Indian Railway: दुनिया भर में मौजूद हाइड्रोजन ट्रेनों के इंजन 500 से 600 हॉर्सपावर की ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, जबकि भारतीय रेलवे की हाइड्रोजन ट्रेन 1200 हॉर्सपावर तक की ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम होगी.
भारतीय रेलवे ने देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन डेवलप करने की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाई है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा है कि यह ट्रेन दुनिया की सबसे लंबी और सबसे अधिक ताकतवर हाइड्रोजन ट्रेनों में से एक होगी. यह ट्रेन सिर्फ लंबाई और ताकत में ही नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी लेवल पर भी एडवांस होगी.
उन्होंने आगे कहा कि देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन को पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से डेवलप किया जा रहा है. इसे डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डेमू) रेक पर हाइड्रोजन फ्यूल सेल के रेट्रोफिटमेंट के जरिए तैयार किया जा रहा है. रेलवे अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) ने इसके स्पेशिफिकेशन तैयार किए हैं.
रेल मंत्री सांसद अजीत कुमार भुइयां के एक सवाल का जवाब दे रहे थे, जो हाइड्रोजन संचालित ट्रेन प्रौद्योगिकी के विकास की स्थिति जानना चाहते थे. जवाब में वैष्णव ने कहा, "ट्रेन के साथ, हाइड्रोजन को रिफील करने के लिए एकीकृत हाइड्रोजन उत्पादन-भंडारण-वितरण सुविधा की कल्पना की गई है." उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर आवश्यक सुरक्षा अनुमोदन के लिए पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) से आग्रह किया गया है.
रेल मंत्री ने इसे भारतीय रेलवे की स्वच्छ और हरित भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करार दिया है, जो वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के इस्तेमाल को बढ़ावा देगी. अब तक सिर्फ चार देश ही हाइड्रोजन ट्रेन डेवलप किए हैं. इन देशों में जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन हैं.
हालांकि, भारत की यह ट्रेन कई मायनों में इन चारों देशों से आगे निकल सकता है. दरअसल, मौजूदा हाइड्रोजन ट्रेनों के इंजन 500 से 600 हॉर्सपावर की ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, जबकि भारतीय रेलवे की हाइड्रोजन ट्रेन 1200 हॉर्सपावर तक की ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम होगी. यानी यह मौजूदा हाइड्रोजन ट्रेनों से लगभग दोगुनी ताकतवर होगी.
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