DNA ANALYSIS: ओडिशा और पश्चिम बंगाल में अम्फान ने कितनी तबाही मचाई?
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DNA ANALYSIS: ओडिशा और पश्चिम बंगाल में अम्फान ने कितनी तबाही मचाई?

बुधवार को करीब ढाई बजे अम्फान तूफान ने, पश्चिम बंगाल में दीघा और बांग्लादेश में हटिया द्वीप के बीच दस्तक दी. 

DNA ANALYSIS: ओडिशा और पश्चिम बंगाल में अम्फान ने कितनी तबाही मचाई?

नई दिल्ली: कोरोना वायरस से लड़ते भारत का सामना, आज एक नई आपदा से हुआ. सदी का सबसे बड़ा चक्रवाती तूफान, AMPHAN (अम्फान) आज भारत से टकराया. जिसने ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भीषण तबाही मचाई. लेकिन उससे पहले आपको अम्फान तूफान से जुड़ी बड़ी बातें जानना जरूरी हैं. 

बुधवार को करीब ढाई बजे अम्फान तूफान ने, पश्चिम बंगाल में दीघा और बांग्लादेश में हटिया द्वीप के बीच दस्तक दी. मौसम विभाग के मुताबिक तूफान जब तट से टकराया तब उसकी रफ्तार 160 से 170 किलोमीटर प्रतिघंटा थी. तूफान के असर से समुद्र में पांच मीटर तक ऊंची लहरें उठीं. 

तेज बारिश और करीब दो सौ किलोमीटर प्रतिघंटा तक की रफ्तार से चलती हवाओं के साथ इस चक्रवाती तूफान ने चार घंटों तक ओडिशा और पश्चिम बंगाल में तबाही मचाई. तूफान से बचने की तैयारियों के लिए ओडिशा और पश्चिम बंगाल में करीब सात लाख लोगों को पहले ही सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया था. 

राहत बचाव कार्यों के लिए ओडिशा और पश्चिम बंगाल में National Disaster Relief Force यानी NDRF की 39 टीमों को तैनात किया गया था. अभी तक ओडिशा और पश्चिम बंगाल में तूफान की वजह से हुए हादसों में दो-दो लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. 

अम्फान से पश्चिम बंगाल के 24 परगना और ईस्ट मिदनापुर में सबसे ज्यादा असर हुआ है. जहां जगह-जगह पेड़ गिर गए हैं. सड़कें टूट गई हैं और कच्चे मकानों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. मौसम विभाग के मुताबिक अब ये तूफान गुरुवार सुबह तक बांग्लादेश पहुंचेगा, लेकिन तबतक इसकी रफ्तार काफी कम हो चुकी होगी. 

यानी अम्फान अब कमजोर पड़ने लगा है. लेकिन आज इस तूफान ने ओडिशा और पश्चिम बंगाल में जो तबाही मचाई है, ZEE NEWS की टीमें उसकी चश्मदीद गवाह हैं. ZEE NEWS के रिपोर्टर्स ने तेज हवाओं के बीच खड़े रहकर, अम्फान तूफान की जो ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की है, उसे आपको जरूर देखना चाहिए. 

अम्फान तूफान की ये ग्राउंड रिपोर्टिंग देखकर आपको अंदाजा लग गया होगा कि ये तूफान कितना शक्तिशाली था. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, 21 वर्षों के बाद कोई सुपर साइक्लोन भारत के तटीय इलाके से टकराया है. इससे पहले वर्ष 1999 में कोई सुपर साइक्लोन ओडिशा के तट से टकराया था जिसमें करीब दस हजार लोगों की जान चली गई थी. लेकिन ये देश की तैयारियों का ही नतीजा है कि अम्फान तूफान से किसी बड़ी हानि की अभी तक कोई खबर नहीं आई है. 

देखें DNA-

वैसे आपको बता दें कि इस चक्रवाती तूफान को अम्फान नाम थाइलैंड ने दिया है. थाई भाषा में अम्फान का मतलब आसमान होता है. तो अब अगर आप ये सोच रहे हैं कि किसी तूफान का नाम इतना सुंदर कैसे हो सकता है, तो इस सवाल का जवाब, चक्रवाती तूफानों के नामकरण की परपंरा और नियम से जुड़ा हुआ है. 

दरअसल समुद्री तूफानों को नाम देने की शुरुआत, सबसे पहले अटलांटिक सागर के आसपास के देशों ने वर्ष 1953 में की थी. लेकिन बाद में सिस्टम बनाया गया कि तूफान जिस क्षेत्र में उठ रहा है, उसके आसपास के देश ही उसे नाम देते हैं. 

भारत की पहल पर वर्ष 2004 में, आठ देशों ने अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आने वाले समुद्री तूफानों के नाम रखने का सिलसिला शुरु किया. इन आठ देशों में भारत के अलावा बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, थाइलैंड और श्रीलंका शामिल थे. 

वर्ष 2018 में इस लिस्ट में ईरान, कतर, सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन को भी जोड़ा गया. इन 13 देशों की तरफ से सुझाए गए नामों के पहले अक्षर के अनुसार उनका क्रम तय किया जाता है और उसी क्रम के अनुसार चक्रवाती तूफानों के नाम रखे जाते हैं.

इन सभी 13 देशों ने तूफानों के नाम की जो लिस्ट दी हुई है, उसमें भारत ने अग्नि, बिजली, मेघ, सागर और आकाश जैसे नाम दिए हैं.

इस बार थाईलैंड की तरफ से भेजे गए तूफान का नाम चुना जाना था, इसलिए भारत में आए इस तूफान को अम्फान नाम दिया गया है.

अब अगली बार जो भी चक्रवाती तूफान आएगा, उसका नाम निसर्ग होगा. ये नाम बांग्लादेश ने सुझाया है. बांग्ला भाषा में निसर्ग का मतलब प्रकृति होता है. 

कई लोग ये भी सोच रहे होंगे कि आखिर चक्रवाती तूफानों को नाम देने की जरूरत ही क्या है. तो आपको बता दें कि तूफानों के नामकरण के पीछे सोच ये है नाम की वजह से लोग चेतावनी को ज्यादा गंभीरता से लेते हैं. तूफान से निपटने की तैयारी में भी मदद मिलती है. मीडिया को रिपोर्ट करने में भी आसानी होती है. लेकिन तूफानों के नाम रखने की कुछ शर्तें भी हैं जैसे कि नाम छोटा और सरल होना चाहिए, जिसे लोग आसानी से बोल और समझ सकें और कोई भी नाम, सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से संवेदनशील नहीं होना चाहिए.

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