीति
सिख विरोधी दंगों के बाद दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला. कांग्रेस की पकड़ कमजोर हुई और बीजेपी ने इस मौके का फायदा उठाया. 1990 के दशक की शुरुआत में राम मंदिर आंदोलन ने बीजेपी को और मजबूती दी. पार्टी ने दिल्ली में विजय कुमार मल्होत्रा, ओम प्रकाश कोहली और मदनलाल खुराना जैसे दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा. 1993 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 70 में से 49 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस सिर्फ 14 सीटों पर सिमट गई. जनता ने बीजेपी को दिल्ली की सत्ता सौंपी और मदनलाल खुराना मुख्यमंत्री बने.

हवाला कांड में आया नाम.. देना पड़ा इस्तीफा
मुख्यमंत्री बनने के बाद मदनलाल खुराना ने दिल्ली के विकास के लिए कई बड़े कदम उठाए. लेकिन 1995 में हवाला कांड चर्चा में आ गया, जिसमें कई बड़े नेताओं के नाम सामने आए. इस केस में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का नाम भी जुड़ा था. खुराना पर आरोप लगा कि उन्होंने हवाला दलाल सुरेंद्र जैन से तीन लाख रुपये लिए थे. पार्टी पर दबाव बढ़ने लगा और अंततः 22 फरवरी 1996 को मदनलाल खुराना को इस्तीफा देना पड़ा. उनके इस्तीफे के बाद साहिब सिंह वर्मा को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री बनाया गया.

बेदाग साबित हुए, लेकिन सीएम की कुर्सी वापस नहीं मिली
जिस हवाला कांड की वजह से मदनलाल खुराना को मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी. वह केस 1997 तक कोर्ट में टिक नहीं पाया और वे निर्दोष साबित हुए. लेकिन तब तक बीजेपी का दिल्ली में समीकरण बदल चुका था और उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया. बाद में वह लोकसभा सांसद बने और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री पद संभाला. उन्हें संसदीय कार्य और पर्यटन मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन जल्द ही उन्हें पद से हटा दिया गया.

'दिल्ली का शेर' कहलाने वाले खुराना का राजनीतिक सफर
मदनलाल खुराना का जन्म 15 अक्टूबर 1936 को लायलपुर (अब पाकिस्तान के फैसलाबाद) में हुआ था. बंटवारे के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया. उन्होंने छात्र राजनीति से शुरुआत की और जनसंघ में शामिल हुए. 1980 में बीजेपी बनने के बाद वे पार्टी के मजबूत नेता बनकर उभरे. खुराना को ‘दिल्ली का शेर’ कहा जाता था, क्योंकि वे जनता से जुड़े मुद्दों को उठाने और सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए मशहूर थे. दिल्ली मेट्रो परियोजना को हकीकत बनाने में भी उनकी अहम भूमिका रही. हालांकि, 2006 में पार्टी से मतभेद के चलते उन्हें निष्कासित कर दिया गया. लंबी बीमारी के बाद 2018 में 83 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.

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